कला शिक्षकों की सुनो सरकार! टोंक में भर्ती की मांग पर अनूठा प्रदर्शन, CM और शिक्षामंत्री को लगाई गुहार
Tonk News: राजस्थान में पिछले ढाई दशकों से कला शिक्षकों के पद सृजित कर भर्ती शुरु करवाने की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन एक बार फिर टोंक से शुरू हुआ है। टोंक से लेकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति भवन तक प्रदेश के कला अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के लिए कई सालों तक चला यह आंदोलन 2008 में भी टोंक से ही शुरु हुआ था। शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में कक्षा फर्स्ट से दसवीं तक अनिवार्य कला शिक्षा (चित्रकला व संगीत) विषय के बिना शिक्षण, पुस्तक, बिना सैद्धांतिक व प्रायोगिक उत्तर पुस्तिकाओं और बिना कला शिक्षकों फर्जी मूल्यांकन की किया जा रहा है.
वहीं सोमवार को टोंक जिला कलेक्ट्रेट पर करीब 5 मीटर लंबे कैनवास पर चित्र उकरते हुए और संगीत पर नृत्य करते हुए शिक्षकों ने अपनी आवाज बुलंद की। ये शिक्षक 3 दशकों से राजकीय स्कूलो में कला व चित्रकला विषय में किए जा रहे फर्जी मूल्यांकन पर रुकवाकर कला शिक्षकों की भर्ती करवाने की मांग कर रहे है। जिलेभर से आए कला अभ्यर्थी घंटाघर के पास एकत्रित हुए और वहां धरना देने के बाद बेरोजगार कला शिक्षक अभ्यर्थी 5 मीटर कैनवास पर चित्र बनाकर और संगीत गायन, वीणा, हारमोनियम, ढोलक, तबला सहित वाद यन्त्रों के साथ एक दिवसीय कलात्मक धरना-प्रदर्शन किया।
वरिष्ठ डॉ. हनुमान सिंह खरेड़ा, महेश गुर्जर ने बताया कि राजस्थान के राजकीय स्कूलों में कक्षा 1 से 10 तक अनिवार्य कला शिक्षा का शिक्षण नहीं कराया जाता है। न कला शिक्षा की पुस्तक उपलब्ध है, न ही कला शिक्षकों के पद सृजित और भर्ती हो रही है। उसके बाद भी नामांकित लाखों विद्यार्थियों को 100 अंको का बिना सैद्धांतिक, प्रायोगिक परीक्षा कराकर फर्जी अंको का मूल्यांकन कर अंक तालिका में ग्रेड जारी की जाती है। इस फर्जी ग्रेडिंग के कारण बच्चों को सृजनात्मक, रचनात्मकता आनन्दमय शिक्षण नहीं मिल पा रहा है। विद्यार्थी में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
हर साल दी जा रही कला शिक्षक की डिग्री
आंदोलन संयोजक (चित्रकार) महेश गुर्जर ने बताया कि हर साल हजारों अभ्यर्थियों को कला शिक्षक डिग्री दी जा रही है, लेकिन राजस्थान का शिक्षा विभाग कला शिक्षकों के द्वितीय व तृतीय श्रेणी पद सृजित कर भर्ती नहीं करने के कारण बेरोजगार कला शिक्षक अभ्यर्थियों में भारी रोष है, इसी को लेकर 2008 में आंदोलन की शुरुआत टोंक से हुई थी। जिसमें टोंक के जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक ही नही प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के नेताओ-अधिकारियों और देश के राष्ट्रपति तक अपनी मांग रखी रखी जा चुका है।
वहीं प्रदेश में सरकारें बदलती रही, लेकिन शिक्षा अपनी हठधर्मिता पर अडा है। आज एक बार फिर से टोंक में घण्टाघर पर जिले के चित्रकला, संगीत कला के अभ्यर्थी एकत्रित हुए और सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक धरना देने के बाद शान्तिपूर्ण कलात्मक प्रदर्शन करने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व शिक्षामंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
कला शिक्षकों की क्या है मांग?
