राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

ब्रह्माकुमारीज...आध्यात्मिकता, शिक्षा और नारी सशक्तिकरण का अनोखा संगम, जो बदल रहा है दुनिया

इसी संकल्प को साकार करने के लिए वर्ष 1937 में हीरे-जवाहरात के प्रसिद्ध व्यापारी दादा लेखराज कृपलानी ने नारी सशक्तिकरण की नींव रखी।
01:14 PM Mar 08, 2025 IST | Rajesh Singhal

Sirohi News: नारी नरक का द्वार नहीं, बल्कि समाज का ताज है। नारी अबला नहीं, सबला है। इसी संकल्प को साकार करने के लिए वर्ष 1937 में हीरे-जवाहरात के प्रसिद्ध व्यापारी दादा लेखराज कृपलानी ने नारी सशक्तिकरण की नींव रखी। उन्होंने अपनी संपत्ति बेचकर एक ट्रस्ट बनाया और इसकी संचालन जिम्मेदारी महिलाओं को सौंप दी। (Sirohi News) संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका जयंती दीदी के अनुसार, ब्रह्माकुमारी संस्थान दुनिया का एकमात्र ऐसा संगठन है, जिसका नेतृत्व पूरी तरह महिलाओं द्वारा किया जाता है। यहां बहनें प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं और संगठन की सारी जिम्मेदारियों को संभालती हैं।

शिक्षा...योग का अद्भुत संगम

संस्थान में चौथी कक्षा से लेकर पीएचडी धारक बहनें समर्पित रूप से कार्य कर रही हैं। यहां की पूर्व मुख्य प्रशासिका स्व. दादी जानकी, जिन्होंने केवल चौथी तक शिक्षा ली थी, ने 90 वर्ष की उम्र तक 100 से अधिक देशों में भारतीय आध्यात्म और राजयोग का प्रचार किया।

संस्थान से जुड़ना आसान है, लेकिन ब्रह्माकुमारी बनना कठिन। किसी भी महिला को तीन साल की परीक्षात्मक अवधि के बाद सात साल तक संस्थान के नियमों का पालन करना पड़ता है, जिसके बाद ही उसे ब्रह्माकुमारी के रूप में स्वीकार किया जाता है।

 आत्म-सुधार का माध्यम

संस्थान की मुख्य शिक्षा राजयोग पर आधारित है। यहां सात दिन का नि:शुल्क राजयोग मेडिटेशन कोर्स कराया जाता है, जिसमें आत्मा-परमात्मा का सत्य परिचय, कर्मों की गति, ध्यान विधि और पवित्रता का महत्व बताया जाता है।

आज यह संस्थान 140 देशों में फैला हुआ है और 5,000 से अधिक सेवाकेंद्र संचालित कर रहा है। करीब 50,000 ब्रह्माकुमारी बहनें समर्पित रूप से सेवा कर रही हैं, जबकि 20 लाख से अधिक विद्यार्थी नियमित रूप से सत्संग में भाग लेते हैं।

संयुक्त राष्ट्र से सम्मान

संयुक्त राष्ट्र ने 1981 और 1986 में संस्थान को ‘शांतिदूत पुरस्कार’ से नवाजा। 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीके शिवानी दीदी को ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ प्रदान किया।

संस्थान के संस्थापक दादा लेखराज ने अपनी पूरी संपत्ति त्यागकर माताओं और बहनों को नेतृत्व सौंपा। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि जब नारी को अवसर मिलता है, तो वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती है।

( सिरोही से अनिल रावल की रिपोर्ट)

यह भी पढ़ें: IIFA Jaipur 2025: 25वीं वर्षगांठ पर जयपुर में भव्य आयोजन, यह है कार्यक्रम का पूरा शेड्यूल

यह भी पढ़ें: पति गया, नौकरी छोड़ी, ससुराल ने अपनाने से इंकार किया….फिर भी मजबूत इरादों से बढ़ती रहीं!

 

Tags :
bk shivanibk shivani didibrahmakumariesBrahmakumaris NewsInspiring Women StoryMotivational StoryNari Shaktiom shantisirohi newsSirohi UpdatesSocial ChangeStruggle to SuccessSuccess JourneyWomen EmpowermentWomen Upliftmentनारी उत्थानप्रेरणादायक कहानीप्रेरणादायक महिलामहिला शक्तिमहिला सशक्तिकरणसंघर्ष से सफलतासफलता की कहानीसमाज में परिवर्तनसिरोही अपडेट्ससिरोही समाचार
Next Article