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Dronacharya Awardee RD Singh: हनुमानगढ़ में आरडी सिंह खिलाड़ियों को देते प्रशिक्षण, प्रशिक्षित प्लेयर्स ने पाया बड़ा मुकाम

Dronacharya Awardee RD Singh: हनुमानगढ़। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के आरडी सिंह खिलाड़ियों को तरासने की खान है। द्रोणाचार्य अवार्डी आरडी सिंह ने सैकड़ों पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों को तैयार किया है। जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत...
06:09 PM May 14, 2024 IST | Prashant Dixit

Dronacharya Awardee RD Singh: हनुमानगढ़। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के आरडी सिंह खिलाड़ियों को तरासने की खान है। द्रोणाचार्य अवार्डी आरडी सिंह ने सैकड़ों पैरा ओलंपिक खिलाड़ियों को तैयार किया है। जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम ऊंचा किया है। आरडी सिंह ने बताया कि अभी पैरा के 8 खिलाड़ी एवल बॉडी (Dronacharya Awardee RD Singh) के 15 खिलाड़ीयों को वे सुबह शाम तीन-तीन घंटे प्रशिक्षण दे रहे हैं।

आरडी सिंह पहचान के मोहताज नहीं

द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता आरडी सिंह वर्तमान समय में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से ऐसे खिलाड़ी तैयार किए, जिन्होंने भारत का परचम दूर दुनिया में लहराया है। आरडी सिंह ने बताया कि पैरा के 8 खिलाड़ी, एवल बॉडी के 15 खिलाड़ियों को सुबह शाम तीन-तीन घंटे प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने कहा मेरा सपना (Dronacharya Awardee RD Singh) जो आज कल के युवा नशे की तरफ जा रहे है। वह युवा पीढ़ी खेलों की तरफ जाए। अपने देश का नाम रोशन करें।

शिष्यों ने प्रतिस्पर्धाओं में मेडल जीते

हनुमानगढ़ टाउन निवासी आरडी सिंह द्रोणाचार्य अवॉर्डी हैं। आरडी सिंह के शिष्य पैरा ओलंपिक व अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में मेडल जीत चुके हैं। टाउन के राजकीय नेहरू मेमोरियल पीजी कॉलेज से रिटायर्ड आरडी सिंह ने बिना संसाधनों के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार किए है। इनमें जगसीर सिंह, संदीप मान, देवेन्द्र झाझडिय़ा, सुंदर गुर्जर जैसे खिलाडिय़ों को अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री और अन्य अवार्ड मिल चुके है। इन्होंने पैरा ओलंपिक सहित अन्य प्रतियोगिताओं में मेडल जीते है।

दिव्यांग विद्यार्थियों को दिया प्रशिक्षण

नेहरू पीजी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान आरडी सिंह ने दुर्घटना के शिकार और जन्म से दिव्यांग विद्यार्थियों को पहचाना। अपने खर्चे पर अपने पास रखा। इनको ट्रेनिंग देकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं तक पहुंचाया। आरडी सिंह ने बताया उन्होंने 1989 में बच्चों के लिए हॉस्टल शुरू किया था। इसमें रहने और भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था थी। उस समय उनके पास सबसे पहला स्टूडेंट देवेन्द्र झाझडिय़ा था। देवेन्द्र पैरा ओलंपिक में पहला गोल्ड लाने वाला खिलाड़ी बना था।

द्रोणाचार्य अवार्ड से 2006 में सम्मानित

उसी आधार पर 2006 में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया गया था।। उसके बाद से अभी उनके प्रशिक्षित पांच खिलाड़ी अर्जुन अवार्ड, दो खेल रत्न, दो पद्मश्री, एक पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुका हैं। कोच आरडी सिंह के हॉस्टल में अब भी कई बच्चे हैं। जो बच्चा उनके पास आता है वह कुछ न कुछ प्राप्त करके जाता है। इस हॉस्टल से करीब 42 बच्चें स्पोटर्स कोटे से सरकारी नौकरी कर रहे हैं। सुबह व शाम एसआरएम स्कूल के ग्राउंड पर बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

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