Banswara Lok Sabha Seat Counting: बांसवाड़ा सीट पर राजकुमार रोत की 2 लाख 47 हजार वोट से जीत
Banswara Lok Sabha Seat Counting: राजस्थान की बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने भारत आदिवासी पार्टी को समर्थन कर दिया था। इसके चलते इस सीट पर बाप पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत ने बीजेपी के महेंद्रजीत सिंह मालवीय को चुनावी मैदान में पटखनी दे दी है। महेंद्रजीत सिंह मालवीय चुनाव से ठीक पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। इस सीट पर 2014 से बीजेपी का कब्जा था। अभी यहां से बीजेपी के कनकमल कटारा सांसद हैं। इस बार बाप के राजकुमार रोत ने 247054 वोट से जीत दर्ज की है।
राजकुमार रोत की बड़ी जीत
बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कुल 1636852 वोट पड़े जिसमें से राजकुमार रोत (Banswara Lok Sabha Seat Counting) को कुल 820831 (50.15) वोट मिले हैं। वहीं, दूसरे नंबर रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीया को कुल 573777 (35.05) वोट मिले हैं। निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार को कुल 74598 वोट मिले हैं। वहीं, नोटा पर कुल 17896 वोट पड़े है। इस तरह से भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने 247054 मतों से जीत हासिल की है। इससे पहले दो बार से लगातार बीजेपी चुनाव जीत रही थी।
बीएपी के गठबंधन प्रत्याशी राजकुमार रोत
बांसवाड़ा- डूंगरपुर लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य है। इस सीट को जीतने के लिए चुनावी बिसात पर पहला दांव बीजेपी ने चला। भाजपा ने वागड़ में कांग्रेस के आधार स्तंभ समझे जाने वाले आदिवासी नेता महेंद्रजीत मालवीया को ही अपने खेमे में मिला लिया और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया। चुनावी बिसात पर भाजपा की इस चाल की काट के लिए कांग्रेस ने भी ऐतिहासिक फैसला लिया। इतिहास में पहली बार कांग्रेस ने यहां खुद चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया और इस सीट पर आदिवासी पार्टी बीएपी के गठबंधन प्रत्याशी राजकुमार रोत को समर्थन दे दिया।
मालवीया के सामने रौत की परीक्षा
बीजेपी प्रत्याशी महेंद्रजीत सिंह मालवीया के सामने खुद के तो चुनाव जीतने (Banswara Lok Sabha Seat Counting) की परीक्षा है ही, वहीं बागीदौरा विधानसभा उप चुनाव में उनके समर्थक भाजपा प्रत्याशी सुभाष तंबोलिया की जीत या हार का सेहरा भी उनके ही सिर पर सजेगा। ऐसे में जहां उन्हें खुद की जीत के साथ साथ सुभाष तंबोलिया की जीत के लिए भी कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। मालवीया को भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत से लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर मिली है, जिसके चलते मालवीया की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सभा करनी पड़ी।
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