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Explained: राजस्थान में बढ़ा कांगो फीवर का खतरा... जानें इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज

Congo Fever Rajasthan: राजस्थान में कांगो फीवर का (Congo Fever Rajasthan)आतंक! जोधपुर के नांदडा कला गांव की 51 वर्षीय महिला की मौत के बाद कांगो वायरस की पुष्टि होते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। महिला को 30 सितंबर को...
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Congo Fever Rajasthan: राजस्थान में कांगो फीवर का (Congo Fever Rajasthan)आतंक! जोधपुर के नांदडा कला गांव की 51 वर्षीय महिला की मौत के बाद कांगो वायरस की पुष्टि होते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। महिला को 30 सितंबर को अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन हालत बिगड़ने पर अहमदाबाद ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुणे लैब से आई रिपोर्ट में कांगो फीवर का खुलासा होते ही राज्य में वायरस का खौफ लौट आया है, जिससे प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है!

जानिए, कैसे बचा जा सकता है इस खतरनाक वायरस से – कांगो फीवर से बचने के लिए पशुओं से दूरी बनाए रखें, खुले घाव को ढक कर रखें और संक्रमित क्षेत्रों में जाने से पहले पूरी सुरक्षा का ध्यान रखें।

क्या है कांगो फीवर?

डॉक्टरों के अनुसार, कांगो फीवर एक जानवरों में पाया जाने वाला खतरनाक वायरस है। यह वायरस मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से इंसानों में फैलता है। विशेष रूप से, यह हिमोरल नामक परजीवी के काटने से इंसानों को संक्रमित करता है, जो पशुओं की चमड़ी में मौजूद होता है।

कांगो फीवर के संक्रमण के दौरान, मरीजों में तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, और चक्कर आने जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। यदि समय पर इस बीमारी का उपचार न किया जाए, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पहले कांगो फीवर के मामले केवल अफ्रीकी और यूरोपीय देशों में ही देखे जाते थे। लेकिन अब, समय के साथ, यह वायरस एशियाई देशों में भी तेजी से फैल रहा है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

कांगो फीवर का इतिहास

इस बीमारी का पहला मामला 1944 में क्रीमिया में पाया गया था, जबकि 1969 में कांगो में इसका पहला मरीज सामने आया। कांगो फीवर का प्रकोप विशेष रूप से पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीका में अधिक देखा जाता है।

क्यों है यह बीमारी जानलेवा?

कांगो फीवर जानलेवा बीमारी है, क्योंकि इस संक्रमण के 30 से 80 प्रतिशत मामलों में मरीज की मृत्यु हो जाती है। इससे संक्रमित होने पर मरीज को तेज बुखार, आंखों में जलन, चक्कर, और मांसपेशियों में तेज दर्द जैसी समस्याएं होती हैं।

वायरस से बचने के लिए क्या सलाह दी गई है?

हाई-रिस्क इलाकों में सावधानी: कांगो फीवर वाले क्षेत्रों में जाने से पहले सावधानी बरतें।

पूरी बाजू के कपड़े: हमेशा पूरी बाजू और हल्के रंग के कपड़े पहनें, जिससे टिक्स आसानी से दिखाई दें।

कीड़ों से बचाव क्रीम: शरीर पर कीड़ों को दूर रखने वाली क्रीम लगाना न भूलें।

जानवरों से दूरी: संक्रमित जानवरों से संपर्क करने से बचें, विशेष रूप से बकरियों, गायों और भेड़ों के साथ।

स्वास्थ्य जांच: यदि आपको तेज बुखार या अन्य लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

इन उपायों का पालन करके आप कांगो फीवर के संक्रमण के खतरे को कम कर सकते हैं।

कांगो फीवर का इलाज क्या है?

कांगो फीवर का इलाज मरीज की स्थिति, मरीज कितने दिन से कांगो फीवर से जूझ रहा है, मरीज में कौन-कौन से लक्षण नजर आ रहे हैं और मरीज की उम्र क्या है इस पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से कांगो फीवर में एंटीबायोटिक दी जाती हैं, लेकिन बिना किसी डॉक्टरी सलाह के इसका सेवन खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर की मानें तो अगर आपको कांगो फीवर के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें।

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