बोरवेल से बाहर आने की उम्मीद! मासूम चेतना की मदद में जुटी रेस्क्यू टीम, माहौल भावुक!
Kotputli Borewell Incident: (हिमांशु सेन): किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ करीब 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी चेतना को आज कुछ ही देर में बाहर निकालने का प्रयास किया जाएगा। पिछले 10 दिनों से इस बोरवेल में फंसी चेतना की जान बचाने के लिए प्रशासन पूरी तरह सर्तक है और मौके पर राहत कार्यों की तेज़ी से निगरानी की जा रही है। इस घटना ने न केवल प्रशासन को, बल्कि स्थानीय लोगों को भी सकते में डाल दिया है, (Kotputli Borewell Incident)और अब मौके पर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है। क्या चेतना को समय रहते बाहर निकाला जा सकेगा? जानिए, इस जटिल बचाव अभियान के बारे में।
चेतना को जल्द बाहर निकाले जाने की संभावना
किरतपुरा की ढाणी बडियावाली में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी चेतना को आज कुछ ही देर में बाहर निकाले जाने की उम्मीद जताई जा रही है। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने जानकारी दी कि मौके पर एम्बुलेंस और पुलिस का भारी बंदोबस्त किया गया है, ताकि मासूम को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सके। बीडीएम अस्पताल में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मौके पर जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद हैं। 23 दिसंबर को खेलते वक्त चेतना बोरवेल में गिर गई थी और अब तक 10 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था। हालांकि, इस दौरान कोई ठोस सफलता नहीं मिली थी, जिससे परिवार और ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ रही थी। अब, रेस्क्यू टीम के द्वारा चेतना के करीब पहुंचने की जानकारी मिली है और जल्द ही उसे बाहर निकाला जा सकता है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी की वजह
रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी का एक बड़ा कारण दिशा भटकने से हुआ। सुरंग के माध्यम से चेतना तक पहुंचने का प्रयास किया गया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं और दिशा भटकने के कारण यह प्रयास असफल हो गया। अधिकारियों ने बुधवार सुबह दावा किया कि बोरवेल की लोकेशन ट्रेस कर ली गई है, और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) मशीन की मदद से स्थिति का पता चला। इस प्रक्रिया में कई सवाल उठाए जा रहे हैं, विशेष रूप से यह कि सुरंग की दिशा गलत कैसे हुई। बावजूद इसके, अब रेस्क्यू टीम ने सही दिशा में काम करना शुरू कर दिया है और किसी भी समय मासूम को बाहर निकाला जा सकता है।
घटनाक्रम पर एक नजर
23 दिसंबर: दोपहर 2 बजे चेतना बोरवेल में गिर गई। सूचना मिलने पर रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंची। रात 9 बजे एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया।
24 दिसंबर: देसी जुगाड़ से 15 फीट ऊपर खींचने का प्रयास किया गया, लेकिन ऑपरेशन अटक गया।
25 दिसंबर: हरियाणा से पाइलिंग मशीन लाई गई और 40 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया, लेकिन मशीन बंद हो गई। फिर गुजरात से नई मशीन मंगाई गई।
26 दिसंबर: उत्तराखंड से रैट माइनर्स टीम पहुंची और 170 फीट गहरा गड्ढा खोदकर सेफ्टी पाइप डाले गए।
27 दिसंबर: बारिश के कारण काम रुका।
28 दिसंबर: पाइप में उतरे दो जवानों ने ऑक्सीजन लेवल चेक किया और एल आकार में सुरंग खोदी।
29 दिसंबर: 4 फीट तक सुरंग खोदी गई, लेकिन पत्थर के कारण बाधाएं आईं। इसके लिए नई मशीन मंगाई गई।
30 दिसंबर: एसडीआरएफ के कमांडेंट ने रेस्पिरेशन चेक किया और लेजर अलाइनमेंट डिवाइस से स्थिति की जांच की।
31 दिसंबर: दोपहर बाद पता चला कि सुरंग गलत दिशा में खोदी जा रही थी। लोकेशन ट्रेक करने के लिए जीपीआर मशीन मंगाई गई।
अब, सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या रेस्क्यू टीम जल्द ही चेतना को बाहर निकालने में सफल होगी।
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