राजस्थानराजनीतिनेशनलअपराधकाम री बातम्हारी जिंदगीधरम-करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बात

Banswara: तिरुपति मंदिर प्रसाद में मिलावट से सनातन समाज का आक्रोश, बांसवाड़ा में बोर्ड स्थापना के समर्थन में PM को ज्ञापन सौंपा, PM को ज्ञापन दिया गया

Tirupati Temple prasadam (मृदुल पुरोहित) : तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple)के प्रसाद में अपवित्र पदार्थों की मिलावट ने सनातन समाज में हड़कंप मचा दिया है।  इस घिनौने आरोप ने विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को एकजुट कर दिया, जिन्होंने बुधवार को प्रधानमंत्री...
12:46 PM Sep 25, 2024 IST | Rajesh Singhal

Tirupati Temple prasadam (मृदुल पुरोहित) : तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple)के प्रसाद में अपवित्र पदार्थों की मिलावट ने सनातन समाज में हड़कंप मचा दिया है।  इस घिनौने आरोप ने विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों को एकजुट कर दिया, जिन्होंने बुधवार को प्रधानमंत्री (Prime Minister)को ज्ञापन सौंपा, जिसमें सख्त कार्रवाई और सनातन बोर्ड (Sanatan Board) के गठन की मांग की गई। संत रामप्रकाश महाराज के नेतृत्व में इस प्रदर्शन ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कृत्यों के खिलाफ एक दृढ़ प्रतिज्ञा की है। समाज के सदस्यों का मानना है कि यह एक सुनियोजित साजिश है, जिसका उद्देश्य उनके पवित्र धर्म को कमजोर करना है।

तिरुपति मंदिर का शर्मनाक मामला

ज्ञापन में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में अभक्ष्य अपवित्र पदार्थों की मिलावट का गंभीर आरोप लगाया गया है। संत रामप्रकाश महाराज ने कहा, “यह एक धर्म विरोधी कार्य है, जो हमारे आस्थाओं को तोड़ने के लिए किया गया है।” इस गंभीर आरोप ने देश भर के सनातन धर्मियों में गहरा आक्रोश भर दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब वे अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

कठोर सजा की मांग: कोई दया नहीं

ज्ञापन में यह मांग की गई है कि इस साजिश में शामिल सभी व्यक्तियों, संस्थाओं और संरक्षकों को कठोरतम सजा दी जाए। समाज ने विशेष कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें आरोपियों को फांसी की सजा देने का प्रावधान हो। यह मांग इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सनातन समाज अपने अधिकारों और धार्मिक मूल्यों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के समझौते के लिए तैयार नहीं है।

सरकारी नियंत्रण से मुक्ति: एक नई राह

ज्ञापन में यह भी मांग उठाई गई है कि सनातन (Sanatan) और हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। यह कानून यह सुनिश्चित करेगा कि सभी देवस्थानों का प्रबंधन केवल आस्थावान सनातन धर्मावलम्बियों द्वारा किया जाए। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह न केवल उनकी आस्था की रक्षा करेगा, बल्कि पवित्र स्थलों को बाहरी प्रभावों से भी मुक्त रखेगा।

देवस्थानों में विधर्मियों का प्रवेश: अब और नहीं

ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि देवस्थानों में विधर्मियों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि श्रद्धालुओं की आस्था को किसी भी प्रकार का खतरा न हो। समाज ने संकल्प लिया है कि वे अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होंगे और किसी भी प्रकार के भेदभाव या अपमान को सहन नहीं करेंगे।

 धर्म की रक्षा के लिए एकजुटता

सनातन समाज का यह आक्रोश एक महत्वपूर्ण संकेत है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान और रक्षा करना आवश्यक है। समाज ने स्पष्ट किया है कि वे अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करेंगे। इस संघर्ष में उनकी एकता और प्रतिबद्धता उनकी धार्मिक पहचान को सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रदर्शन दर्शाता है कि सनातन समाज अपने धार्मिक मूल्यों और परंपराओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

यह भी पढ़ें :Sanchore: पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई का आमरण अनशन...बोले- सांचौर जिले का दर्जा यथावत रखने का स्पष्टीकरण दे सरकार

यह भी पढ़ें :कुछ लोग हमारे समुदाय को मानसिक रूप से गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं- राजकुमार रोत 

Tags :
Banswarabanswara news in hindiBanswara news todayCultural heritage protectionDemand For JusticeFaith and purityFaith-based governanceFaith-based unityHindu community outrageHindu religious practicesLatest Banswara NewsPrasadam controversyPreservation of traditionsPublic outrageReligious discrimination issuesReligious institutionsReligious integrityReligious purityReligious SentimentsSanatan community responseSanatan DharmaSanatan valuesSpiritual contaminationSpiritual integrityTemple administration reformsTemple food safetyTirupati Temple scandal
Next Article