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Jaipur Tanker Blast: राधेश्याम की आखिरी दौड़, धधकती आग से निकल 800 मीटर सड़क पर दौड़ा...पर जिंदगी हार गई

Jaipur LPG Tanker Blast Incident: जयपुर में शुक्रवार सुबह अजमेर हाईवे पर दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने हुए एलपीजी टैंकर ब्लास्ट ने पूरे इलाके को दहला दिया। इस भयंकर हादसे में 11 लोगों की जान चली गई और कई लोग गंभीर...
06:16 PM Dec 20, 2024 IST | Rajesh Singhal

Jaipur LPG Tanker Blast Incident: जयपुर में शुक्रवार सुबह अजमेर हाईवे पर दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने हुए एलपीजी टैंकर ब्लास्ट ने पूरे इलाके को दहला दिया। इस भयंकर हादसे में 11 लोगों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। झुलसे हुए लोगों को तुरंत एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां हर किसी की आंखें नम थीं और दिलों में खौफ।

इस हादसे के गवाह बने मृतकों के परिवारों की दास्तानें इंसानियत को झकझोर देने वाली थीं।(Jaipur LPG Tanker Blast Incident ) एक ओर जहां जख्मों से कराहते लोग अपने प्रियजनों को तलाश रहे थे, वहीं दूसरी ओर राधेश्याम चौधरी जैसे लोगों की बहादुरी और दर्दनाक मौत ने सबको स्तब्ध कर दिया। राधेश्याम, जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे, आग की लपटों से घिरे होने के बावजूद जान बचाने के लिए 800 मीटर तक दौड़े। लेकिन अंततः उनकी जिंदगी इस भयावह हादसे की भेंट चढ़ गई।

यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उन खामियों का आईना है जो हमारे सिस्टम में मौजूद हैं। जहां इंसानी जान की कीमत पर लापरवाहियां की जाती हैं और सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज किया जाता है।

मौत से पहले खुद खोले कपड़े, दोस्त को किया फोन

मृतक राधेश्याम के दोस्त हंसराज ने बताया कि राधेश्याम परिवार का इकलौता सहारा थे। उनके पिता का 15 साल पहले निधन हो चुका था। राधेश्याम एनबीसी कंपनी में काम करते थे और अपने परिवार की सभी जिम्मेदारियां निभा रहे थे। हादसे के दौरान उन्होंने अपनी जान बचाने की पूरी कोशिश की। आग में झुलसने के बावजूद घटनास्थल से 800 मीटर तक दौड़कर आए, अपने कपड़े खुद उतारे और दोस्त रोशन को फोन किया। इतनी गंभीर स्थिति में भी उन्होंने मदद के लिए सूचना दी। दोस्त रोशन ने राधेश्याम को ढूंढकर हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन वह जान बचाने में नाकाम रहे।

 नेल पॉलिश और बिछिया से हुई पहचान

हादसे में आरएसी कॉन्स्टेबल अनीता मीणा (28) की भी मौत हो गई। अनीता 2016 बैच की कॉन्स्टेबल थीं और हादसे के वक्त स्लीपर बस से ड्यूटी के लिए जा रही थीं। उनकी पहचान पैर में लगी नेल पॉलिश और बिछिया से की गई। अनीता के भाई बसराम ने बताया कि अनीता के दो छोटे बच्चे हैं, 10 साल की बेटी और 7 साल का बेटा। उनके पति खेती करते हैं और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। अनीता की नौकरी से घर के हालात बेहतर हो रहे थे, लेकिन इस हादसे ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया।

 छिन गया परिवार का सहारा

एलपीजी टैंकर विस्फोट ने राधेश्याम और अनीता जैसे कई परिवारों को तबाह कर दिया। हादसे ने परिवार के अकेले कमाने वालों को छीनकर उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी। यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है बल्कि जिम्मेदारों की लापरवाही को उजागर करती है।

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