Kotputli Borewell Accident: 48 घंटे से 'चेतना' की जिंदगी से जारी जंग, चाचा की आंखों में आंसू...अब टूटने लगी हिम्मत!
Kotputli Borewell Accident: कोटपूतली में बोरवेल में गिरी साढ़े तीन साल की मासूम की जिंदगी को बचाने के लिए 48 घंटे से अधिक समय से संघर्ष जारी है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें दिन-रात एक करके बच्ची को बाहर निकालने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। पहले देसी जुगाड़ से बच्ची को बाहर निकालने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। (Kotputli Borewell Accident)मंगलवार रात पाइलिंग मशीन मंगवाई गई, और बुधवार सुबह 8 बजे बोरवेल के समानांतर एक और गड्ढा खोदने की कोशिश की गई, लेकिन मिट्टी ढहने के कारण काम रोक दिया गया। इस बीच, बच्ची की मासूमियत और उसके परिवार की बेचैनी दिल को झकझोर देती है। प्रशासन की पूरी कोशिश है, लेकिन हर एक पल हर किसी के लिए एक कठिन चुनौती बन चुका है।
चेतना के चाचा की टूटती हिम्मत
पिछले 48 घंटे से गड्ढे में फंसी चेतना की हालत देखकर उसके चाचा की हिम्मत जवाब दे गई। कैमरे में बच्ची का कोई मूवमेंट न दिखने पर, उनका दिल टूट गया और वह फूट-फूट कर रोने लगे। उन्हें समझाने के लिए चेतना के दादा ने आगे बढ़कर उन्हें संभाला। तीसरे दिन, लोग भी बेहद परेशान हो गए और घटनास्थल पर भीड़ जुटने लगी। पुलिस ने भीड़ को खदेड़ा ताकि बचाव कार्य बिना रुकावट के जारी रह सके।
दूसरे दिन भी प्रयास जारी
चेतना के बोरवेल में गिरने के बाद से उसे बाहर निकालने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। सोमवार (23 दिसंबर) को दोपहर में चेतना अपने घर के परिसर में खेलते समय बोरवेल में गिर गई। जैसे ही घटना की सूचना मिली, प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे। इसके बाद जयपुर से SDRF और NDRF की टीमें कोटपुतली के सरुण्ड थाना क्षेत्र में कीरतपुरा गांव पहुंची और फिर से बच्ची को बाहर निकालने के लिए अपनी कोशिशें शुरू की।
बोरवेल की चौड़ाई और ठंड का प्रभाव
बोरवेल की चौड़ाई कम होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानी हो रही है। ठंड और नमी की वजह से भी इस बचाव अभियान में और चुनौतियां आ रही हैं। हालांकि, बच्ची को ऑक्सीजन सप्लाई दी जा रही है और इस काम के लिए 3-4 एंबुलेंस घटनास्थल पर तैनात की गई हैं, साथ ही डॉक्टर भी लगातार उनकी देखभाल कर रहे हैं।
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