बांसवाड़ा में आमने-सामने हुए आदिवासी और पुलिस, परमाणु प्लांट के लिए जमीन खाली कराने गई पुलिस पर पथराव!
Banswara Nuclear Power Plant (मृदुल पुरोहित)। बांसवाड़ा-रतलाम मार्ग पर बनने वाले परमाणु बिजलीघर के लिए पूर्व में अवाप्त की गई जमीन को खाली कराने के लिए गए प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ा। गुस्साए ग्रामीणों ने मौके पर पथराव कर दिया, जिससे एक पुलिसकर्मी को गंभीर चोट आने पर जिला अस्पताल भेजा गया। हालात संभालने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। मौके पर तनाव के हालात हैं और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
बांसवाड़ा में माही परमाणु बिजलीघर का निर्माण होना है। इसके लिए पूर्व में भूमि अवाप्त की गई थी और विस्थापित हुए लोगों को मुआवजा और आवास का आवंटन किया गया था। भूमि अवाप्ति और मुआवजा देने के बाद भी कई ग्रामीण वहीं पर ही परिवार के साथ निवासरत हैं। अब आगामी दिनों में यहां निर्माण कार्य प्रस्तावित है। इसके लिए अवाप्त की गई भूमि पर खाली करवाने शुक्रवार को प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मय जाब्ते पहुंचे तो लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
#Banswara: बांसवाड़ा परमाणु पावर प्लांट जमीन विस्थापन पर आमने-सामने हुए आदिवासी-पुलिस
परमाणु बिजलीघर के लिए अवाप्त जमीन खाली कराने गए पुलिस बल पर ग्रामीणों का पथराव, एक पुलिसकर्मी को आई चोटें, पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, मौके पर तनाव के हालात, बड़ी संख्या में पुलिस बल… pic.twitter.com/Pvkmc7tqpq
— Rajasthan First (@Rajasthanfirst_) August 2, 2024
अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। इसी बीच कुछ लोगों ने पथराव कर दिया और खेतों की ओर भागे। इस पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस दौरान एक पुलिसकर्मी घायल हो गया, जिसे जिला मुख्यालय पर महात्मा गांधी चिकित्सालय लाकर उपचार कराया गया। मौके पर तनाव बना हुआ है और इस पर नियंत्रण के लिए अधिकारियों समेत बड़ी संख्या में पुलिस बल, क्यूआरटी के जवान तैनात किए गए हैं।
विस्थापित कर रहे विरोध
परमाणु बिजलीघर परियोजना के लिए भूमि अवाप्ति के बाद इस क्षेत्र से विस्थापित होने वाले परिवारों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के नियमानुसार अवार्ड राशि का भुगतान किया जा चुका है। इसके बाद भी कई आदिवासी परिवार ऐसे हैं, जिनका यह कहना है कि उन्हें नियमों के अनुरूप अवार्ड राशि नहीं मिली है परमाणु बिजलीघर विस्थापित संघर्ष समिति के बैनर तले वे विरोध कर रहे हैं। परियोजना के तहत विस्थापितों के पुनर्वास के लिए कॉलोनी का निर्माण भी किया है, किंतु कई परिवार इसमें रहने को तैयार नहीं हैं।
हजारों करोड़ की लागत
उल्लेखनीय है कि बांसवाड़ा जिले की छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र में केंद्र सरकार की ओर से लगभग 40 हजार करोड रुपए की लागत का परमाणु बिजलीघर बनाया जा रहा है। इसमें 700 मेगावाट के चार रिएक्टर स्थापित होंगे। इसके लिए एनपीसीआईएल (NPCIL) की ओर से भूमि अवप्ति सहित इसकी चारदीवारी निर्माण और अन्य परीक्षण के कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं। पहले जिला मुख्यालय पर संचालित एनपीसीआईएल का कार्यालय भी कुछ समय पहले रेल गांव के समीप स्थानांतरित कर दिया गया है। आगामी समय में प्रधानमंत्री की ओर से इस परमाणु बिजलीघर का मुख्य निर्माण आरंभ किए जाने के लिए शिलान्यास प्रस्तावित है।
सांसद ने भी जताया था विरोध
गौरतलब है कि बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने गत दिनों एक्स पर एक पोस्ट कर कहा था कि आदिवासी क्षेत्र दानपुर, बांसवाड़ा में जीव मात्र के लिए घातक परमाणु बिजलीघर लगाने के लिए पुलिस प्रशासन के द्वारा आदिवासी समुदाय को प्रताड़ित करना बन्द करें। आदिवासियों को प्रताड़ित करना अब नहीं सहा जाएगा।
बीएपी पदाधिकारी सहित कुछ लोग पुलिस हिरासत में
इधर इस मामले में कोतवाली पुलिस ने भारत आदिवासी पार्टी के हेमंत राणा सहित कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। वहीं मौके पर मौजूद महिलाओं को भी बांसवाड़ा रतलाम मुख्य मार्ग से हटाया जा रहा है।
553 हेक्टेयर क्षेत्र में निर्माण प्रस्तावित
बांसवाड़ा में सितंबर में राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एमबीआरएपीपी) का काम शुरू होना है। यह 1,366.49 एकड़ (553.00 हेक्टेयर) क्षेत्र में बनाया जाना है। इस परियोजना की क्षमता 2800 मेगावाट होगी।
415 करोड़ का मुआवजा वितरित
परमाणु बिजली घर का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले इस क्षेत्र में आने वाले 6 गांवों बारी, सजवानिया, रेल, खड़िया देव, आडीभीत और कटुम्बी में रहने वाले करीब 3 हजार लोगों को विस्थापित किया जाना है। इन परिवारों को सरकार द्वारा 415 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जा चुका है। इसके बदले में 553 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है। इन गांवों से विस्थापित होने वाले लोगों के लिए पास के खड़िया देव में 60 हेक्टेयर जमीन मकान बनाने के लिए चिन्हित की गई है।
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