Karauli Flood: आजादी के 75 साल बाद भी क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव, बारिश के बाद कट जाते हैं गांवों से संपर्क, छात्रों की शिक्षा पर भी पड़ रहा बुरा असर
Karauli Flood: इस वर्ष राजस्थान में मानसून काफी मेहरबान रहा। हर तरफ तेज मूसलाधार बारिश देखने को मिली, जिसके बाद कई बांध, नदी, तालाब, पोखर, ओवर फ्लो चल रहे हैं। लेकिन बात की जाए करौली जिले के हिंडौन सिटी तो यहां कटरा बाजार, बयाना मार्ग, सहित कई इलाकों में जलभराव से बाढ़ जैसे हालात रहे। जन जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। प्रत्येक व्यापारी को तकरीबन 5 लाख से ज्यादा का नुकसान देखने को मिला।
वहीं जिला मुख्यालय पर बारिश के बाद शहर के गौशाला मार्ग, राधेश्याम मैरिज गार्डन, बग्गी खाना पूरी तरह बंद हो जाता है। लोगों के घरों में 7 से 8 फिट तक पानी भर जाता है, जिसके कारण कई लोग मजबूरन घर छोड़कर चले गए। इसका मुख्य कारण वह तीन दरवाजे हैं, जो रियासत काल में राजा महाराजाओं द्वारा बनवाए गए थे।
लेकिन कई वर्षो के बाद 2016 में तेज मूसलाधार बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया, जिला प्रशासन की तरफ से कई बार निरीक्षण किया गया। लेकिन उसको ठीक नहीं करवाया गया, इसी के कारण 2024 में यहां एक बार फिर बाढ़ जैसे हालात देखने को मिले। अभी भी बारिश के होने के बाद राधेश्याम फार्म हाउस मार्ग एवं गौशाला मार्ग में जलभराव की समस्या बनी हुई है।
बारिश होने से कट जाता है गांवों से संपर्क, छात्रों की पढ़ाई बाधित
लांगरा क्षेत्र के बुगड़ार गांव में जाने के लिए पंचायत प्रशासन के द्वारा कई पुलिया का निर्माण करवाया गया। लेकिन इसमें 2 पुलिया ऐसी है जहां बारिश आने के बाद स्कूल के छात्र छात्रा जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि भारत आजाद 1947 में हुआ लेकिन अभी हम लोग जिंदगी बदहाली में जीने को मजबूर हैं। गांव की स्थिति ऐसी है पुलिए पर पानी इतना आता है अगर कोई बीमार हो जाए तो उसको ले जा नहीं सकते। वहीं, पिछले आठ दिन से छात्र-छात्राएं स्कूल तक नहीं जा पाए हैं, जिसके कारण उनका शैक्षिक स्तर गिरता जा रहा है। इसको लेकर भी प्रशासन कतई ध्यान नहीं दे रहा है।
करणपुर क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव
करणपुर क्षेत्र के कोंडरी गांव में मृतक के शव को शमशान ले जाने के लिए घुटनों तक पानी में से होकर जाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि जिला बने हुए करीब 27 साल हो गए, लेकिन यहां सुविधाओं का टोटा है। गांव में मृतक के शव को शमशान ले जाने के लिए घुटनो तक पानी में से ले जाना पड़ रहा है। कई सपरंच यहां बन गए लेकिन फिर भी पंचायत प्रशासन एवं जिला प्रशासन की तरफ से कोई सुविधा नहीं दी गई है। अभी भी बदहाल जिंदगी जीने को मजबूर हैं।