Biggest Olympic Controversies: ओलंपिक इतिहास के ऐसे विवाद जो आज भी नहीं भुलाएं जा सकते..!
Biggest Olympic Controversies: पेरिस में 26 जुलाई से ओलंपिक (Olympics) का आगाज होने वाला है। पिछले संस्करणों में खेलों के दौरान कई शानदार प्रदर्शन देखने को मिले हैं। लेकिन ओलंपिक इतिहास में कई बड़े विवाद भी सामने आए हैं। जिनका जिक्र आज भी ओलंपिक में सुनने को मिलता है। यहां हम ऐसे पांच विवादों पर नजर डालते हैं।
1. 1912 ओलंपिक:
1912 ओलंपिक में एक ऐसा विवाद हुआ था जो 100 साल से अधिक समय के बाद भी नहीं भुलाया जा सकता है। जिम थॉर्प नाम के खिलाड़ी को मेडल मिलने के बादजूद उससे वापस छिन लिया गया था। इसके पीछे की वजह भी बड़ी हैरान करनी वाली थी। उन्होंने ओलंपिक से पहले बेसबॉल खेलने के लिए पैसे लिए थे, जो उस समय के नियमों का उल्लंघन था।
2. 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक:
1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में फिनलैंड के एथलीट पावो नूर्मी से जुड़े एक और विवाद ने सुर्खियां बटोरी थी। 9 बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नूर्मी को स्वीडिश अधिकारियों द्वारा उनकी शौकिया स्थिति पर सवाल उठाने के कारण प्रतियोगिता से प्रतिबंधित कर दिया गया था। अन्य मैराथन एथलीटों की अपील के बावजूद नूर्मी को भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई और बाद में उन्हें सेवानिवृत्त होना पड़ा था।
3. 1956 मेलबर्न ओलंपिक :
1956 के मेलबर्न ओलंपिक में सोवियत संघ के हंगरी पर आक्रमण के बाद गहरे राजनीतिक तनाव का माहौल था। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा सोवियत एथलीटों को भाग लेने की अनुमति देने के बाद कई देशों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया। यह तनाव सोवियत और हंगेरियाई टीमों के बीच एक हिंसक वॉटर पोलो मैच में चरम पर पहुंच गया था, जिसे 'ब्लड इन द वॉटर' मैच के रूप में जाना गया और इसने ओलंपिक इतिहास में एक और विवादास्पद अध्याय जोड़ दिया।
4. 1988 ओलंपिक
कनाडाई धावक बेन जॉनसन ने 1988 के सियोल खेलों में 100 मीटर दौड़ में जीत हासिल की थी। हालांकि, बाद में उनके पदक छीन लिए गए थे। उनका परीक्षण स्टैनोजोलोल नामक एनाबोलिक स्टेरॉयड के कारण पॉजिटिव आया था। इसके बाद जॉनसन का स्वर्ण पदक दूसरे स्थान पर रहे अमेरिकी कार्ल लुईस को दिया गया था। हालांकि, लुईस का भी उस वर्ष यूएस ओलंपिक ट्रायल्स के दौरान प्रतिबंधित उत्तेजक पदार्थों के लिए परीक्षण सकारात्मक आया था, लेकिन वो निलंबन से बच गए थे। ये विवाद ओलंपिक के इतिहास में ऐसे काले धब्बे हैं, जो खेल की पवित्रता और खेल भावना पर सवाल उठाते हैं।
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