RPSC Paper Leak: पेपर लीक कांड के बाद RPSC को ‘भंग करो’ की मांग, लेकिन आयोग को भंग करना क्यों मुश्किल? यहां समझें
RPSC Paper Leak: एसआई भर्ती पेपरलीक मामले में आरपीएससी सदस्य रामू राम राईका की गिरफ्तारी के बाद आयोग को भंग करने से जुड़े विवाद ने सियासत को गर्मा दिया है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने भी RPSC को जल्द भंग करने की जोरदार मांग की है। लेकिन इस भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। पायलट की मांग पर जवाब देते हुए कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा, "अगर भंग करना है, तो पायलट ही इसका रास्ता बताएं!
RPSC को भंग करना: क्या यह सच में संभव है?
राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करना आसान नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह एक संवैधानिक संस्था है जिसे भंग करने के लिए एक जटिल और लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। राज्य सरकार के पास इसे भंग करने का अधिकार नहीं है। इसके लिए प्रस्ताव राज्यपाल को भेजना पड़ता है और राष्ट्रपति की मंजूरी भी आवश्यक होती है।
पेपर लीक कांड: देश भर में गूंजे विवाद, लेकिन आयोगों को नहीं किया गया भंग
उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार जैसे राज्यों में भी पेपर लीक के मामले सामने आए हैं, लेकिन किसी राज्य के लोक सेवा आयोग को अब तक भंग नहीं किया गया है। राजस्थान में भी पूर्व में कई बार आयोग को भंग करने की मांग उठ चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
RPSC अध्यक्ष या सदस्य को हटाने का अधिकार: केवल राष्ट्रपति के पास
RPSC के अध्यक्ष या सदस्य को बर्खास्त करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास होता है। राज्य सरकार या राज्यपाल इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। यदि कोई गंभीर आरोप सिद्ध होता है, तो राष्ट्रपति ही तय करेंगे कि किसी सदस्य को पद से हटाना है या नहीं।
RPSC पर उठे गंभीर आरोप: अतीत में भी विवाद और इस्तीफे
RPSC पर पहले भी पेपर लीक और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। 2014 में पूर्व अध्यक्ष हबीब खान गौरान पर भी इसी तरह के आरोप लगे थे, जिसके कारण उन्हें अपने कार्यकाल से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, आयोग को भंग करने की मांग पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
भंग की मांग और सुधार: कौन सा विकल्प सही?
विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग को भंग करने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। इसके बजाय, यह जरूरी है कि आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार किया जाए और ईमानदार और योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति की जाए। इसके बिना, केवल आयोग को भंग करने से समस्याएं खत्म नहीं होंगी। राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे पर तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, और यह देखना बाकी है कि इस सियासी तूफान के बीच वास्तविक सुधार की दिशा क्या होगी।
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