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क्या कोई कर रहा है 'बाबा' के खिलाफ साजिश? आसान भाषा में पूरा गणित

Kirodilal Meena: राजस्थान की सियासत में पिछले करीब 4-5 सालों से ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जहां सियासी पारा नहीं चढ़ा हो, यहां के सियासी गलियारों में आए दिन कोई ना कोई हलचल से गहमागहमी बनी रहती है. अब राजस्थान...
11:42 AM Oct 16, 2024 IST | Rajasthan First

Kirodilal Meena: राजस्थान की सियासत में पिछले करीब 4-5 सालों से ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जहां सियासी पारा नहीं चढ़ा हो, यहां के सियासी गलियारों में आए दिन कोई ना कोई हलचल से गहमागहमी बनी रहती है. अब राजस्थान में भजनलाल सरकार अपनी पहली सालगिरह के करीब है लेकिन पिछले 10-11 महीनों में कई ऐसे सियासी और सरकारी तकरारें देखने को मिली जिनसे सरकार को लगातार फजीहत का सामना करना पड़ा. सरकार के कई विभागों के तबादला आदेश जारी और निरस्त होने का सिलसिला, मंत्रियों को ओएसडी रास नहीं आना, ब्यूरोक्रेसी का मंत्री खेमे को लाल आंख दिखाने के आरोप जैसे कितने ही ऐसे मामले देखे गए जहां सरकार खुद की किरकिरी और विपक्ष के आड़े हाथों से खुद को नहीं बचा सकी.

अब ताजा मामला राजस्थान की सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरने वाले डॉ. किरोड़ीलाल मीणा से जुड़ा है जहां उपचुनाव की घोषणा से पहले एक ऐसा खेल हुआ जिसे कोई किरोड़ीलाल की सियासी ताकत से जोड़कर देख रहा है तो कोई साजिश बता रहा है.

दरअसल हुआ यूं कि प्रदेश में तबादलों पर रोक लगी है लेकिन फिर भी बीते मंगलवार को शिक्षा विभाग ने प्रिंसिपल, व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक और तृतीय श्रेणी शिक्षकों की 3-4 तबादला सूची जारी कर दी. इधर राजस्थान में उप-चुनाव को लेकर आचार संहिता लगने ही वाली थी और उससे पहले जारी हुई इन सूचियों के बाद बवाल मच गया क्योंकि प्रिंसिपल की तबादला सूची में 40 में से 26 एक ही जाति के थे और दौसा के थे जिन्हें बाड़मेर और बांसवाड़ा भेज दिया गया था.

किरोड़ी का लेटर और तबादला निरस्त!

अब इन तबादलों की जानकारी डॉ. किरोड़ी के पास पहुंचीं तो उन्होंने शिक्षामंत्री मदन दिलावर से सूचियों को लेकर आपत्ति जाहिर की और निरस्त करने की मांग की और दिलावर के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने ढाई घंटे पहले जारी की तबादला सूची निरस्त कर दी.

इधर सियासी गलियारों में ये चर्चा होने लगी कि मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भी किरोड़ी लाल मीणा का क्या दबदबा है जो वह अकेले ही पूरी सरकार पर भारी पड़ गए और कुछ ही समय में तबादले निरस्त करवा दिए लेकिन क्या वाकई दौसा में उपचुनाव को देखते हुए ये तबादला सूची जारी होना सामान्य था, एक चर्चा ये भी है कि दौसा उपचुनाव से पहले किरोड़ीलाल मीणा के प्रभाव वाले इलाके से इतनी बड़ी संख्या में तबादले क्या चुनावों से पहले किसी तरह का डेंट है?

गफलत या कुछ और...?

दरअसल 15 अक्टूबर को शिक्षा विभाग के तबादलों को उपचुनाव से जोड़ा गया क्योंकि सूची में 40 में से 39 प्रिंसिपल दौसा जिले के थे जिन्हें बाड़मेर-बांसवाड़ा भेजा गया था ऐसे में दौसा में मीणा vs बाकी का सियासी माहौल भी बन सकता था जिससे किरोड़ीलाल मीणा के भाई को सियासी नुकसान हो सकता था. मालूम हो कि किरोड़ी के भाई जगमोहन मीणा दौसा से बीजेपी के दावेदारों में से एक हैं. हालांकि बीजेपी ने अभी नाम फाइनल नहीं किए हैं.

ऐसे में क्या उनके जिले के 40 के करीब लोगों को दूर भेजकर क्या संदेश दिया जा रहा था? गौरतलब है कि तबादलों और वहां के लोकल नेता का एक कनेक्शन होता है और चुनावों से पहले तबादले सियासी नफा नुकसान के लिए करवाए जाते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे में इतनी गफलत कैसे हो गई कि किरोड़ीलाल मीणा को निरस्त करने के लिए पत्र तक जारी करना पड़ा?

मदन दिलावर vs किरोड़ीलाल मीणा...!

वहीं बीते दिन आपको याद होगा कि कृषि विभाग में इंजीनियरों के तबादले कर उन्हें जिला परिषद और पंचायत समितियों में नियुक्ति दी गई थी जहां ये आदेश उस समय के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के निर्देशों पर जारी हुए थे लेकिन कुछ ही समय बाद इन तबादला आदेशों को पंचायती राज मंत्रालय ने रोक लगा दी औऱ एक्शन तक लेने को कहा गया. इस दौरान कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के बीच विभाग में अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर टकराव की स्थिति भी देखी गई हालांकि दोनों नेताओं ने कभी इस पर कोई बयान नहीं दिया.

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