Tonk Land Fraud: भू-माफियाओं का फर्जीवाड़ा, फर्जी रजिस्ट्री करवा हड़पी जा रही जमीनें
Tonk Land Fraud: कमलेश कुमार महावर। ग्रामीण क्षेत्रों में लठ के दम पर लोगों की जमीनों पर कब्जा करने के तो कई मामलें सामने आ रहे है, लेकिन टोंक में आजादी के समय हुए बंटवारे में पाकिस्तान से भारत वापस आए लोगों को सरकार ने जमीन आंवटित की थी। ऐसी ही 20 बीघा जमीन का फर्जी रजिस्ट्रीयां तैयार करने के कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगे हैं। मामला उजागर होने के बाद पहले कलेक्टर तो उसके राजस्व विभाग ने टीम गठित कर दी है।
दरअसल मामला टोंक जिले के अरनिया केदार गांव का है, जहां पहमल नाम के एक व्यक्ति के पास करीब 20 बीघा जमीन है, पर उसका कोई वारिस नहीं होने से वह भूमि गुमनाम है। यहां कुछ भूमाफियाओं ने पहमल नाम के एक फर्जी आदमी (जयपुर में ब्रह्मपुरी के रहने वाले ओमप्रकाश) के आधार कार्ड को स्केन कर पहमल कर दिया। पहमल का जन्म आधार कार्ड के अनुसार 1962 में हुआ, लेकिन हकीकत में पहमल को जमीन 1947 में अलाट हो चुकी थी, 1970 में सेटलमेंट के समय 18 साल के उम्र बिना नाम ही नहीं आएगा, जबकि फर्जी पहमल 1970 में 8 साल का था।
उप रजिस्ट्रार और पटवारी की भी मिलीभगत
यह मामला तब उजाकर हुआ टोंक शहर के ही मराठा कॉलोनी निवासी रामधन चौधरी ने पिछले दिनों इसकी जानकारी कलेक्टर को दी थी। जिसमें टोंक पंचायत समिति प्रधान सुनीता गुर्जर, कांग्रेस नेता और प्रधान पति अरनिया केदार सरपंच हंसराज गुर्जर, नगर परिषद टोंक के कांग्रेस पार्षद राहुल सैनी समेत छह लोगों पर जाली दस्तावेज के जरिए फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराने की शिकायत कलेक्टर से की गई। शिकायत कर्ता ने तहसीलदार समेत उप रजिस्ट्रार और पटवारी पर भी मिली भगत का आरोप लगाते हुए सीएम से पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
राजस्व विभाग ने की टीम गठित
टोंक तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत अरनिया केदार में फर्जी दस्तावेज से रजिस्ट्री की शिकायत के बाद प्रदेश के राजस्व मंत्री हेमंत मीना ने जिला कलेक्टर टोंक को जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही जांच रिपोर्ट समेत दस्तावेज मांगे गए हैं। अतिरिक्त जिला कलक्टर बीसलपुर हरिताभ आदित्य के नेतृत्व में जांच कमेटी बनाई गई है। इसमें दूनी तहसीलदार रामसिंह मीना, पीपलू पटवारी नरेन्द्र दहिया तथा टोंक पटवारी सुरेश चौधरी को शामिल किया है। यह टीम सम्पूर्ण मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी।
फर्जी नाम के व्यक्ति को मिलती है पेंशन
फर्जी पहमल बनने वाले व्यक्ति के आधार कार्ड नंबर की तलाश कर जांच की गई, तो सामने आया कि इस आधार कार्ड वाले शख्स को पेंशन मिलती है और उसका असली नाम ओमप्रकाश है। यही आधार नंबर एक जन आधार कार्ड में अटैच है, इसमें भी इसका नाम ओमप्रकाश है। पूरे मामले में सामने आया है कि ये मामला सिर्फ 20 बीघा का ना होकर सैकड़ों बीघा का है। ईसरदा बांध में आ रही जमीनों का मुआवजा पाने के लिए बड़े लेवल पर फर्जीवाड़ा हुआ है।
अन्य पंचायतों में फर्जीवाडे की संभावना
कलेक्टर ने अरनिया केदार समेत आस पास की ग्राम पंचायतों में भी फर्जीवाड़े की संभावना जताई और पूरा राजस्व रिकार्ड चैक कर रिपोर्ट मांगी। जांच कमेटी के आदेश जारी कर बताया कि भू- अभिलेख क्षेत्र बम्बोर के पटवारी मंडल अरनिया केदार, बम्बोर, सोरण, इस्लामपुरा में आवंटित जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर भू- माफियाओं ने छल कपटपूर्वक पहचान छुपा कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर फर्जी रजिस्ट्रीयां कराई जा रही है।
कलेक्टर ने बताया कि फर्जी रजिस्ट्री के मामले में पीड़ित ही एफआईआर दर्ज कराता है और सिविल कोर्ट में मामला जाता है। इस मामले में जमीन का मालिक पहमल की जानकारी नहीं है। ऐसे में सरकार ही सिविल कोर्ट में रेफरेंस देगी और एफआईआर भी दर्ज कराएगी।
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