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Rajasthan: 1000 का ढक्कन आता और लग गए 5 करोड़...कब थमेगी जानलेवा लापरवाही?

कोटपूतली बोरवेल हादसे के बाद सवाल उठ रहा है कि रेस्क्यू के लिए अलर्ट सरकार खुले बोरवेल बंद कराने पर गंभीर क्यों नहीं?
10:01 AM Jan 02, 2025 IST | Rajasthan First

Kotputli Borewell Accident: राजस्थान के कोटपूतली में बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची के रेस्क्यू में करीब 200 घंटे लग गए। (Kotputli Borewell Accident) इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर करीब 5 करोड़ रुपए का खर्च हुआ, मगर बच्ची को बचाया नहीं जा सका। जबकि बोरवेल का ढक्कन महज एक हजार रुपए का आता है, अगर यह ढक्कन बोरवेल पर लगा होता...तो मासूम की जान नहीं जाती और ना इतना भारी भरकम खर्च होता।

तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं बची चेतना

कोटपूतली के बडियाली की ढाणी में तीन साल की मासूम चेतना 23 दिसंबर को खेत में बने बोरवेल में गिर गई थी। चेतना को निकालने के लिए पहले देसी जुगाड़ लगाया गया। मगर सभी कोशिश नाकाम रहीं तो समानांतर खुदाई कर बच्ची तक पहुंचा गया। मगर इस पूरे प्रोसेस में 10 दिन का वक्त लग गया। बुधवार शाम बच्ची को बाहर निकाला गया, जिसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। मगर डॉक्टर्स ने बताया कि चेतना की सांसें थम चुकी हैं। चेतना की मौत के बाद अब सवाल उठ रहा है कि आखिर यह जानलेवा लापरवाही बार-बार क्यों हो रही हैं।

एक हजार की जगह 5 करोड़ का खर्च

कोटपूतली में बोरवेल में गिरी चेतना को निकालने के लिए 10 दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चला। करीब 200 घंटे के इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर 5 करोड़ का खर्च हुआ, जबकि बोरवेल पर लगने वाला ढक्कन महज एक हजार रुपए का आता है। अगर बोरवेल पर ढक्कन लगा होता...तो आज चेतना हमारे बीच जिंदा होती। मगर हैरानी की बात ये है कि पिछले 10 साल में हम 10 से भी ज्यादा मासूमों को ड्राइ बोरवेल में खो चुके हैं, मगर इसके बाद भी हम सचेत नहीं हो पा रहे।

जागरुकता से बचाई जा सकतीं जान

राजस्थान में पिछले 10 साल में 15 से ज्यादा मासूम बच्चों को बोरवेल में गिरने की घटना सामने आ चुकी हैं। सरकार इनके रेस्क्यू पर खर्च भी करती है, मगर सूखे या खुले पड़े बोरवेल बंद करवाने पर इतनी शिद्दत से काम नहीं किया जाता। अगर सरकार खुले बोरवेल बंद करवाने पर पूरी गंभीरता से काम करे और लोग भी बोरवेल में होने वाले हादसों से सबक लेकर जागरुक हों...तब ही हम इन मौत के मुंह की तरह जगह-जगह खुले पड़े बोरवेल को बंद कर पाएंगे।

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