Water Crisis in Rajasthan: सरकारी अधिकारियों की करतूत, पानी पर खर्च किए 70 करोड़ रुपए, एक बूंद पानी नसीब नहीं
Water Crisis in Rajasthan जयपुर। राजस्थान में भीषण गर्मी पड़ रही है। गर्मी के कारण पूरे राज्य में पीने के पानी के लिए भी हाहाकार मचा है। पानी के लिए लोग सड़कों पर धरना-प्रदर्शन व आंदोलन कर रहे हैं। उधर, सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण लोग पानी का संकट झेल रहे हैं। सरकार ने 1500 ट्यूबवेल खोदने के लिए 70 करोड़ रूपए खर्च किए लेकिन लोगों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ। राजस्थान में पेयजल संकट पर हमारी खास रिपोर्ट..
सरकार की अधिकांश योजनाएं पड़ी हैं ठप
राजस्थान में लाख कोशिशों के बावजूद सरकार पेयजल संकट को दूर नहीं कर पा रही है। सरकार की नाकामी के पीछे अधिकारियों की लापरवाही औऱ भ्रष्टाचार की चर्चा आम है। दरअसल, गर्मियों में पेयजल सप्लाई के लिए सरकार ने जलदाय विभाग व जिलाधिकारियों को 175 करोड़ की समर कंटिंजेंसी योजना दी । हैरानी की बात है कि अभी तक इस कंटिंजेंसी का 80 फीसदी काम नहीं हो पाया है। सरकार की 630 योजनाओं में से केवल 130 योजनाएं पूरी हो पाई हैं।
70 करोड़ खर्च कर भी एक बूंद पानी नसीब नहीं
सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण पाइप लाइनों के टेलएंड तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसके पीछे सरकारी अधिकारियों की लापरवाही ही सामने आ रही है। राजस्थान जल ससांधन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 1500 ट्यूबवेल बनाने में विभाग ने 70 करोड़ खर्च कर दिए लेकिन लोगों तक पानी नहीं पहुंचा। इसके पीछे कारण सिर्फ इतना है कि सारी तैयारी करके अधिकारी बिजली कनेक्शन देना भूल गए। बताते चलें कि विभाग में मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी व सचिव डॉ. समित शर्मा पर है।
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अब पानी के लिए मानसून का इंतजार
आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि सरकार ने मार्च के पहले सप्ताह में पेयजल संकट से निपटने के लिए 175 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। इस काम को अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा कर देना था। इसके बावजूद इंजीनियरों की लापरवाही के कारण इस काम के पूरा होने में अभी लगभग तीन से चार महीने और लगेंगे। यानी यह काम अब अगस्त महीने तक पूरा हो पाएगा। मतलब साफ है कि इस योजना से मानसून आने के बाद ही जनता को पानी मिल पाएगा।
6 दिन में कैसे होगा अस्सी फीसदी काम
गौरतलब है कि राज्य के मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जलदाय विभाग की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई है। विभाग के सचिव समित शर्मा ने कंटिंजेंसी प्लान का काम 31 मई तक पूरा करने की डेटलाइन दी है। इससे पहले सरकार ने आकस्मिक कार्यों को मार्च के पहले सप्ताह में मंजूरी दे दी थी। हालांकि 20 फीसदी काम होने में ही 75 दिन लग गए। अब लोग कह रहे हैं कि अगले छह दिन में 80 फीसदी काम कैसे पूरा होगा।
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जिलाधिकारियों की रिपोर्ट में समर कंटिंजेंसी प्लान का हाल
यहां यह जानना जरूरी है कि राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों की अनुशंषा पर 358 आकस्मिक कार्यों के लिए सरकार ने 23.66 करोड़ मंजूर किए थे। ढाई महीने बाद भी 123 काम पूरे नहीं हुए हैं। सबसे खराब हालत बांसवाड़ा, झालावाड़, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, व धौलपुर जिलों की है। इन जिलों में स्वीकृत किए गए कोई काम पूरे नहीं हुए।
पीएचईडी विभाग की लापरवाही
राज्य सरकार के पीएचईडी विभाग के इंजीनियरों का नब्बे फीसदी काम बाकी हैं। सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के लिए 138.33 करोड़ की लागत से 497 कार्य तय किए थे। इसी तरह शहरी क्षेत्र के लिए 21 कार्य तय किए गए थे जिनपर 13 करोड़ खर्च होना था । अब आलम यह है कि 497 में से अबतक मात्र 48 काम ही पूरे हो पाए हैं। सबसे खराब प्रदर्शन जालोर, डीडवाना , नागौर व जैसलमेर जिलों का है।
राज्य के मुख्य अभियंता ने क्या कहा
राजस्थान सरकार के चीफ इंजीनियर के डी गुप्ता ने बताया है कि ‘‘सरकार ने 573 ट्यूबवेल के लिए 53.80 करोड़ रुपए और 1825 हैंडपंप के लिए 23.26 करोड़ और स्वीकृत किए हैं। नागौर,डीडवाना, अजमेर, टोंक व जालोर में काम बहुत कम हुए हैं। कलेक्टर की स्वीकृति, हैंडपंप मरम्मत के काम 10-15 दिन में हो जाएंगे। आचार संहिता के कारण देरी हुई है।"
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