महाकुंभ में भजनलाल की आस्था की डुबकी...राजस्थान मंडप की शानदार व्यवस्थाओं पर ..'जाने क्या बोले CM
Prayagraj Mahakumbh 2025: महाकुंभ, एक ऐसा दिव्य अवसर जहां आस्था और विश्वास के समुद्र में हर कोई अपनी श्रद्धा की डुबकी लगाने आता है। 144 साल बाद तीर्थराज प्रयागराज में आयोजित इस महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ उमड़ रही है। संगम तट पर हो रहे इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल भी शनिवार को प्रयागराज पहुंचे।
अब आप सोच रहे होंगे, आखिर क्या खास है इस महाकुंभ में? तो जानिए, सीएम भजनलाल ने खुद इस आयोजन में अपनी आस्था का इज़हार किया और संगम तट पर पहुंचने से पहले राजस्थान पैवेलियन का निरीक्षण कर श्रद्धालुओं के लिए की गई(Prayagraj Mahakumbh 2025) शानदार व्यवस्थाओं की तारीफ की। उन्होंने पंडालों, प्रचार सामग्री और ठहरने की बेहतरीन व्यवस्था की सराहना की। रविवार को वह संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए तैयार हैं, और इस धार्मिक महासंगम का हिस्सा बनने का उनका सफर कई ऐतिहासिक और दिव्य क्षणों से भरा हुआ है।
यह यात्रा महाकुंभ के महत्व को और भी गहरा करती है, जहां आस्था का संगम और सच्चे विश्वास की शक्ति मिलकर एक अद्भुत रूप लेती है।
रविवार को संगम तट लगाई आस्था की डुबकी
प्रयागराज पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने महाकुंभ में राजस्थान से आने वाले तीर्थयात्रियों को योगी सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा की। उन्होंने मरुस्थलवासियों के लिए बनाए गए राजस्थान मंडप में रात्रि विश्राम भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तीर्थयात्रियों की सुविधा, सुरक्षा और स्वच्छता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने मंडप में आधुनिक सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करने और सभी व्यवस्थाओं की नियमित निगरानी करने का आदेश दिया। इस मौके पर राजस्थान के पूर्व संगठन महामंत्री और वर्तमान में तेलंगाना राज्य के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर भी मौजूद थे।
40 करोड़ भक्तों के आने की है उम्मीद
2025 प्रयाग कुंभ मेला, जिसे 2025 महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है, महाकुंभ मेले का चल रहा संस्करण है, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक भारत के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर आयोजित किया जा रहा है। यह विशेष महाकुंभ मेला 12वां कुंभ मेला है। यह मेला चक्रों के पूरा होने का प्रतीक है, जो इसे 144 साल में एक बार होने वाला आयोजन बनाता है। इस महाकुंभ में अनुमान है कि लगभग 40 करोड़ भक्तों के आने की उम्मीद है, जो इस आयोजन को एक ऐतिहासिक और धर्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण बना देता है।
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