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थप्पड़ की गूंज अभी बाकी! निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की जमानत क्यों बार-बार खारिज हो रही?

देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में फंसे निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है।
04:26 PM Mar 19, 2025 IST | Rajesh Singhal

Naresh Meena Case: राजस्थान की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में फंसे निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। बुधवार को हुई सुनवाई में जस्टिस अनिल उपमन की कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। (Naresh Meena Case)अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि एक जनप्रतिनिधि द्वारा चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।

सरकारी वकील ने कोर्ट में रखी मजबूत दलील

नरेश मीणा की ओर से पेश हुए वकील डॉ. महेश शर्मा ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल लंबे समय से जेल में है और यह कोई बड़ा अपराध नहीं है। उन्होंने जमानत की मांग करते हुए कहा कि नरेश मीणा को राहत दी जानी चाहिए। हालांकि, सरकारी वकील नरेंद्र धाकड़ ने इन दलीलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारी पर हमला एक गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे नेताओं को जमानत दी जाती है, तो यह गलत उदाहरण पेश करेगा और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

हिंसा और आगजनी के आरोप भी बने मुसीबत

एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद स्थिति और बिगड़ गई थी, जब नरेश मीणा के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस कार्रवाई के दौरान विवाद बढ़ गया और कई वाहनों में आग लगा दी गई। हालात इतने खराब हो गए कि पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में बड़ा बवाल खड़ा कर दिया था। चुनावी माहौल में इस तरह की हिंसा से कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठे थे।

यह पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज की हो। इससे पहले भी समरावता हिंसा मामले में उनकी अर्जी को ठुकरा दिया गया था। कोर्ट ने तब भी साफ किया था कि चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने और हिंसा भड़काने वालों को जमानत का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

अब क्या करेंगे नरेश मीणा?

अब सवाल यह उठता है कि क्या नरेश मीणा इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे या फिर जेल में रहकर ही कानूनी लड़ाई लड़ेंगे? राजनीति में खुद को स्थापित करने के लिए अपनाई गई आक्रामक रणनीति अब उनके लिए ही मुसीबत बन गई है। क्या वे इस कानूनी संकट से निकल पाएंगे या यह मामला उनके राजनीतिक भविष्य को नुकसान पहुंचाएगा? आने वाले दिनों में इस केस का अगला कदम क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।

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