"कुरजां ऐ म्हारी...." 7 समंदर पार से आए विदेशी पावणो से गुलजार जैसलमेर, अब मार्च तक यहीं रहेगा बसेरा
Rajasthan News Jaisalmer: (आसकरण सिंह) जिले का लाठी गांव सात समंदर पार से आए विदेशी पावणो से गुलजार होने लगा है। साइबेरिया से हजारों किलोमीटर की दूरी कर कुरजां पक्षी लाठी पहुंच गए हैं और यहां के तालाबों के पास अपना बसेरा बसाने की जुगत में लगे हैं। अब प्रजनन तक यह यहीं रुकेंगे, बच्चों के बड़े होने पर उनके साथ ही कुरजां की भारत से विदाई होगी।
साइबेरिया से जैसलमेर पहुंचे कुरजां पक्षी
भारत से हजारों किलोमीटर दूर साइबेरिया से हर साल हजारों कुरजां पक्षी प्रजनन के लिए भारत आते हैं। राजस्थान का लाठी और आसपास का इलाका इनका पसंदीदा स्थान है। इस बार भी बड़ी संख्या में कुरजां पक्षी राजस्थान आए हैं। जैसलमेर के लाठी गांव में इनकी चहलकदमी देखने को मिल रही है। जिसे देखने के लिए पर्यटक भी पहुंच रहे हैं।
नेस्टिंग के लिए जमीन तलाश रहे कुरजां
वन्यजीव प्रेमी राधेश्याम विश्नोई का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से कुरजां पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ है। फिलहाल यह पक्षी आकाश में चक्कर लगाकर यहां अपना ठिकाना बनाने की जुगत में लगे हैं। कुछ पक्षियों ने खेतोलाई और चाचा गांव के तालाबों के पास बसेरा बसा भी लिया है।
प्रजनन के बाद मार्च में बच्चों संग भरेंगे उड़ान
वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि प्रजनन काल तक कुरजां पक्षी यहीं पर रहेंगे। अगले साल मार्च तक इनके बच्चे हो जाएंगे और उड़ना सीख जाएंगे। तब यह विदेशी पावणे अपने बच्चों के साथ यहां से साइबेरिया के लिए उड़ान भरेंगे।
तापमान में गिरावट के साथ बढ़ेगी पक्षियों की संख्या
वर्ड लवर राधेश्याम पेमाणी के मुताबिक अभी कुछ पक्षियों ने बसेरा बसा लिया है। जबकि कुछ नेस्टिंग की तैयारी कर रहे हैं। जैसे-जैसे तापमान में गिरावट आएगी, वैसे-वैसे क्षेत्र में इन पक्षियों की तादाद बढ़ जाएगी।(Rajasthan News Jaisalmer)
कुरजां के लिए लाठी में मुफीद मौसम-भोजन
प्रवासी पक्षी कुरजां का वजन दो से ढाई किलो होता है। यह खुले मैदान और समतल जमीन पर नेस्टिंग करते हैं। मोतिया घास इनका पसंदीदा भोजन है, इसके अलावा बारिश के दौरान पानी में पैदा होने वाले कीड़ों को भी यह पक्षी खाते हैं। लाठी में मोतिया घास की अच्छी पैदावार होने से यह जगह कुरजां को बेहद पसंद है।
लाठी सहित इन जगहों पर भी करते हैं नेस्टिंग
कुरजां पक्षी साइबेरिया से मंगोलिया तक फैले हिमालय की ऊंची पहाड़ियों को पार कर यहां पहुंचते हैं। इसके बाद जैसलमेर के लाठी सहित खेतोलाई,भादरिया चाचा,धोलिया,डेलासर,लोहटा गांव के तालाब और खडीनो पर ठहरते हैं।(Rajasthan News Jaisalmer)
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