Udaipur Foundation Day : 471 साल का हुआ उदयपुर, यहां अंग्रेजों को हुआ रुमानी अहसास, मुगलों को मिली मात
Udaipur Foundation Day : उदयपुर। राजस्थान का सबसे खूबसूरत शहर उदयपुर आज 471 साल का हो गया है। यह राजस्थान का इकलौता शहर है जिसकी नेचुरल ब्यूटी लोगों के बीच आज भी सेंटर ऑफ अट्रेक्शन बनी हुई है। तो यहां की वीर गाथाएं सुनकर 400 साल बाद भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उदयपुर की स्थापना पर जानते हैं यहां के कुछ खास किस्से, जो इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं।
पांच झीलों के बीच बसा है उदयपुर
नीली झीलों और अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा उदयपुर पूर्व का वेनिस कहा जाता है। यह शहर पिछोला, फतेहसागर, उदयसागर, जयसमंद और राजसमंद झीलों के बीच बसा हुआ है। इसके अलावा सहेलियों की बाड़ी और सिटी पैलेस भी इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इसकी खूबसूरती के अंग्रेज प्रशासक जेम्स टॉड भी मुरीद थे। उन्होंने उदयपुर को रुमानी शहर बताया था।
आखातीज को बसाया था उदयपुर
उदयपुर नगर को महाराणा उदय सिंह ने बसाया था जो महाराणा प्रताप के पिता थे। हालांकि उदयपुर की स्थापना 15 अप्रैल 1553 को हुई या 1559 में आखातीज पर यह नगर बसा। इसे लेकर इतिहासविद एक राय नहीं हैं। लेकिन सर्वमान्य रुप से आखातीज को उदयपुर का स्थापना दिवस माना जाता है। लिहाजा आज उदयपुर अपना 471वां स्थापना दिवस मना रहा है।
सबसे पहले बना मोती महल
इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा का कहना है महाराणा उदय सिंह अपने पौत्र के जन्म के बाद एकलिंगनाथ के दर्शन करने कैलाशपुरी गांव आए थे। उस समय मुगलों की वजह से महाराणा राजधानी के लिए सुरक्षित जगह तलाश रहे थे। यह जगह उन्हें मुफीद लगी। इसके बाद उन्होंने राय मशविरा कर यहां सबसे पहले मोतीमहल का निर्माण कराया और इस तरह उदयपुर की स्थापना हुई। काफी सालों तक उदयपुर ही मेवाड़ की राजधानी रहा।
5 हजार साल पहले भी सभ्यता
उदयपुर शहर भले ही 471 साल पहले अपने अस्तित्व में आया हो। मगर यहां 5 हजार साल पहले भी सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं। सुखाड़िया विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुंजन आचार्य बताते हैं कि 5 हजार साल पहले भी आयड़ नदी के पास सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं। ऐतिहासिक तथ्यों से जाहिर होता है कि यह इलाका 18वीं सदी तक कई बार बसा और उजड़ा। इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू का कहना है कि यहां की पहाड़ियां कुछ इस तरह की हैं कि यहां पनाह लेने वाला बच जाता है, तो अनजान व्यक्ति फंस जाता है।
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अकबर मर गया, पर जीत नहीं पाया
उदयपुर सिर्फ अपनी खूबसूरती ही नहीं बल्कि शौर्य और बलिदान के लिए भी मशहूर है। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने यहां मुगलों को कई बार मात दी थी। कहा जाता है 1568 में अकबर ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया था। मगर महाराणा प्रताप ने उदयपुर में उसे नहीं घुसने दिया। अकबर की 1605 में मौत हो गई। इससे पहले उसने उदयपुर पर कई आक्रमण किए, लेकिन हर बार महाराणा प्रताप ने उसे धूल चटाई और अकबर का उदयपुर जीतने का ख्वाब अधूरा ही रह गया।
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