अंग्रेजों ने बनाया था रेल ट्रैक, 50 साल पहले मिट्टी में दबा, रेलवे ने सैटेलाइट से ढूंढा...अब दुनिया का चौथा फास्टेस्ट ट्रैक
Rajasthan News: शबीक अहमद उस्मानी. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी के बाद भारत चौथा ऐसा देश बनने जा रहा है, (Rajasthan News) जिसके पास हाई स्पीड ट्रेन के ट्रायल के लिए खुद का डेडिकेटेड टेस्टिंग ट्रैक होगा। भारत का यह पहला हाई स्पीड ट्रेन टेस्टिंग ट्रैक राजस्थान के नावां में बन रहा है, जिसका 95 फीसदी काम पूरा भी हो गया है। खास बात ये है कि यहां ट्रेक ठीक उसी जगह बना है, जहां अंग्रेजों ने आजादी से पहले रेल ट्रैक बिछाया था।
नावां में होगी हाई-स्पीड ट्रेनों की टेस्टिंग
भारत का पहला हाई स्पीड ट्रेन टेस्टिंग ट्रैक राजस्थान के डीडवाना- कुचामन जिले के नावां में बन रहा है। इस ट्रैक पर 220 किमी/प्रति घंटे की स्पीड वाली ट्रेनों का ट्रायल होंगे। इसके साथ ही भविष्य में इस ट्रैक पर हाईस्पीड, सेमी हाईस्पीड ट्रेन और मेट्रो ट्रेन के ट्रायल भी हो सकेंगे। अनुसंधान संगठन रिसर्च एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) के पर्यवेक्षण में यह ट्रैक गुढ़ा और ठठाना मीठड़ी के बीच बिछाया जा रहा है। ट्रैक के लिए मेजर ब्रिज का निर्माण 95 फीसदी पूरा हो चुका है। कई छोटे बड़े अंडर-ओवर ब्रिज का भी निर्माण करवाया जा रहा है।
820 करोड़ में बन रहा 64KM ट्रैक ?
820 करोड़ की लागत से बन रहे इस 64 किलोमीटर लंबे इस हाई स्पीड ट्रेन टेस्टिंग ट्रेक पर 23 किलोमीटर लंबी मुख्य लाइन होगी, जिसमें से गुढ़ा में हाई स्पीड ट्रैक का 13 किलोमीटर लंबा लूप होगा। जबकि नावां में 3 किलोमीटर का क्विक टेस्टिंग लूप और मिठड़ी में 20 किलोमीटर का कर्व टेस्टिंग लूप होगा। ट्रैक में अलग- अलग स्ट्रक्चर जैसे- पुल, अंडर ब्रिज, ओवर ब्रिज बनाए गए हैं।(Rajasthan News)
7Km रेल ट्रेक खराब क्यों बनाया ?
उत्तर पश्चिम रेलवे के चीफ पीआरओ कैप्टन शशिकिरण का कहना है कि राजस्थान में बन रहे दुनिया के चौथे हाई स्पीड ट्रेन ट्रायल ट्रैक में 7 किलोमीटर का ट्विस्ट ट्रेक भी होगा। जिसमें खराब ट्रैक बिछाया गया है। जिससे खराब ट्रैक पर ट्रेन को कितनी स्पीड में निकाला जा सकता है, इसका ट्रायल लिया जाएगा। ट्रैक के लिए बनाए गए पुलों में कंपनरोधी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है। माना जा रहा है कि यह ट्रैक दिसंबर 2025 तक पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा।
मिट्टी में दबा, सैटेलाइट से ढूंढ बनाया
खास बात ये है कि यह ट्रैक जिस जगह से गुजर रहा है। इस जगह पर अंग्रेजों ने भी सांभर झील से नमक का कारोबार करने के लिए ट्रैक बिछाया था। करीब 50 से यह लाइन मिट्टी में दबी थी। रेलवे ने सैटेलाइट की मदद से इसे ढूंढा और इसे फास्टेस्ट रेलवे ट्रैक के लिए नया नेटवर्क तैयार करने का निर्णय लिया गया।
इसके लिए उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल से पुराना रूट चार्ट निकलवाया गया। सैटेलाइट सर्वे करवाया गया और खुदाई की गई, तब यहां पुराना रेलवे का ट्रैक निकला, इसके बाद इसी ट्रैक पर नया फास्टेस्ट रेलवे टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण किया गया है।
भारत का फास्टेस्ट ट्रैक नावां का गौरव
भारत में अभी तक हाई स्पीड ट्रेनों के इंजन-कोच की ट्रायल के लिए डेडिकेटेड रेल ट्रैक नहीं था। व्यस्त ट्रैफिक वाली रूटीन लाइनों पर ही ट्रायल होता है, इसके लिए कई ट्रेनों के शेड्यूल बदलने पड़ते थे। इसलिए इस टेस्टिंग ट्रैक की जरूरत महसूस हुई। अब यह दुनिया का चौथा हाई स्पीड ट्रेन ट्रायल ट्रेक बन रहा है। जिससे स्थानीय लोग भी खुश हैं। क्षेत्रीय रेलवे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य शंकर लाल परसावत का कहना है कि डीडवाना कुचामन जिले में यह ट्रैक बनना हमारे लिए गौरव की बात है।
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