हनुमानगढ़ में भूमिहीनों को भूमि देने की अफवाह ने मचाई भगदड़, हजारों ग्रामीण पहुंचे कलेक्ट्रेट
District Collector Kanaram Statement: हनुमानगढ़ जिले में भूमिहीन परिवारों को भूमि आवंटन की अफवाह फैलने के बाद जिले में हड़कंप मच गया। हजारों की संख्या में ग्रामीण District Collectorate पहुंचे, जहां उन्हें पता चला कि यह महज एक अफवाह थी।
ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी कलेक्ट्रेट
भूमि लेने की अफवाह इतनी तेजी से फैली कि ग्रामीण अपने गांव से बाइक, ट्रैक्टर, बस और कुछ पैदल ही कलेक्ट्रेट पहुंचने लगे। नजारा बिल्कुल वैसा था, जैसे कोई बड़ी भर्ती परीक्षा में दौड़ते हुए युवा अपने सेंटर पहुंचते हैं। चार से पांच दिनों में जिला कलेक्ट्रेट में लगभग 40,000 से 50,000 फॉर्म जमा किए जा चुके थे।
अफवाह का सच आया सामने
मंगलवार को ग्रामीणों को जानकारी मिली कि राज्य सरकार की तरफ से landless families movement देने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। यह खबर सुनते ही उनके चेहरों पर मायूसी छा गई। हालांकि, Communist Party of India पिछले 10 दिनों से भूमिहीन परिवारों को भूमि दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रही थी। अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में इन परिवारों को भूमि मिल पाएगी या फिर उनका सपना अधूरा रह जाएगा।
ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन
भूमि आवंटन की अफवाह फैलने पर ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया। उन्होंने E-mitra operators complaints पर आरोप लगाए कि वे 20 रुपए लेकर फॉर्म दे रहे हैं और उन्हें धोखा दे रहे हैं। ग्रामीणों ने मांग की कि ईमित्र संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
जिला कलेक्टर का बयान
District Collector Kanaram ने बताया कि अभी तक भूमि आवंटन को लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है। हालांकि, कर्मचारियों ने ग्रामीणों से फॉर्म ले लिए हैं। यदि भविष्य में कोई आदेश आता है, तो ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी जाएगी।
ईमित्र संचालकों पर लगे आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ईमित्र संचालक 20 रुपए लेकर फॉर्म दे रहे हैं और लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना था कि वे अपने काम-धंधे छोड़कर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे, लेकिन वहां जाकर उन्हें पता चला कि भूमि आवंटन की कोई प्रक्रिया नहीं चल रही है और यह सिर्फ एक अफवाह थी।
आंदोलन और भविष्य की स्थिति
इस पूरी घटना के बाद अब देखना यह है कि क्या राज्य सरकार सच में भूमिहीन परिवारों को भूमि आवंटित करेगी या फिर यह सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगा। कम्युनिस्ट पार्टी के आंदोलन से इस मुद्दे पर और दबाव बन सकता है, लेकिन फिलहाल कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
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