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उदयपुर में भगवान भरोसे अस्पताल, PHC में कोई नहीं मरीज को देखने वाला....ANM बना रही मेहमानों का खाना

Udaipur News: उदयपुर। डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन कई बार इनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो जाता है। ऐसा ही कुछ मामला उदयपुर से सामने आया है। जहां शहर के समीप गांव-ढाणियों में बने...
01:34 PM Aug 05, 2024 IST | Asib Khan

Udaipur News: उदयपुर। डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन कई बार इनकी कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा हो जाता है। ऐसा ही कुछ मामला उदयपुर से सामने आया है। जहां शहर के समीप गांव-ढाणियों में बने अस्पताल भगवान भरोसे ही चल रहे है। दरअसल, उदयपुर से 15 किलोमीटर दूर बरापाल गांव में पदस्थ एएनएम अपने मेहमानों के लिए खाना बनाने में व्यस्त है और दूसरी तरफ अस्पताल में मरीज जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।

अस्पताल में नहीं था कोई डॉक्टर

दरअसल, रविवार को पैर फिसलने से घायल एक मरीज को परिजन बारापाल पीएचसी लेकर पहुंचे। जहां पूरे अस्पताल में कोई नहीं था। अस्पताल में बने एक प्लेटफॉर्म पर मरीज तड़प रहा था और परिजन डॉक्टरों को बुला रहे थे लेकिन वहां पर परिजनों की सुनने के लिए कोई नहीं था।

एएनएम मेहमानों को बना रही थी खाना

बाद में मरीज का एक रिश्तेदार अस्पताल की प्रथम मंजिल पर बने एएनएम क्वार्टर पर गया। लेकिन वहां दरवाजा बंद था। दरवाजा खटखटाने पर दो लोग बाहर आए और कहा कि मैडम अभी मेहमानों को खाना बना रही है। मरीज के परिजनों ने मिन्नतें की और कहा कि एक बार नीचे चलकर देख लो मरीज के सिर पर गंभीर घाव लगे हुए है। इसके बाद भी मरीज को देखने के लिए कोई नहीं आया। एएनएम के घर के लोग मरीज के तीमारदार पर ही बरस पड़े और कहने लगे कि इनकी ड्यूटी खत्म हो गई है।

निजी अस्पताल में कराया भर्ती

पीएचसी में किसी भी डॉक्टर के द्वारा मरीज को नहीं देखा गया। इसके बाद परिजन उसे एक निजी अस्पताल में लेकर गए। जहां उसका इलाज किया गया। कुछ दिन पहले ही शहर के पोपल्टी गांव में दूषित पानी पीने से कई लोगों की जान गई थी। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग जागा और डॉक्टर्स की टीमों को रवाना किया। जिन्होंने गांव में डेरा डाले रखा और स्थिति को काबू में लिया। यहां अस्पताल भी है और डॉक्टर भी है। लेकिन कोई भी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा है।

बीसीएमएचओ ने दिया गैर जिम्मेदाराना जवाब

जब इस मामले में बीसीएमएचओ पृथ्वीराज से बात की तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बरापाल में सीएचसी नहीं पीएचसी है, जो ओपीडी आवर्स के बाद बंद हो जाती है। उसके बाद यहां मरीजों को नहीं देखा जाता। कुछ लोग शराब पीकर एएनएम को परेशान करते है इसलिए वो नीचे नहीं आई।

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