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Rajasthan: संयम पथ पर राजस्थान की चार बेटियां...सैकड़ों किमी पैदल चलीं, घर वालों को मनाया, अब दीक्षा

बाड़मेर में जैन दीक्षा कार्यक्रम में चार बेटियां दीक्षा लेंगी। RAS- टीचर बनने वाली इन बेटियों ने वैराग्य पथ क्यों चुना? जानें
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Rajasthan News: राजस्थान की चार बेटियों ने संयम पथ पर चलने का फैसला किया है। इनमें से कोई बेटी RAS की तैयारी कर रही थी, किसी ने बीकॉम किया है। (Rajasthan News) मगर अब सांसारिक मोह का त्याग कर यह बेटियां संयम पथ पर बढ़ चली हैं, आज जैन संत इन चारों बेटियों को बाड़मेर में आयोजित कार्यक्रम में दीक्षा देंगे। इससे पहले यह चारों बेटियां जैन संतों के साथ कई किलोमीटर पैदल विहार भी कर चुकी हैं।

BSC कर चुकी साक्षी को क्यों भाया वैराग्य? 

संसार की मोह-माया छोड़कर वैराग्य पथ पर बढ़ने वाली बेटियां में साक्षी सिंघवी भी शामिल हैं, जो BSC कर चुकी हैं। इनके पिता का 2015 में निधन हो गया, इसके बाद साक्षी सांचौर से बेंगलुरु चली गईं। कोविड के वक्त बेंगलुरू से घर लौटीं तो साध्वी दीप्ति प्रभा का चातुर्मास चल रहा था, साक्षी भी इसमें पहुंचीं। 10 दिन तक साध्वी जीवन देखा। धर्म- ध्यान को करीब से समझा तो सांसारिक जीवन व्यर्थ लगने लगा। इसके बाद साध्वी दीप्ति प्रभा के साथ 2 हजार किलोमीटर विहार किया। अब साक्षी दीक्षा ले रही हैं।

RAS की तैयारी छोड़ संयम पथ पर भावना

भावना संखलेचा भी आर्ट में बैचलर डिग्री लेने के बाद RAS की तैयारी करना चाहती थीं, इस बीच साल 2007 में जैन संत से मिलने गईं, तो वहां शांति का अहसास हुआ। इसके बाद दीक्षा लेना का मन बना। भावना के मुताबिक वह 15 दिन के लिए गुरु मां के पास जाना चाहती थीं, घर वाले परमिशन नहीं दे रहे। मगर मैं भी अपनी बात से नहीं हटी, आखिरकार घर वालों को मुझे दीक्षा के लिए सहमति देनी पड़ी और आखिरकार आज भावना भी बाड़मेर में आयोजित कार्यक्रम में दीक्षा लेंगी।

वैराग्य पथ पर कैसे पहुंचीं निशा बोथरा?

निशा बोथरा का कहना है कि वह मम्मी की इच्छा के मुताबिक गुरुकुल आई थी, उस वक्त तक दीक्षा लेने की बात भी मन में नहीं थी। फिर गुरु विद्युत प्रभा महाराज के गुरुकुल में रहने का मौका मिला। इसके बाद दोबारा घर आने का मन ही नहीं हुआ। शॉपिंग और घूमने की शौकीन निशा कब वैराग्य की तरफ मुड गईं, उन्हें खुद इस बात का पता नहीं लगा। इसके बाद मुझे दीक्षा लेने का मन हुआ, इसके लिए मां ने तो सहमति दे दी। मगर पिता नहीं माने, बाद में मां ने पिता को भी राजी कर लिया।

टीचर बनना था अब साध्वी बनेंगी आरती

बाड़मेर की आरती बोथरा ने भी वैराग्य पथ चुना हैं। आरती बोथरा बीकॉम करने के बाद टीचर बनने की तैयारी कर रहीं थीं। इस बीच इनकी मुलाकात गुरु विद्युत प्रभा से हुई, इसके बाद इनका जीवन के प्रति नजरिया बदल गया। आरती के मुताबिक साल 2018 में उन्होंने धर्म पथ पर चलना शुरू किया। एक बार गुरु विद्युत प्रभा का विहार हुआ तो मैंने भी विहार करने के लिए रोज मंदिर जाकर बैठ जाती थी, एक बार वहीं पर रुकना चाहती थी, इस बात पर घर वाले नाराज हो गए।  मगर आखिरकार मम्मी-पापा ने सहमति दी और अब आरती दीक्षा लेकर साध्वी बनने जा रही हैं।

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