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गैस चेंबर बना राजस्थान! दुनिया के 25 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में 3 शहरों की एंट्री, लोगों की सेहत पर मंडराया खतरा!

राजस्थान के तीन शहरों ने दुनिया के सबसे प्रदूषित 25 शहरों की लिस्ट में जगह बना ली है, जिससे एक बार फिर बढ़ते पॉल्यूशन पर सवाल खड़े हो गए हैं।
12:38 PM Mar 12, 2025 IST | Rajesh Singhal

Rajasthan Air Pollution: राजस्थान के तीन शहरों ने दुनिया के सबसे प्रदूषित 25 शहरों की लिस्ट में जगह बना ली है, जिससे एक बार फिर बढ़ते पॉल्यूशन पर सवाल खड़े हो गए हैं। श्रीगंगानगर (16वां), भिवाड़ी (19वां) और हनुमानगढ़ (21वां) स्थान पर हैं, जो साफ दिखाता है कि प्रदेश के इन इलाकों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है।

इस चौंकाने वाली रैंकिंग को IQAir की 2024 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट में जारी किया गया है, जिसमें मेघालय का बर्नीहाट दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना, जबकि देश की राजधानी दिल्ली दूसरे नंबर पर है। (Rajasthan Air Pollution) खास बात यह है कि राजस्थान के ये तीनों शहर NCR रीजन से सटे हुए हैं, जिससे यहां प्रदूषण का स्तर अन्य शहरों की तुलना में कहीं ज्यादा है।

5.2 साल कम हो रही इंसानों की उम्र!

वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर भारी असर...IQAir की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण भारत में स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है, जिससे इंसानों की औसत उम्र 5.2 साल तक कम हो रही है। भारत के 35% शहरों में PM2.5 का स्तर WHO के मानकों से 10 गुना अधिक है।

प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसका प्रमुख कारण वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं, कंस्ट्रक्शन के दौरान उड़ने वाली धूल और फसलों के अवशेष जलाना है। दिल्ली में वाहनों से निकलने वाला धुआं सबसे बड़ा प्रदूषण कारक है, जबकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से हर सर्दियों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।

 "साफ हवा मौलिक अधिकार"

अक्टूबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि साफ हवा में सांस लेना एक मौलिक अधिकार है। इस आदेश के तहत, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे।

हालांकि, नवंबर 2024 की सुनवाई में, कोर्ट ने GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) को सही ढंग से लागू न करने पर दिल्ली के अधिकारियों की तीखी आलोचना की थी।

पॉल्यूशन लेवल कंट्रोल क्यों नहीं हो रहा?

WHO के अनुसार, 2021 में 81 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई थी, जिनमें से 58% PM2.5 के संपर्क में आने की वजह से थीं। संयुक्त राष्ट्र ने स्वच्छ हवा को एक सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषित किया है, जिससे भारत के बढ़ते वायु प्रदूषण संकट की गंभीरता उजागर होती है।

हालांकि, भारत सरकार राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) जैसे उपाय लागू कर रही है, लेकिन असंगत नीतियां, अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और प्रभावी क्रियान्वयन की कमी के कारण प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। क्या अब भी सरकार और जनता जागेगी, या आने वाले सालों में हालात और बिगड़ जाएंगे?

क्या अब भी सरकार और जनता सतर्क होगी या प्रदूषण का यह खतरा आने वाले समय में और भयावह हो जाएगा?

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