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समरावता थप्पड़कांड की जांच को अफसर पहुंचे, कलेक्टर-अधिकारी घंटों बैठे...लेकिन गांव लोगों ने किया बॉयकॉट

समरावता हिंसा की सरकार के निर्देश पर अजमेर संभागीय आयुक्त ने जांच कर जनसुनवाई की जिसमें समरावता के ग्रामीण शामिल नहीं हुए.
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Tonk Samravta News: राजस्थान के टोंक जिले का समरावता मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है. हाल में हाईकोर्ट ने थप्पड़ कांड के मुख्य आरोपी नरेश मीणा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. वहीं इधर भजनलाल सरकार के निर्देश पर अजमेर संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा टोंक पहुंचे और प्रशासनिक जांच कर समरावता के ग्रामीणों के साथ एक जनसुनवाई रखी लेकिन उसमें गांव का एक भी शख्स शामिल नहीं हुआ.

जानकारी के मुताबिक संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा ने कलेक्टर सौम्या झा और एसपी के साथ सर्किट हाउस में बैठक की लेकिन ग्रामीण अनुपस्थित रहे. इसके बाद आयुक्त ने अधिकारियों के बयान दर्ज किए और उनसे फीडबैक लिया. बता दें कि ग्रामीणों की मांग थी कि आयुक्त जांच के लिए समरावता गांव में आएं.

वहीं समरावता के लोगों ने एक वीड़ियो संदेश जारी कर संभागीय आयुक्त को गांव पहुंचकर जांच की मांग की थी. मालूम हो कि ग्रामीण न्यायिक जांच की मांग और समरावता के लोगों के नुकसान की भरपाई करने की मांग लगातार कर रहे हैं.

"संभागीय आयुक्त गांव में आए"

दरअसल अपने एक दिवसीय दौरे पर संभागीय आयुक्त महेश शर्मा दोपहर 12 बजे टोंक पहुंचे थे जहां उन्हें समरावता प्रकरण की जनसुनवाई करनी थी लेकिन ग्रामीणों ने इससे दूरी बना ली. वहीं वापस जाते समय संभागीय आयुक्त ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि समरावता उपद्रव मामले की प्रशासनिक जांच के लिए पहली बार टोंक आए हैं और आज अधिकारियों से रिपोर्ट ली है.

शर्मा के मुताबिक सभी तथ्यों की जानकारी जुटाकर रिपोर्ट तैयार की जाएंगी और जरूरत पड़ी तो समरावता जाकर भी मौका स्थिति देखेंगे. वहीं इस मामले में कोई भी व्यक्ति अपनी मांग रखना चाहता है तो एफिडेविट देकर अपनी मांग रख सकता है.

राष्ट्रीय आयोग की टीम ने भी थी जांच

समरावता प्रकरण को लेकर दिल्ली तक शिकायते जाने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम ने दो दिन टोंक मे रहकर इस मामलें की जांच की थी। पहले दिन प्रशासनिक, पुलिस व अन्य अधिकारी-कर्मचारियों से बात करने के बाद टीम के सदस्य निरुपम चकमा माना था है कि 13 नवम्बर 2024 जिला प्रशासन और पुलिस अधिक गंभीरता और योजनाबद्ध तरीके से काम करते तो संभवत यह घटनाक्रम नहीं होता। इसके बाद अगले दिन टीम ने समरावता जाकर इस ग्रामीणों से उनकी शिकायतें व मांगे सुनी थी।

महापंचायत में सरकार को ललकार

इस बीच सरकार की ओर से मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और जवाहर सिंह बेढम ने समरावता का दौरा कर प्रशासनिक जांच और मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया. इस बीच ग्रामीणों का आंदोलन जारी रहा. लोगों को जेल से रिहाई को लेकर आंदोलन हुआ. नगरफोर्ट में कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल, प्रताप सिंह खाचरियावास, करणी सेना अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना समेत बड़ी संख्या में नेताओं और हजारों समर्थकों ने महापंचायत कर सरकार को मामले में संवेदनशीलता दिलाने की मांग की.

क्या है ग्रामीणों की मांगें?

समरावता के लोग झूठे केस वापस लेने ग्रामीणों को हुए नुकसान की भरपाई, आगजनी में वाहनों के जलने का मुआवजा, नरेश मीणा की रिहाई और बेवजह समरावता के लोगों को परेशान नहीं करने की मांग गांव वाले कर रहे हैं. गौरतलब है कि देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान 13 नवबर को मतदान दिवस के दिन समरावता में थप्पड़कांड हुआ था. निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ने के बाद कई घंटों तक चली गहमागहमी के बाद उपद्रव, लाठीचार्ज, पत्थरबाजी और आगजनी हुई, करीब 60 लोगों को गिरफ्तार किया..‌जिसके बाद नरेश मीणा की गिरफ्तारी हुई.

-(टोंक से कमलेश कुमार की रिपोर्ट)

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