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Rajasthan By-Election Result 2024: विधानसभा उपचुनाव के नतीजे कल!किस खेमे में मची है खलबली, क्या होगा सियासी उलटफेर?"

Rajasthan By-Election Result 2024: राजस्थान की सियासत में इस वक्त गहरी हलचल मची हुई है। शनिवार को राज्य की सात सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे सामने आने वाले हैं। (Rajasthan By-Election Result 2024)भले ही इन नतीजों का विधानसभा में बहुमत...
03:09 PM Nov 22, 2024 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan By-Election Result 2024: राजस्थान की सियासत में इस वक्त गहरी हलचल मची हुई है। शनिवार को राज्य की सात सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे सामने आने वाले हैं। (Rajasthan By-Election Result 2024)भले ही इन नतीजों का विधानसभा में बहुमत पर कोई सीधा असर न पड़े, लेकिन ये उपचुनाव राजस्थान की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। इन सीटों पर हुई कांटे की टक्कर में राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा, कद और पद की दावेदारी भी दांव पर है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर हवा किस दिशा में बह रही है और ये नतीजे किसकी सियासी साख को प्रभावित करेंगे? आइए, इस पर एक नजर डालते हैं।

 सियासी भूचाल, सीटों पर कांटे की टक्कर और गिरते मतदान प्रतिशत

राजस्थान के सात विधानसभा उपचुनावों में मतदान का प्रतिशत इस बार कम हुआ है, और इसके नतीजों से राज्य की सियासत में बड़ा उलटफेर हो सकता है। इन चुनावों में ना सिर्फ पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, बल्कि कई बड़े नेताओं की साख भी इस पर निर्भर करेगी। जानिए, किन प्रमुख सीटों पर किसकी है बाजी मारने की संभावना।

रामगढ़: सियासी ताकतों की टक्कर

रामगढ़ विधानसभा सीट पर 75 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों के मुकाबले कम था। यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता जुबेर खान के बेटे आर्यन खान और बीजेपी के सुखवंत सिंह के बीच सीधी टक्कर है। इस सीट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है, खासकर अलवर के सांसद भूपेंद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की साख भी इस चुनाव में शामिल है।

झुंझुनू: कांग्रेस का गढ़ या बीजेपी की सेंधमारी?

झुंझुनू में 66 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2023 के मुकाबले कम है। यहां कांग्रेस के बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला और बीजेपी के राजेंद्र भांबू के बीच मुकाबला है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र गुढ़ा की भूमिका इस चुनाव का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकती है। यह सीट हमेशा कांग्रेस के पक्ष में रही है, लेकिन इस बार बीजेपी का संघर्ष भी मजबूत नजर आ रहा है।

खींवसर: हनुमान बेनीवाल का अभेद्य किला?

खींवसर में 76 प्रतिशत मतदान हुआ, जो अन्य सीटों से बेहतर है। यह सीट आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की मजबूत कड़ी रही है, लेकिन इस बार उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल मैदान में हैं। बीजेपी ने भी आरएलपी छोड़कर आए रेवंतराम डांगा को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने डॉ. रतन चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। यह सीट हनुमान बेनीवाल के लिए एक सख्त चुनौती पेश कर रही है।

देवली -उनियारा: त्रिकोणीय मुकाबला, कंकाल से लड़ा जाएगा मुकाबला

देवली-उनियारा में 65 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों के मुकाबले गिरावट दर्शाता है। यहां त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है, जिसमें कांग्रेस के कस्तूरचंद मीणा, बीजेपी के राजेंद्र गुर्जर और निर्दलीय नरेश मीणा के बीच कड़ा संघर्ष है। इस सीट पर हुए हिंसक विवाद ने चुनावी माहौल को और भी गरम कर दिया है, और परिणामों पर सबकी नजरें टिकी हैं।

सलूम्बर: बीजेपी की मजबूत स्थिति, लेकिन कांग्रेस की चुनौती

सलूम्बर में 67 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां बीजेपी की लगातार जीत रही है, लेकिन इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। बीजेपी ने अमृतलाल मीणा की पत्नी शांतादेवी मीणा को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने रेशमा मीणा को उतारा है। यहां का मुकाबला न केवल पार्टी, बल्कि जनसंख्या के आधार पर भी बहुत दिलचस्प हो सकता है।

चौरासी: आदिवासी समुदाय के लिए निर्णायक चुनाव

चौरासी में 74 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों से कम है। यह आदिवासी बाहुल्य सीट भारत आदिवासी पार्टी का गढ़ मानी जाती है, जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। यहां भारत आदिवासी पार्टी ने युवा नेता अनिल कटारा को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर आदिवासी समुदाय के वोट महत्वपूर्ण होंगे, जो चुनाव की दिशा तय करेंगे।

दौसा: सचिन पायलट- किरोड़ीलाल मीणा की प्रतिष्ठा दांव पर

दौसा में 62 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों के मुकाबले काफी कम है। यहां किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा और कांग्रेस के डीडी बैरवा के बीच सियासी संघर्ष है। यह सीट सचिन पायलट और बीजेपी के दिग्गज नेता किरोड़ीलाल मीणा की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। इस चुनाव के परिणाम पार्टी के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।

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