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उदयपुर के जंगल में ‘आग की सुनामी’! 7 पॉइंट्स पर विकराल लपटें, तबाही थमने का नाम नहीं ले रही

राजस्थान के दिल उदयपुर में स्थित सज्जनगढ़ सेंचुरी इस समय आग की लपटों में घिरी हुई है।
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Udaipur News: राजस्थान के दिल उदयपुर में स्थित सज्जनगढ़ सेंचुरी इस समय आग की लपटों में घिरी हुई है। 4 मार्च को शुरू हुई यह आग दो दिन बाद विकराल रूप ले चुकी है, जिससे जंगल के कई हिस्से चपेट में आ गए। हालात इतने बेकाबू हो गए कि प्रशासन को रिहायशी इलाकों को खाली कराना पड़ा। कलेक्टर, एसपी और DFO खुद मौके पर पहुंचे और राहत कार्य की कमान संभाली।

सिर्फ दो साल पहले इसी इलाके में लगी भीषण आग को बुझाने के लिए सेना का हेलीकॉप्टर बुलाना पड़ा था, और अब इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। (Udaipur News)आग इतनी तेजी से फैली कि दमकल विभाग, वन विभाग और पुलिस महकमे को फुल एक्शन मोड में आना पड़ा। लगातार जलते जंगलों की लपटें हरियाली को निगलती जा रही हैं, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि वन्यजीवों के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है।

क्या इस आग पर समय रहते काबू पाया जा सकेगा, या एक बार फिर सेना को मोर्चा संभालना पड़ेगा? उदयपुर के इस प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? प्रशासन की चुनौती बढ़ती जा रही है और आग पर नियंत्रण पाने की जद्दोजहद जारी है...

ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट से लगी आग?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सेंचुरी के गोरेला पॉइंट पर लगे ट्रांसफॉर्मर में शॉर्ट सर्किट होने से आग लगने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही, सूखी झाड़ियों और गर्म मौसम के कारण भी जंगलों में आग लगने की संभावना बनी रहती है।

उदयपुर के जिला कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि प्राकृतिक कारणों से जंगल में आग लगती है, लेकिन कुछ ग्रामीण परंपराओं के कारण भी जानबूझकर आग लगाई जाती है। प्रशासन जल्द ही जांच कर स्पष्ट कारणों का पता लगाएगा और लोगों को जागरूक करने का प्रयास करेगा।

बंदर की छलांग से लगी आग!

गोरेला चौकी के पास बिजली लाइन में स्पार्किंग से सूखी घास में आग लग गई थी। एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक बंदर ने ट्रांसफॉर्मर पर छलांग लगाई, जिससे यह घटना हुई। हालांकि, सही कारणों की पुष्टि आग पूरी तरह बुझने के बाद ही हो सकेगी।

बायो पार्क के वन्यजीवों पर मंडराया खतरा, आग ने बायो पार्क के एनक्लोजर को घेरा सज्जनगढ़ सेंचुरी की तलहटी में स्थित बायो पार्क तक आग पहुंच गई थी। आग अगर पिंजरों और एनक्लोजर तक पहुंचती तो लोमड़ी, तेंदुए और अन्य वन्यजीवों को भारी नुकसान हो सकता था।

महिला कर्मचारियों की लगी 24 घंटे की ड्यूटी

आग बायो पार्क तक न पहुंचे, इसके लिए महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। पूरे समय उनकी मॉनिटरिंग जारी रही, ताकि जैसे ही आग और बढ़े, तत्काल कार्रवाई हो सके।

5 फायर स्टेशनों से जुटा दमकल दस्ता, लगातार चली फायर ब्रिगेड की गाड़ियां नगर निगम के 5 फायर स्टेशनों से दमकल गाड़ियां मंगवाई गईं। सुंदरवास, पारस तिराहा, अशोकनगर, पानेरियों की मादड़ी, गांधी ग्राउंड से करीब 60 दमकलकर्मी आग बुझाने में जुटे।

आग बुझाने के लिए पास के रिसॉर्ट से पानी लाया गया, लेकिन दमकलों की लगातार जरूरत के चलते रिसॉर्ट का सारा पानी खत्म हो गया। वन्यजीवों और पर्यावरण को नुकसान रेंगने वाले जीव आग की चपेट में आए रिटायर्ड सहायक वन संरक्षक डॉ. सतीश कुमार शर्मा के अनुसार, पक्षी उड़कर बच जाते हैं, लेकिन सांप, छिपकलियां और जमीन पर चलने वाले कछुए आग की चपेट में आ सकते हैं।

सेंचुरी में मौजूद एप्लुडा म्यूटिका नामक घास बेहद हल्की और जल्दी जलने वाली होती है। यह आग पकड़ने के बाद तेजी से सुलगती और बार-बार भड़कती रहती है, जिससे आग बुझाने में दिक्कतें आईं। अब सवाल यह है कि क्या इस आग पर जल्द ही काबू पाया जा सकेगा, या प्रशासन को और कड़े कदम उठाने पड़ेंगे?

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