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Alwar News: अलवर में 3 तीन सौ साल पुराना भगवान जगन्नाथ का मंदिर, पुरी की तर्ज पर निकल रही 170 से रथयात्रा

Alwar News: अलव। भगवान जगन्नाथ का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में उड़ीसा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का स्मरण आता है। राजस्थान प्रदेश के अलवर शहर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। जो कि करीब तीन सौ साल पुराना...
04:48 PM Jun 23, 2024 IST | Prashant Dixit

Alwar News: अलव। भगवान जगन्नाथ का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में उड़ीसा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का स्मरण आता है। राजस्थान प्रदेश के अलवर शहर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। जो कि करीब तीन सौ साल पुराना है। हर साल पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर अलवर शहर में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकलती है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ की दूल्हा रूप में श्रृंगारित प्रतिमा इंद्रविमान रथ में शहर का भ्रमण कर रूपबास स्थित वनबिहारी जी के मंदिर में पहुंचती है। यहां भगवान जगन्नाथ का माता जानकी के साथ विवाह उत्सव मनाया जाता है। जिसमें अलवर शहर के निवासी बाराती और रूपबास के लोग घराती की रस्म अदा कर कन्यादान करते हैं।

हर साल भगवान जगन्नाथ महोत्सव

इस विवाह उत्सव का मुख्य आकर्षण वनबिहारीजी के मंदिर में भगवान जगन्नाथ और माता जानकी का मध्य रात्रि को होने वाला वरमाला महोत्सव रहता है। इस उत्सव के साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी एवं जिले भर से लोग मौजूद रहते हैं। इस साल 15 जुलाई को रथ यात्रा और 17 जुलाई को वरमाला महोत्सव होगा। जगन्नाथ मंदिर के महंत धर्मेन्द्र शर्मा ने बताया कि अलवर स्टेट की स्थापना के समय से ही अलवर के पुराना कटला में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। यहां पिछले 170 सालों से भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा निकाली जा रही है। अलवर में पाण्डुपोल हनुमान, भर्तृहरि और भगवान जगन्नाथ का मेला विशेष है। यहां हर साल भगवान जगन्नाथ महोत्सव मनाया जाता है।

अलवर पूर्व राजघराने का इंद्रविमान

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल मुख्य रथ इंद्रविमान के नाम से जाना जाता है। यह विशेष रथ पूर्व अलवर राजघराने का है। रियासकालीन समय में र​थ का उपयोग तत्कालीन महाराजा विशेष त्योहारों पर सवारी के लिए करते थे। पूर्व में इंद्रविमान को हाथियों से खींचा जाता था। तथा अन्य रथों को बैल से खींचते थे। अब रथ को टैक्टरों से खींचा जाने लगा है। यह इंद्रविमान रथ करीब 150 साल पुराना है। इसके पहियों आदि की मरम्मत के लिए मालाखेड़ा के पास के विश्वकर्मा को बुलाया जाता है। महंत ने बताया कि अलवर (Alwar) में यह मंदिर जमीन से करीब 30 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू स्थापत्य शैली में निर्मित है।

भगवान जगन्नाथ की चल-अचल प्रतिमाएं

इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की 2 प्रतिमाएं स्थापित हैंं। जिनमें से एक चल है। वहीं दूसरी अचल है। मंदिर में रामजी और जानकीजी की प्रतिमाएं भी विराजमान है। यहां पर भगवान जगन्नाथ की एक प्रतिमा गर्भ ग्रह के सामने दिखाई देती है, दूसरी बूढ़े भगवान जगन्नाथ की ठीक पीछे अचल प्रतिमा हैं। जो एक जगह स्थित है। यह प्रतिमा जब भगवान जगन्नाथ रथ मे विराजमान होकर जानकीजी से विवाह के लिए जाते है। तब बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होते हैं। मंदिर के महंत ने बताया कि जब दर्शनार्थी भगवान जगन्नाथ (Alwar) की आंखों में आंखें मिलाकर दर्शन करते हैं। तो आत्म विभोर हो जाते हैं। यहां पर नारियल बांधने की परंपरा है।

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