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कुवैत की आग का दर्द! घर लौट रहे रोजी-रोटी की तलाश में गए भारतीय...चरमराया वागड़ का आर्थिक तंत्र!

Kuwait Fire Tragedy: कुवैत के मंगाफ शहर में बीते दिनों एक बहुमंजिला इमारत में हुए भीषण अग्निकांड का दंश लगातार जारी है जहां सैकड़ों भारतीय की रोजी-रोटी पर संकट के बादल छाए हुए हैं, वहीं कितने ही अपनों से आखिरी...
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Kuwait Fire Tragedy: कुवैत के मंगाफ शहर में बीते दिनों एक बहुमंजिला इमारत में हुए भीषण अग्निकांड का दंश लगातार जारी है जहां सैकड़ों भारतीय की रोजी-रोटी पर संकट के बादल छाए हुए हैं, वहीं कितने ही अपनों से आखिरी बार मिल नहीं पाए जिनके शव अब अपनी सरजमीं पर लौट रहे हैं. जानकारी के मुताबिक आगजनी में जान गंवाने वाले 45 भारतीयों के पार्थिव शरीरों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

इधर कुवैत की आग ने वहां रोजगार करने गए भारतीयों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह हिला दिया है जहां रोजी रोटी की जुगत में वहां गए भारतीय लगातार देश लौट रहे हैं जहां उनके लौटने का असर दक्षिणी राजस्थान के वागड़ यानी बांसवाड़ा और डूंगरपुर पर भी पड़ने लगा है. वागड़ के हजारों कामगार लगातार कुवैत से लौट रहे हैं जिसके बाद हर महीने वहां से भेजे जाने वाली कमाई का जरिया भी बंद हो गया है. वहीं अन्य कामगारों के लौटने से यह सिलसिला आने वाले दिनों में भी लगातार जारी रहने वाला है जिसका बड़ा असर वागड़ के आर्थिक ढांचे पर पड़ सकता है.

मालूम हो कि बांसवाड़ा और डूंगरपुर के लगभग दो लाख लोग कुवैत में विभिन्न स्थानों पर रोजगार के लिए जाते हैं जहां आग लगने के बाद कई लोग कुवैत से अब घर लौट रहे हैं.

दरअसल वहां भारतीय कंपनियों, दुकानदारों और ठेकेदारों के पास काम करते हैं जहां वेतन दीनार के रूप में मिलता है जो कि भारतीय मुद्रा के मुकाबले अधिक है। ऐसे में कुवैत में लोग अपना खर्च आदि निकालने के बाद बचत राशि अपने परिवार के लिए भारत भेजते हैं. वहीं भारतीय मुद्रा के मुकाबले दीनार मजबूत होता है ऐसे में स्थानीय बाजार का आर्थिक तंत्र मजबूत बना रहता है.

रोजी-रोटी के बाद अब घर लौटने का संघर्ष

बता दें कि मंगाफ में आग लगने की घटना के बाद वागड़ के कई लोगों को कुवैत पुलिस की ओर से पकड़ा गया जहां सारा इस्तकलाल, मंगाफ, सुवैक आदि शहरों में रहने वाले लोगों को पुलिस ने पकड़ा और अलग-अलग जगह बड़े हॉल आदि में ठहराया और पासपोर्ट सहित अन्य दस्तावेजों की जांच की. वहीं अभी उन लोगों को भारत भेजा जा रहा है जिनके पास खादिम की वीजा है. मालूम हो कि कुवैत में साऊन और खादिम दो तरह की वीजा होती है.

इसमें खादिम की वीजा कुवैती स्वयं देता है और यदि वीजा धारक अन्य जगह काम करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे फिर उसके देश भेज दिया जाता है. बताया जाता है कि कई कुवैती लोगों ने खादिम वीजा धारकों को वापस भारत भेजने पर सहमति दे दी है. ऐसे में अब जैसे-तैसे दिन गुजारने के बाद एक-एक कर कुवैत से कामगार लौटने लगे हैं जहां लौटने में भी उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई से सामान्य की अपेक्षा करीब डेढ़-दो गुना हवाई टिकट का किराया देना पड़ रहा है.

चरमराया वागड़ का स्थानीय बाजार

बता दें कि बांसवाड़ा, डूंगरपुर, सागवाड़ा, परतापुर, कुशलगढ़, घाटोल, कलिंजरा, तलवाड़ा, सीमलवाड़ा, आसपुर, बिछीवाड़ा सहित वागड़ के बड़े कस्बों से हर साल हजारों लोग कुवैत जाते हैं और अपनी कमाई से खुद का खर्च निकालने के बाद भारत भेजते हैं जिसके बाद इस राशि से उनके परिवार अपने रहन-सहन अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति सहित मौज-शौक पर भी खर्च करते हैं। इस नियमित लेन-देन से वागड़ के स्थानीय बाजारों में भी मजबूती बनी रहती है लेकिन अब कामगारों के लौटने से आने वाले महीनों में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है.

सीजन पर पड़ेगा बुरा असर

कुवैत से लोगों के लौटने का असर आगामी त्योहारी सीजन में वागड़ के बाजार में पड़ेगा जहां कुछ दिनों बाद देवशयनी एकादशी है औऱ इसके बाद हरियाली अमावस्या से वागड़ में त्योहारों की शुरुआत होगी जो दीपावली तक रहेगी। वहीं इसके बाद वैवाहिक और मांगलिक आयोजन भी हैं ऐसे में स्थानीय बाजारों में खरीदारी पर इसका असर पड़ सकता है.

क्या था पूरा मामला?

गौरतलब है कि कुवैत के मंगाफ शहर में बहुमंजिला इमारत में आग लगने की घटना में 50 लोगों की मौत हो गई थी जिसमें 46 भारतीय भी थे. इसके बाद कुवैत सरकार ने वहां असुरक्षित इमारतों में रहने वाले लोगों को बाहर निकाल दिया जिससे उन्हें सडक़ों पर भी रातें गुजारनी पड़ी। वहीं कई लोग पुलिस की धरपकड़ से बचने के लिए इधर-उधर छिपते रहे क्योंकि कुवैत सरकार के नियमानुसार अवैधानिक रूप से वहां रहने और पकड़े जाने पर दोबारा जाने का वीजा नहीं मिलता है.

- (बांसवाड़ा से मृदुल पुरोहित का इनपुट)

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