बरोजगार कला अभ्यर्थियों ने सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 10 तक हो रहे फर्जी मूल्यांकन पर तत्काल रोक लगाने, अनिवार्य कला शिक्षा, चित्रकला व संगीत विषय के शिक्षण के लिए अलग से कला शिक्षकों के पद सृजित कर नियमित भर्ती शुरू करवाने, कक्षा 9वी व 10वीं की अनिवार्य कला शिक्षा (चित्रकला व संगीत) पुस्तक "कला कुन्ज" को निशुल्क वितरण सूची में शामिल कर सरकारी स्कूलो में हर साल नामांकित विधार्थियो की संख्या के आधार पर पुस्तक मुद्रण व वितरण करवाने, केन्द्र सरकार द्वारा भेजे गये बजट से राजकीय विद्यालयों में तैयार आर्ट एण्ड क्राफ्ट रूमों में विद्यार्थियो के लिए कला शिक्षा शिक्षण शुरू करवाने, कक्षा 6, 7 व 8 में अनिवार्य कला शिक्षा की एनसीईआरटी पुस्तकों को लागू कर मुद्रण व निशुल्क वितरण आदि सात सूत्रीय मांगों के निस्तारण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से मांग की है।
कला शिक्षा की राजस्थान में बहुत बुरी स्थिति!
चित्रकार महेश गुर्जर ने बताया कि 1992 में जारी एक आदेश ने प्रदेश की राजकीय विद्यालयों में कला शिक्षकों के पद समाप्त कर कला शिक्षकों (चित्रकला व संगीत) के द्वितीय व तृतीय श्रेणी पदो भर्ती बन्द कर दी थी। इससे राजकीय विद्यालयों में कला शिक्षा चित्रकला, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला सहित विभिन्न विधाओं में सिखाने वाला कोई दक्ष कला शिक्षक अनुदेशक पद सृजित ही नहीं है जिसे राजकीय विद्यालयों में कला शिक्षा का शिक्षण 33 वर्ष से बन्द है
5000 आर्ट रूम को आज भी कला शिक्षकों इन्तजार
चित्रकार महेश गुर्जर ने बताया कि प्रदेश में कला शिक्षा के शिक्षण के लिए केन्द्र सरकार ने आर्ट एण्ड क्राफ्ट बनाने के लिए राजस्थान सरकार शिक्षा विभाग को करोड़ों का बजट भेजकर लगभग 5000 आर्ट एण्ड क्राफ्ट तैयार कराये है ताकि बच्चों को कलाओं की शिक्षा उन आर्ट एण्ड क्राफ्ट रूम में मिले आज वह आर्ट एण्ड क्राफ्ट रूम किसी अन्य कार्य में काम आ रहे है बिना कला शिक्षकों के बिना उनकी उपयोगिता नज़र नहीं आ रही है
बिना शिक्षण के हर साल हो रहा मूल्यांकन
राजकीय विद्यालयों में भले ही कला शिक्षकों के पद सृजित भर्ती या नियुक्ति नही हो, न कला शिक्षा की पुस्तक हो न शिक्षण हो लेकिन शिक्षा विभाग ने प्रायोगिक, और सैद्धांतिक के लिए 100 अंको मूल्यांकन होकर अंक तालिका में ग्रेड जारी है! मजबूरी में स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को यह मूल्यांकन करना पड़ता है। कला विशेषज्ञों की कमेटी कला शिक्षकों के पद सृजित कर भर्ती की अनुशंसा कर चुंकी है।
राजस्थान में पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से दसवीं तक कला शिक्षकों को भर्ती की मांग की जा रही है। जबकि हरियाणा, उत्तराखंड उत्तरप्रदेश, गुजरात, बिहार, दिल्ली सहित सभी राज्यों और केन्द्रीय, नवोदय विद्यालयों व अन्य राज्यों में है कला शिक्षकों के पद सृजित है लगातार भर्ती होकर कला शिक्षकों को नियुक्ति मिल रही है