Rajasthan Politics: बीएपी पर भड़के मदन दिलावर, कहा- RSS की बरसों की मेहनत पर पानी फेरा
Rajasthan Politics: जयपुर। राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अपने विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। उनके बयानों को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं। अकसर उनके निशाने पर नेहरु गांधी परिवार, कांग्रेस नेता खड़गे से लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और मुसलमान रहते हैं। बयान वो पहले भी देते रहे हैं, लेकिन अब मंत्री बनने के बाद उनके बयानों को कुछ ज्यादा तवज्जो मिलने लगी है, क्योंकि अब वे सरकार के प्रतिनिधि भी हैं। इन्ही मंत्रीजी ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है।
मंत्रीजी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया
मदन दिलावर आदिवासियों को हिंदू बताते-बताते (Rajasthan Politics)उसी स्तर पर उतर आए जिसके लिए वे जाने जाते हैं। भारतीय आदिवासी पार्टी के नेताओं को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कह दिया कि बीएपी नेता खुद को हिंदू नहीं मानते हैं तो उनके डीएनए की जांच करा लें।
दिलावर के इस बयान पर बीएपी नेता भी भड़क गए। डूंगरपुर-बांसवाड़ा के सांसद राजकुमार रोत ने मंत्री दिलावर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद मंत्री महोदय का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। रही बात डीएन चैक कराने की तो वक्त आने पर राजस्थान की जनता बता देगी , कि किसका डीएनए चैक कराने की जरूरत है।
बीएपी ने संघ की मेहनत पर फेरा पानी
दरअसल, भारतीय आदिवासी पार्टी जिस रफ्तार से जड़ें जमा रही है उससे पूरी भाजपा और संघ परिवार चिंतित है। कभी कांग्रेस का वोट बैंक कहे जाने वाले अदिवासियों के बीच भाजपा ने बड़ी मेहनत से पैठ बनाई थी। इसमें संघ से जुड़े वनवासी कल्याण परिषद सहित विभिन्न संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भाजपा और संघ परिवार की बरसों की मेहनत पर साल भर पहले बनी भारतीय आदिवासी पार्टी यानि बीएपी ने पानी फेर दिया।
डूंगरपुर-बांसवाड़ा में भाजपा ने महेंद्र जीत सिंह मालवीया को कांग्रेस से तोड़कर बड़ा दांव चला था, लेकिन फिर भी बीएपी ने भाजपा से यह सीट छीन ली। भाजपा न सिर्फ लोकसभा सीट हारी, बल्कि सीट की सभी आठों विधानसभा सीटों पर भी बीएपी से पिछड़ गई। इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी बीएपी ने तीन सीटें बांसवाड़ा जिले की चौरासी, डूंगरपुर जिले की आसपुर और प्रतापगढ़ जिले की घरियावद सीट जीती ली थी। महेंद्रजीत सिंह मालवीय की बागीदौरा सीट पर उपचुनाव में भी बीएपी ने बाजी मार ली। चार सीटों के साथ बीएपी राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
आदिवासी गोलबंद, हिंदुत्व की हवा निकली
बीएपी का विस्तार कांग्रेस से ज्यादा भाजपा की कीमत पर हो रहा है। भाजपा की चिंता यह है कि बीएपी ने आदिवासियों को गोलबंद कर उसके हिंदुत्ववादी एजेंडे की हवा निकाल दी है। बीएपी के चलते चुनाव आदिवासी बनाम अन्य वर्ग हो गए। मुसलमान भी भाजपा के खिलाफ बीएपी के साथ खड़े हो गए हैं। भाजपा के पास इसका यही तोड़ हो सकता है कि आदिवासियों को भगवा झंडे के नीचे लाया जाए। मगर उसकी राह में भारतीय आदिवासी पार्टी ही सबसे बड़ा रोड़ा है , जो मानती है कि भाजपा अदिवासियों पर हिन्दुत्व थोप रही है।
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