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Tonk APRI Crisis: फारसी में भागवत...दुनिया की सबसे बड़ी कुरान...फिर बंद होने के कगार पर क्यों दुर्लभ ग्रंथों वाला शोध संस्थान?

Tonk APRI Crisis: टोंक। देश- दुनिया के दुर्लभ ग्रंथों को सहेजने वाला टोंक का विश्व प्रसिद्ध मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी- फारसी शोध संस्थान का अस्तित्व खतरे में है(Tonk APRI Crisis)। शोध संस्थान को संभालने के लिए 45 लोगों का...
05:41 PM Sep 16, 2024 IST | Kamlesh Kumar Mahawer

Tonk APRI Crisis: टोंक। देश- दुनिया के दुर्लभ ग्रंथों को सहेजने वाला टोंक का विश्व प्रसिद्ध मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी- फारसी शोध संस्थान का अस्तित्व खतरे में है(Tonk APRI Crisis)। शोध संस्थान को संभालने के लिए 45 लोगों का स्टाफ स्वीकृत है, मगर यहां महज 11 ही कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें से कुछ कर्मचारी आगामी सालों में सेवानिवृत हो जाएंगे। मगर अभी तक यहां स्टाफ की नियुक्ति को लेकर नियम नहीं बने हैं, ऐसे में नए कर्मचारियों की नियुक्ति के अभाव में इस संस्थान पर संकट मंडरा रहा है।

शोध संस्थान में मौजूद दुर्लभ साहित्य

लेखक एम. असलम का कहना है कि यह संस्थान देश के चार प्रमुख संस्थानों में शामिल है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इसमें रखे दुर्लभ ग्रंथ टोंक रियासत के तीसरे नवाब मोहम्मद अली बनारस से लाए थे। संस्थान में ऐतिहासिक इस्लामी पांडुलिपियों, दस्तावेजों, पुस्तकों और दुर्लभ कलाकृतियों का भंडार है। दुनिया की प्राचीन कुरान की प्रतिलिपि है।महाभारत का फारसी अनुवाद है। ईरान के 74 बादशाहों की जीवनी की पुस्तक और बगदाद के मशहूर डाकू हलाकू की ओर से दर्जला नदी में पुस्तकों से बनाए गए पुल में डाली गई किताबों में से एक किताब भी यहां रखी है।

दुनिया की सबसे बड़ी कुरआन भी मौजूद

APRI में दुनिया के सबसे बड़े साइज की कुरआन उपलब्ध है। इसके अलावा फारसी में हस्तलिखित रामायण और महाभारत सहित कई धर्म ग्रंथ हैं। दर्शनशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणित, विज्ञान की सैकडों साल पुरानी दुर्लभ पुस्तकें हैं। यहां कैलीग्राफी कला के नमूने भी देखे जा सकते हैं। इनमें कई पुस्तकें दुनिया में और कहीं नहीं हैं। इन दुर्लभ साहित्य को देखने के लिए यहां 50 से ज्यादा देशों के शोधार्थी आ चुके हैं।

APRI के अस्तित्व पर क्यों मंडरा रहा खतरा?

इस विश्व प्रसिद्ध अरबी-फारसी शोध संस्थान (APRI) में स्टाफ की कमी की वजह से कई कक्ष बंद हैं। मगर भर्ती नियम नहीं बनने की वजह से नई भर्ती नहीं हो पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि भर्ती नियमों की प्रक्रिया चल रही है।  मगर 10 साल से यही बात दोहराई जा रही है। भैरोसिंह शेखावत के समय 4 दिसंबर 1978 को बने इस संस्थान में स्वीकृत 45 पदों में से अब सिर्फ 11 कर्मचारी हैं। इनमें कई कर्मचारियों अगले दो साल में सेवानिवृति हो जाएंगे। ऐसे में इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराता दिख रहा है।

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