"2047 तक भारत जल सुरक्षित राष्ट्र..." सीआर पाटिल बोले- अगर तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए हुआ तो उसमें भारत नहीं होगा
Udaipur State Water Ministers Conference: राजस्थान के झीलों की नगरी कहे जाने वाले उदयपुर में राष्ट्रीय जल मिशन, जल शक्ति मंत्रालय की ओर से मंगलवार को अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन का आगाज हुआ. इस सम्मेलन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्यों के जल मंत्री मौजूद रहे. कोड़ियात में अनंता रिसोर्ट में हो रहे इस 2 दिवसीय सम्मेलन में देश के जल संकट और बारिश के पानी संचय को लेकर मंथन किया जा रहा है. इस सम्मेलन में अलग-अलग राज्यों के 41 मंत्री, 41 सचिव और 300 अन्य इंजीनियर और अधिकारी शामिल होने के लिए पहुंचे हैं.
इस मौके पर सीआर पाटिल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने कहा था कि तीसरा विश्व युद्ध होगा वो पानी के लिए होगा लेकिन मैं मानता हूं कि तीसरा विश्व युद्ध अगर पानी के लिए हुआ तो भारत उसमें कहीं नहीं होगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पानी का प्रबंध हम विश्व युद्ध के पहले कर लेंगे.
जल जीवन मिशन से आज 15 करोड़ लोगों को घरों में शुद्ध पानी दिया जा रहा है - सीआर पाटिल
उदयपुर में अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों के दूसरे सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने कहा - स्वच्छता की क्रांति ने बच्चों के जीवन पर गहरा असर डाला, पहले, गंदगी और खुले में… pic.twitter.com/ieWqsITjGk
— Rajasthan First (@Rajasthanfirst_) February 18, 2025
वहीं अपने संबोधन में राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि पीएम मोदी ने अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाकर देश की जल समस्याओं को समझा है. उन्होंने कहा कि हम नदियां, पहाड़ों और पेड़ों की पूजा करते आए हैं ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम इनको संरक्षित भी करें क्योंकि जहां पानी होगा वहीं विकास की धारा बहेगी.
"राजस्थान को हम देंगे सबसे ज्यादा पानी"
वहीं पाटिल ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने स्वच्छता के बाद पानी को लेकर जो जल जीवन मिशन शुरू हुआ है उससे एक नई क्रांति आई है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी ने कहा था कि नदियों को जोड़ना चाहिए और उनकी कल्पना को हम साकार करने की कोशिश कर रहे हैं. पाटिल ने कहा कि देश में राजस्थान में पानी की कमी रहती है ऐसे में आने वाले दिनों में राम जल सेतु लिंक परियोजना (पीकेसी-ईआरसीपी) से सबसे ज्यादा पानी राजस्थान को मिलेगा और हम आने वाली पीढ़ी के लिए जल संचयन का भी काम करना चाहिए.
पाटिल ने आगे कहा कि पीएम मोदी के 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने के विजन पर हम लगातार काम कर रहे हैं जहां जल जीवन मिशन के तहत अब देश के 15 करोड़ घरों में शुद्ध पानी उपलब्ध हो रहा है और पानी की शुद्धता को जांचने के लिए 25 लाख महिलाओं को किट और प्रशिक्षण दिया जा चुका है. वहीं इस तरह से हम बारिश के पानी के लिए जल संग्रहण के लिए कैच द रैन का अभियान भी चला रहे हैं.
"जहां पानी...वहां विकास"
वहीं इस दौरान सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाकर देश की जल समस्याओं को समझा है कयोंकि जहां पानी होगा वहीं विकास होगा. सीएम ने कहा कि हमें पानी के संरक्षण को लेकर रोड मैप तैयार करना होगा और यह 2047 तक जो प्लानिंग है ठीक उसी तरह हमें लंबी योजनाएं बनाकर आने वाली पीढ़ी के लिए जल संचयन करना होगा. वहीं सीएम ने कहा कि राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा है जिसके माध्यम से प्रदेश के 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 3 करोड़ से ज्यादा आबादी को पेयजल उपलब्ध करवाया जाएगा. वहीं उन्होंने आगे कहा कि कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी प्रदेश के 60 हजार गांवों में भूजल पुनर्भरण के लिए रिचार्ज वैल बनाने में योगदान दे रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को विकास एजेंडे में दी सर्वाच्च प्राथमिकता
सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में जल आत्मनिर्भरता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री ने देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के रूप में एक भगीरथी प्रयास किया है, जिसका लाभ आज राजस्थान के भी करोड़ों लोगों को मिल रहा है. राज्य सरकार शेष परिवारों को नल कनेक्शन देने के लिए भी तेजी से काम कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश के विकास एजेंडे में सर्वाच्च प्राथमिकता दी है तथा इस सबंध में एक अलग से जलशक्ति मंत्रालय भी बनाया जिससे जल से संबंधित परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सके.
राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राम जल सेतु लिंक परियोजना प्रदेश की जीवन रेखा है तथा इसके माध्यम से प्रदेश के 17 जिलों में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई और 3 करोड़ से अधिक आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा. उन्होंने कहा कि कर्मभूमि से मातृभूमि कार्यक्रम के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी प्रदेश के 60 हजार गांवों में भूजल पुनर्भरण हेतु रिचार्ज वैल बनाने में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए कम पानी में उगने वाली फसलों, शहरी जल प्रबंधन, सीवरेज के पानी के शुद्धिकरण एवं पुनः उपयोग के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग, जल गुणवत्ता और स्रोतों की निगरानी के लिए तकनीक का उपयोग सहित विभिन्न कदम उठा रही है.
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