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तेजा दशमी: वीर तेजाजी की निर्वाण स्थली सुरसुरा, गौ भक्त ने यहीं दिया था बलिदान

Teja Dashami Festival (किशोर सोलंकी) अजमेर। अजमेर जिले के किशनगढ़ के समीप सुरसुरा गांव में इस समय वीर तेजाजी का भव्य मेला आयोजित हो रहा है। वीर तेजाजी की निर्वाण स्थली के रूप में विख्यात इस गांव में मेला शुरू...
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Teja Dashami Festival (किशोर सोलंकी) अजमेर। अजमेर जिले के किशनगढ़ के समीप सुरसुरा गांव में इस समय वीर तेजाजी का भव्य मेला आयोजित हो रहा है। वीर तेजाजी की निर्वाण स्थली के रूप में विख्यात इस गांव में मेला शुरू होने से 15 दिन पहले ही धार्मिक उल्लास और श्रद्धा का माहौल बन जाता है।(Teja Dashami Festival)

वीर तेजाजी का महत्व और मेला

सुरसुरा गांव, वीर तेजाजी की निर्वाण स्थली होने के कारण पूरे वर्ष श्रद्धालुओं की आवाजाही का केंद्र बना रहता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को यहाँ विशाल मेला लगता है, जो राजस्थान ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्तों को आकर्षित करता है। इस दिन लाखों लोग इस पावन स्थल पर अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए आते हैं।

सुरसुरा का नामकरण: एक दिलचस्प कथा

सुरसुरा का नामकरण एक प्रचलित दंतकथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, वीर तेजाजी के बलिदान के बाद, एक खाती सुर्रा बैलगाड़ी लेकर गांव से जा रहा था। रात में चोर उसके बैल चुरा ले गए, लेकिन चोर बैलों को दूर नहीं ले जा पाए और वीर तेजाजी के धाम की दिव्यता महसूस की। चोरों ने बैल वापस कर दिए और सुर्रा अपने परिवार के साथ यहीं बस गया। इस घटना के बाद गांव धीरे-धीरे बस गया और आज भी पुरानी पीढ़ी गांव को सुर्रा के नाम से पुकारती है, जबकि आम भाषा में इसे सुरसुरा के नाम से जाना जाता है।

वीर तेजाजी की ऐतिहासिक यात्रा

मंदिर समिति के पदाधिकारी के अनुसार, वीर तेजाजी का जन्म 9वीं सदी में नागौर जिले के खरनाल में हुआ था। सुसराल पनेर में आराम कर रहे तेजाजी ने एक गुर्जर महिला की गायों को चोरों से छुड़ाने का वचन दिया। वीर तेजाजी ने किशनगढ़ के समीप चोरों से युद्ध किया और गायों को छुड़ाया, हालांकि एक गाय का बछड़ा चोरों के पास ही रह गया।(Surasura Fair 2024)

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