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टोंक में अजीबोगरीब मामला! ना कोई बीमारी, ना कोई हमला...बाड़े में मरी पड़ी मिली कई भेड़, लाखों में थी कीमत

Tonk News: टोंक जिले की सोप उप-तहसील मुख्यालय में 14 भेड़ और 2 मेमनों सहित 16 मवेशी मृत पाए जाने के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई. जानकारी के मुताबिक भेड़ों को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी और...
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Tonk News: टोंक जिले की सोप उप-तहसील मुख्यालय में 14 भेड़ और 2 मेमनों सहित 16 मवेशी मृत पाए जाने के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई. जानकारी के मुताबिक भेड़ों को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी और ना ही किसी जंगली जानवर के हमले का कोई निशान मिला है. मंगलवार को सुबह जब पशुपालक ने अपने बाड़े में जाकर देखा तो उसके होश उड़ हो गए. इसके बाद सूचना पशु चिकित्सकों को दी गई जो मौके पर पहुंचे और भेड़ों की मौत कारणों का पता लगा रहे हैं.

दरअसल मामला सोप उप-तहसील के मोहम्मदपुरा पंचायत के विस्थापित आनंदीपुरा (मोहम्मदपुरा) गांव का है जहां रात में पशुपालक धर्मसिंह ने सभी भेड़ों को बाड़े में बन्द किया था लेकिन जब अल सुबह पशुपालक ने बाड़े में देखा तो वहां का नजारा देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. वहां उसे 2 मेमनों सहित 16 भेड़ें मृत पड़ी हुई थी.

इसके साथ ओर दो अन्य भेड़ें नाजुक हालत में थी. घटना की जानकारी मिलते ही गांव के लोगों का बाड़े के आसपास मजमा लग गया. बताया जा रहा कि पशुपालक भेड़ों को जंगल से चराकर शाम को लाया था और बाद में सभी भेड़ों को बाड़े में बन्द किया था. वहीं पशुपालक का कहना है कि किसी भी भेड़ों का बीमा नहीं करवाया हुआ था.

पोस्टमार्टम के बाद सामने आएगी वजह

पशु चिकित्सक आशीष गुप्ता ने मौके पर पहुंचकर भेड़ों के शव का पोस्टमार्टम किया और उनका कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि आखिर इन भेड़ों की मौत कैसे हुई. इधर भेड़ों की मौत के बाद भेड़ पालक ने मुआवजे की मांग करते हुए प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. घटना स्थल पर पटवारी अजय कुमार बैरवा,पशु चिकित्सक दिनेश चौधरी भी पहुंचे.

वहीं सरपंच प्रतिनिधि उच्छव लाल मीणा ने बताया कि पशुपालक धर्म सिंह इन भेड़ों को पालकर ही अपनी आजीविका चला रहा था और इनकी मौत से उसे 1 लाख 68 हजार रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है. इसके अलावा परिवार का भरण-पोषण व आजीविका चलाने के लिए पशु पालक धर्मसिंह डेढ महीने पहले ही 24 भेड़ें 2 लाख 88 हजार रुपए में खरीदकर आया था. अब सरपंच और ग्रामीणों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है ताकि पशुपालक को आर्थिक सहायता मिल सके.

पॉइजनिंग का लग रहा मामला

वहीं पशु चिकित्सक डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया है कि शुरूआती तौर पर मामला पॉइजन का लग रहा है जहां मृत भेड़ों के मुंह पर सफेद झाग नजर आ रहे थे. जंगल में आजकल पशुपालक जानवरों को चरने के लिए जंगल में खुला छोड़ देते हैं जहां जंगल में जहरीले पेड़-पौधे खाने और जंगल में तालाब,नालों का पानी पीने से भी मौत हो सकती है लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता है क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही एक साथ भेड़ों के मरने के कारणों का पता चल पाएगा.

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