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'पवनपुत्र' के आदेश से रिजल्ट का ऐलान, बोर्ड अध्यक्ष का बयान हुआ वायरल, इंटरनेट पर खलबली!

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज का हालिया बयान एक मजेदार और विवादित बयान बन गया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर हलचल मच गई है।
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RSSB Chairman Alok Raj: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज का हालिया बयान एक मजेदार और विवादित बयान बन गया है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर हलचल मच गई है।(RSSB Chairman Alok Raj) दरअसल, आलोक राज ने एक मजाकिया अंदाज में अभ्यर्थियों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "अब पवनपुत्र की आज्ञा कौन टाले?" उनका यह बयान राजस्थान में पशु परिचर भर्ती के नतीजों का इंतजार कर रहे लाखों अभ्यर्थियों के लिए नया विवाद खड़ा कर गया है।

पवनपुत्र की आज्ञा से रिजल्ट की तारीख तय!

दरअसल, नंदकिशोर समरिया नामक एक व्यक्ति ने आलोक राज को मजाक करते हुए एक पोस्ट लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि हनुमान जी उनके सपने में आए और बोले कि 25 मार्च तक पशु परिचर भर्ती के नतीजों का ऐलान कर दिया जाए। इस पोस्ट का आलोक राज ने जवाब देते हुए लिखा, "नंदकिशोर जी, संयोग से कल पवनपुत्र मेरे भी सपने में आए और बोले कि आज के युवा धैर्य रखना नहीं चाहते। सब कुछ 2 मिनट नूडल्स की तरह चाहते हैं, तो उन्हें थोड़ा धीरज सिखाओ और रिजल्ट 3 अप्रैल से पहले मत देना। हो सके तो 3 मई तक खींचना। अब पवनपुत्र की आज्ञा कौन टाले?"

अभ्यर्थियों की नाराजगी....

इस मजाकिया लहजे में दिए गए जवाब ने राजस्थान के अभ्यर्थियों में नाराजगी पैदा कर दी है। उनका कहना है कि पशु परिचर भर्ती के नतीजों में पहले ही काफी देरी हो चुकी है, और अब बोर्ड के अध्यक्ष का इस तरह का बयान उनके लिए और भी निराशाजनक साबित हुआ है। कई अभ्यर्थी इस बयान को उनकी भावनाओं का मजाक उड़ाने के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि वे लंबे समय से रिजल्ट के इंतजार में हैं और अब इस तरह के जवाब ने उनकी स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।

राजस्थान चयन बोर्ड का अगला कदम क्या होगा?

अब सवाल यह है कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड इस विवादित बयान के बाद कब और कैसे परिणाम जारी करेगा। क्या बोर्ड अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा और इसे जल्द घोषित करेगा, या यह विवाद और गहरा होगा? इस समय, यह देखना होगा कि राजस्थान सरकार और बोर्ड इस मामले पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे और क्या अभ्यर्थियों को उनके अधिकार समय पर मिलेंगे।

इस मजाकिया बयान ने जहां एक ओर सोशल मीडिया पर हलचल मचाई, वहीं दूसरी ओर अभ्यर्थियों की चिंता और बढ़ा दी। अब सवाल यह है कि क्या बोर्ड और आलोक राज इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे और क्या उन्हें अभ्यर्थियों की भावनाओं को समझने की कोशिश होगी।

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