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Drinking water shortage near Chambal : चंबल नदी के किनारे घर, फिर भी क्यों प्यासे 50 हजार लोगों के हलक ?

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Drinking water shortage near Chambal : कोटा। नदी किनारे घर फिर भी आदमी प्यासा। यह बात सुनने में कितनी अजीब लगती है, लेकिन बिल्कुल हकीकत है। कोटा की चंबल नदी में अथाह पानी है। इसके बावजूद चंबल नदी के किनारे बसे गांवों में 50 हजार से ज्यादा लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही है। इनके लिए सरकार को टैंकर भेजकर जलापूर्ति करानी पड़ रही है।

नदी किनारे बसे 50 हजार लोग परेशान

कोटा में नयागांव, दौलतगंज, आवंली, रोजड़ी गांव चंबल नदी के किनारे पर बसे हुए हैं। मगर गर्मी की शुरुआत होते ही इन गांवों में रहने वाले 50 से 60 हजार लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि धनराज चेची कहते हैं- चारों गांव नगर निगम क्षेत्र का हिस्सा हैं। मगर इन गांवों में जलापूर्ति की सुविधा नहीं है।

टैंकर मंगवाकर बुझानी पड़ती है प्यास

चंबल नदी के किनारे बसे इन गांवों के लोग सर्दी में तो जैसे-तैसे पेयजल का इंतजाम कर लेते हैं। मगर गर्मी में इनके हलक प्यासे ही रहते हैं। कुछ लोग 400 से 500 रुपए देकर टैंकर के जरिए पेयजल की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग चार महीने तक पेयजल संकट से जूझते हैं। जब विरोध में आवाज उठती है, तो जलदाय विभाग टैंकर भेजकर लोगों के गुस्से को शांत कर देता है। लेकिन स्थायी समाधान नहीं हुआ।

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पेयजल प्रोजेक्ट बनाकर जलापूर्ति की मांग

चंबल नदी इन गांवों से महज 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में लोगों की मांग है कि सरकार को पेयजल प्रोजेक्ट बनाकर इन गांवों तक पाइपलाइन बिछाकर पेयजल की आपूर्ति करनी चाहिए। जिससे इन गांवों में रहने वाले लोगों को हर साल पेयजल संकट का सामना ना करना पड़े।

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