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Tonk: वो शहर जहां कुरआन सिर्फ पढ़ा नहीं, बल्कि दिलों में बसाया जाता है, रमजान में होता है रोशन!

माहे रमज़ान में विशेष रूप से पढ़े जाने वाली तरावीह की नमाज़ मेें हाफिजों का अपना अलग ही महत्व रहा है।
05:12 PM Mar 05, 2025 IST | Rajesh Singhal

Tonk News: माहे रमज़ान में विशेष रूप से पढ़े जाने वाली तरावीह की नमाज़ मेें हाफिजों का अपना अलग ही महत्व रहा है। टोंक राज्य का एक ऐसा शहर है, जहां सबसे ज्यादा कुरआन कंठस्थ करने वाले हाफिज़ हैं। यहां 3 हजार से ज्यादा हाफिज़ मौजूद हैं। इनमें से 500 से अधिक हाफिज़ माहे रमज़ान में होने वाली तरावीह की नमाज़ में कुरआन सुनाते हैं। (Tonk News)कई हाफिज़ गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी कुरआन की तिलावत के लिए जाते हैं।

कई जवाब भी थे हाफिज

राजपूताना रियासत काल में कई नवाब भी हाफिज़ थे। नवाब वजीरुद्दोला, इब्राहिम अली खां, सआदत अली खां ने भी कुरआन कंठस्थ किया था। टोंक रियासत दीनी तालीम के लिए पूरे देश में मशहूर थी। खाड़ी देशों से भी तालिबे इल्म यहां पढ़ने आते थे। उस दौर में मुस्लिम समाज के दो-तीन घरों के बीच एक हाफिज़ जरूर होता था। हालांकि अब यह स्थिति नहीं है। लेकिन आज भी राज्य में सबसे ज्यादा हाफिज़ टोंक में ही हैं।

300 से ज्यादा मस्जिदें हैं टोंक में

रमज़ान में इनमें हाफिज़ तरावीह की नमाज़ अदा कराते हैं। कई घरों में भी हाफिज़ कुरआन की तिलावत करते हैं। मुफ्ती आदिल नदवी के मुताबिक, टोंक में 3 हजार हाफिज़ हैं। इनमें से 500 से ज्यादा हाफिज़ जिले और राज्य के बाहर भी कुरआन सुनाने जाते हैं। कई जगह घरों में भी तरावीह की नमाज़ में हाफिज़ कुरआन सुनाते हैं।

कौन होता है हाफिज़

जो बिना देखे कुरआन कंठस्थ कर ले, उसे हाफिज़ कहा जाता है। अधिकतर मदरसों में 7-8 साल से 15-16 साल की उम्र तक के बच्चे कुरआन याद कर लेते हैं। प्रति वर्ष करीब 100 से अधिक तालिबे इल्म कुरआन कंठस्थ कर लेते हैं।

मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान में दुनिया की सबसे बड़े साइज की कुरआन मौजूद है। इसकी लंबाई 10 फीट 5 इंच और चौड़ाई 7 फीट 6 इंच है। मौलाना जमील के मुताबिक, 2014 से अब तक 12 लाख से ज्यादा देश-विदेश के लोग इसे देख चुके हैं।

(टोंक से कमलेश कुमार महावर की रिपोर्ट)

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