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फीकी लगने लगी सांसारिक जीवन की माया! इंजीनियर-लेक्चरर की तैयारी कर रही 3 बेटियों ने सब कुछ छोड़ चुना वैराग्य पथ !

राजस्थान की तीन बेटियों ने इंजीनियर-लेक्चरर का सपना छोड़कर वैराग्य पथ चुन लिया। तीनों 16 फरवरी को बाड़मेर में दीक्षा लेंगी।
01:12 PM Dec 15, 2024 IST | Rajasthan First

Rajasthan News: राजस्थान की तीन बेटियां इंजीनियर, लेक्चरर बनने का सपना छोड़कर वैराग्य पथ पर बढ़ गई हैं। (Rajasthan News) सांचौर की साक्षी, बाड़मेर की निशा और भावना का सांसारिक जीवन से मोहभंग हो चुका है और अब तीनों बेटियां साध्वी बनने जा रही हैं। 16 फरवरी को बाड़मेर में आयोजित कार्यक्रम में तीनों बेटियों को दीक्षा दी जाएगी। इसके बाद यह तीनों बेटियां संयम पथ पर आगे बढ़ेंगी।

इंजीनियर नहीं अब साध्वी बनेंगी साक्षी

राजस्थान के सांचौर की रहने वाली 27 साल की साक्षी तीन भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। पिता अशोक सिंघवी का कई साल पहले निधन हो गया। दोनों भाई फैमिली बिजनेस कर रहे हैं। साक्षी भी पढ़ाई में होशियार हैं, उनका सपना इंजीनियर बनना था। मगर कोविड के दौरान पढाई में गैप आया। इस बीच वह चातुर्मास में साध्वी दीप्ति प्रभा से मिलीं और इसके बाद साक्षी का सांसारिक जीवन से मोहभंग हो गया। इस बीच BSC पूरी हो गईं, मगर अब साक्षी ने सांसारिक जीवन छोड़कर साध्वी बनने का फैसला लिया है। साक्षी 2 हजार किलोमीटर पैदल विहार भी कर चुकी है।

वैराग्य पथ पर बाड़मेर की भावना

साध्वी बनने जा रहीं 30 साल की भावना बाड़मेर की रहने वाली हैं। सोहनलाल की बेटी भावना की बचपन से ही धार्मिक प्रवृति रही है। भावना अक्सर प्रवचन सुनने जाया करती थीं, इस बीच साध्वी नित्यप्रभा और विद्युतप्रभा से मिलीं तो वैराग्य की भावना जागृत हो गई। पांच साल पहले घर वालों को बताया तो पिता राजी नहीं हुए। मगर भावना ने आखिर उन्हें मना लिया। भावना चार साल तक गुरुकुलवास में रहीं,5 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुकी हैं। अब सांसारिक जीवन का दिखावा छोड़कर साध्वी बनने जा रही हैं।

लेक्चरर बनने वाली निशा भी बनेंगी साध्वी

बाड़मेर की मूल निवासी और अभी गुजरात के डीसा में रहने वाली 25 साल की निशा बीकॉम कर चुकी हैं, लेक्चरर बनना चाहती थीं। मगर कोविड के दौरान सत्संग का प्रभाव पड़ा। साध्वी विद्युतप्रभा के संपर्क में आने से मन बदल गया। निशा को लगा कि आंतरिक खुशी के लिए वैराग्य पथ ही श्रेष्ठ है। इसके बाद निशा ने पैदल विहार किया, फिर घर वालों को अपनी इच्छा के बारे में बताया। मां ने मना किया तो उनको राजी किया और अब निशा साध्वी बनने जा रही हैं।

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