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कभी 3 साल...कभी 4 साल, सिर्फ उम्र और जगहें बदली हादसे नहीं, राजस्थान में जान ले रहे खुले बोरवेल!

Rajasthan Borewell Incident :छोटी-सी उम्र में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती तीन साल की मासूम चेतना। कोटपूतली के कीरतपुरा की बड़ियाली ढाणी में, जहां मासूम ने खेलते-खेलते एक गहरे बोरवेल में गिरकर खुद को एक अंधेरी और खतरनाक...
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Rajasthan Borewell Incident :छोटी-सी उम्र में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती तीन साल की मासूम चेतना। कोटपूतली के कीरतपुरा की बड़ियाली ढाणी में, जहां मासूम ने खेलते-खेलते एक गहरे बोरवेल में गिरकर खुद को एक अंधेरी और खतरनाक दुनिया में पाया। 700 फीट गहरे इस बोरवेल में फंसी चेतना की मासूमियत और संघर्ष ने पूरे देश का दिल दहला दिया है।

बीते 20 घंटे से भूखी-प्यासी, अंधेरे में सहमी हुई इस बच्ची को बचाने के लिए (Rajasthan Borewell Incident)एनडीआरएफ की टीम और स्थानीय प्रशासन अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। लेकिन हर गुजरते पल के साथ चेतना का दर्द, उसकी हालत, और उसकी सलामती की दुआएं पूरे देश को झकझोर रही हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन में दो बार असफल रहने के बावजूद, तीसरी बार उम्मीद का दीप जलाया गया है। देसी जुगाड़ से बच्ची को एल-बैंड की मदद से धीरे-धीरे ऊपर खींचा जा रहा है। लेकिन चुनौतियां खत्म नहीं हो रही हैं—बोरवेल के अंदर कैमरा साफ़ तस्वीर नहीं दिखा पा रहा, और अंधेरे के बीच उसकी हलचल की झलक हर किसी के दिल की धड़कनें तेज़ कर रही है।

बचपन की मासूम मुस्कानें बोरवेल के अंधेरे में खो गईं.... राजस्थान के दर्दनाक हादसे

राजस्थान में पिछले कुछ महीनों में पांच बड़े बोरवेल हादसे सामने आए हैं, जिनमें मासूम बच्चे और किसान शामिल थे। दौसा, बाड़मेर और अलवर जैसे जिलों में हुए हादसों ने कई जिंदगियां लील लीं। 25 मई और 18 सितंबर को हुए हादसों में रेस्क्यू ऑपरेशन सफल रहा और बच्चों की जान बचा ली गई। लेकिन 10 दिसंबर और 20 नवंबर को मासूमों की मौत ने दिल दहला दिया। ये घटनाएं प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी हैं।

10 दिसंबर: दौसा में 56 घंटे बाद मासूम आर्यन ने दुनिया को अलविदा कहा

दौसा जिले के कालीखाड़ गांव में 10 दिसंबर को खेलते समय मासूम आर्यन 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। 56 घंटे तक प्रशासन और रेस्क्यू टीम ने दिन-रात मेहनत की, हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन जिंदगी और मौत की इस जंग में मासूम हार गया। खराब CCTV और बोरवेल की जटिलता ने रेस्क्यू को और मुश्किल बना दिया। जब तक उसे बाहर निकाला गया, आर्यन इस दुनिया को अलविदा कह चुका था। पूरे गांव और उसके परिवार की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

20 नवंबर: गुड़ामालानी के मासूम ने दम तोड़ा

बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी में 20 नवंबर को 4 साल का मासूम खेलते-खेलते 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। पानी भरे बोरवेल में वह लगभग 6 घंटे तक फंसा रहा। प्रशासन और रेस्क्यू टीम की कोशिशें रंग नहीं ला सकीं। जब तक बच्चे को बाहर निकाला गया, उसकी नन्हीं सांसें थम चुकी थीं। उसके माता-पिता की चीखों ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया।

25 अक्टूबर: मिट्टी ढहने से किसान की जिंदगी खत्म

दौसा जिले के लालसोट क्षेत्र में 25 अक्टूबर को किसान हेमराज गुर्जर अपने खेत में बोरवेल की मरम्मत करते वक्त मिट्टी ढहने से 25 फीट गहराई में दब गए। दो घंटे की मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उनके परिवार के लिए यह एक ऐसा झटका था, जिसे वे कभी नहीं भूल पाएंगे।

18 सितंबर: नन्हीं नीरू ने मौत को मात दी

दौसा जिले के बांदीकुई क्षेत्र में 18 सितंबर को ढाई साल की नीरू बारिश के चलते धंसी मिट्टी के रास्ते 30 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। गांववालों और रेस्क्यू टीमों ने 17 घंटे तक कड़ी मेहनत की। जब बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला गया, तब हर किसी की आंखों में खुशी और राहत के आंसू थे। नीरू की जिंदगी बचने के बाद पूरे गांव में जश्न जैसा माहौल था।

28 अगस्त: मिट्टी ने छीन ली किसान की जिंदगी

रामगढ़ पचवारा के राणौली गांव में 28 अगस्त को बारिश के कारण मिट्टी ढह गई और किसान रामनिवास मीना 160 फीट गहरे बोरवेल में गिर गए। 40 फीट की गहराई में दबे रामनिवास को बचाने के लिए प्रशासन और ग्रामीणों ने पूरा जोर लगाया, लेकिन वे उनकी जिंदगी नहीं बचा सके। उनकी मौत ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया।

25 मई: मासूम गोलू की जिंदगी बचाई गई

अलवर जिले के कनवाडा गांव में 25 मई को 5 साल का गोलू 100 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। 20-25 फीट की गहराई में फंसे गोलू को रेस्क्यू टीम ने 4 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सुरक्षित बाहर निकाला। उसकी मासूम मुस्कान ने हर किसी को राहत दी। गोलू के माता-पिता की खुशी देखने लायक थी।

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