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अब राजस्थान विधानसभा में हंगामा किया तो खेल खत्म! नया नियम लागू, विधायकों की बढ़ी टेंशन

राजस्थान विधानसभा में जारी हंगामे और गतिरोध के बीच स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सख्त कदम उठाया है।
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Rajasthan Assembly Budget Session 2025: राजस्थान विधानसभा में जारी हंगामे और गतिरोध के बीच स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सख्त कदम उठाया है। सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित होने और सत्ता-विपक्ष के तीखे टकराव के कारण सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे थे। विपक्ष के लगातार विरोध और सत्ता पक्ष की जवाबी कार्रवाई के बीच लोकतांत्रिक मर्यादाओं की अनदेखी हो रही थी।

अब स्पीकर ने लोकसभा की तर्ज पर "स्वतः निलंबन" की व्यवस्था लागू कर दी है। इसके तहत यदि कोई विधायक आसन के सामने जाकर हंगामा करेगा, नियमों की अवहेलना करेगा या सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाएगा, (Rajasthan Assembly Budget Session 2025) तो बिना किसी प्रस्ताव के तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाएगा। इस फैसले का सत्ता पक्ष ने स्वागत किया है, जबकि विपक्ष ने इसे लोकतंत्र की आवाज दबाने का प्रयास करार दिया है।

स्पीकर के इस कड़े रुख के बाद विधानसभा में सियासी घमासान और तेज होने की संभावना है। अब देखना होगा कि यह फैसला सदन की कार्यवाही को सुचारू बनाने में कितना कारगर साबित होता है या फिर राजनीतिक विवाद को और हवा देता है।

6 विधायकों के निलंबन के बाद नई व्यवस्था लागू

राजस्थान विधानसभा में हाल ही में भारी हंगामे के कारण छह विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायकों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ की गई टिप्पणी के विरोध में वेल में आकर नारेबाजी की थी और स्पीकर के आसन की ओर बढ़ने का प्रयास किया था। बढ़ते गतिरोध के चलते विधानसभा में पहले प्रस्ताव लाकर इन विधायकों को निलंबित किया गया था। विपक्ष का कहना था कि उन्हें बिना किसी वॉर्निंग के निलंबन प्रस्ताव लाया गया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ था। हालांकि, अब इन विधायकों का निलंबन वापस ले लिया गया है, लेकिन इस घटना के बाद स्पीकर ने सख्त रुख अपनाते हुए नई व्यवस्था लागू कर दी है।

अब बिना वॉर्निंग होगा विधायक निलंबन

स्पीकर वासुदेव देवनानी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब सदन में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कोई विधायक आसन के सामने जाकर हंगामा करेगा, सदन की अवहेलना करेगा या फिर अनुशासनहीनता करेगा, तो उसे बिना किसी वॉर्निंग के तत्काल निलंबित कर दिया जाएगा। इसके लिए अब किसी प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं होगी। यह निर्णय लोकसभा की तर्ज पर लिया गया है, जिससे सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके।

विपक्ष ने बताया तानाशाही फैसला

भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का समर्थन किया है। सत्ता पक्ष का मानना है कि हंगामे और अनुशासनहीनता को रोकने के लिए यह कदम जरूरी था। भाजपा नेताओं ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत बहस होनी चाहिए, न कि हंगामा और नारेबाजी। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है। कांग्रेस ने इसे तानाशाही करार देते हुए कहा कि इस तरह की व्यवस्था लागू कर सरकार बहस से बचना चाहती है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार लोकतांत्रिक संवाद को खत्म कर अपनी मर्जी से फैसले थोप रही है, ताकि विपक्ष की आवाज दबाई जा सके।

सदन में बढ़ेगा टकराव या सुधरेगा माहौल?

विधानसभा अध्यक्ष के इस सख्त फैसले के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इससे सदन में अनुशासन कायम होगा या फिर सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ेगा? फिलहाल, सदन में विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है, जिससे आने वाले दिनों में विधानसभा का माहौल और गरमाने की संभावना है।

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