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कानून के रखवालों को ही मिली सजा! जोधपुर जेल में मजिस्ट्रेट-एसपी को नहीं मिली एंट्री, IPS ने जताई नाराजगी

क्या कोई जेल प्रशासन से बड़ा हो सकता है? क्या कानून के रखवालों को ही कानून की दहलीज पर इंतजार करना पड़ेगा? जोधपुर सेंट्रल जेल में कुछ ऐसा ही हुआ...
01:40 PM Mar 23, 2025 IST | Rajesh Singhal

Jodhpur News: क्या कोई जेल प्रशासन से बड़ा हो सकता है? क्या कानून के रखवालों को ही कानून की दहलीज पर इंतजार करना पड़ेगा? जोधपुर सेंट्रल जेल में कुछ ऐसा ही हुआ, जब रेड मारने पहुंचे ट्रेनी IPS (SP) हेमंत कलाल, मजिस्ट्रेट और तहसीलदार को जेल के गेट पर 20 मिनट तक खड़ा रखा गया और फिर बैरंग लौटा दिया गया। यह कोई आम घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर सवाल है...क्या जेल के अंदर ऐसा कुछ था, जिसे छुपाने की कोशिश की जा रही थी?

SP हेमंत कलाल ने बताया कि राजस्थान सरकार के गृह विभाग के आदेशानुसार, सुबह से पहले और शाम के बाद जेलों में कार्रवाई की जानी थी। (Jodhpur News) इस आदेश का पालन करते हुए वे अपनी टीम के साथ जोधपुर सेंट्रल जेल पहुंचे, लेकिन वहां जेल अधीक्षक के नहीं होने का हवाला देकर उन्हें 20 मिनट तक बाहर इंतजार करवाया गया। क्या यह केवल एक प्रक्रिया की देरी थी या इसके पीछे कोई और खेल चल रहा था?

 मजिस्ट्रेट और SP को नहीं मिली एंट्री

क्या जेल के अंदर कुछ ऐसा था, जिसे छुपाने के लिए अफसरों को रोका गया? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जोधपुर सेंट्रल जेल में रेड मारने पहुंचे ट्रैनी IPS (SP) हेमंत कलाल, मजिस्ट्रेट और तहसीलदार को 20 मिनट तक जेल गेट पर खड़ा रखा गया। बाद में बिना सर्च किए टीम को वापस लौटना पड़ा। SP हेमंत कलाल ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि 20 मिनट का समय किसी भी आपत्तिजनक चीज को छुपाने के लिए काफी होता है।

मजिस्ट्रेट की मौजूदगी के बावजूद सहयोग नहीं...

SP हेमंत कलाल ने बताया कि उनके साथ मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और पुलिस टीम भी मौजूद थी। इसके बावजूद जेल प्रशासन ने उनका सहयोग नहीं किया। उन्होंने कहा.. "हमने काफी देर तक बातचीत की, लेकिन जेल के इंस्पेक्टर तक ने सहयोग नहीं किया। जब सरकार का स्पष्ट आदेश था और मजिस्ट्रेट साथ में थे, तब हमें रोकने का कोई औचित्य नहीं था।"

जेल के अंदर छुपाने का पूरा समय मिल गया!

IPS हेमंत कलाल का मानना है कि जेल प्रशासन द्वारा 20 मिनट तक रोके जाने का एक ही कारण हो सकता है—अंदर कुछ ऐसा था, जिसे छुपाने के लिए यह वक्त लिया गया। "जेल में कुल 16 वार्ड हैं। इतने बड़े परिसर में कुछ भी छुपाने के लिए 20 मिनट का समय पर्याप्त था।" उन्होंने आगे कहा कि जब सबकुछ छुपाने का समय दिया जा चुका था, तो रेड करने का कोई फायदा नहीं था, इसलिए बिना तलाशी ही टीम वापस लौट आई।

दोबारा रेड में मिला बड़ा सुराग!

हालांकि, यह मामला यहीं नहीं रुका। 21 फरवरी को SP हेमंत कलाल ने SDM और पुलिस टीम के साथ फिर से रेड की। इस दौरान वार्ड नंबर-6 के बैरक नंबर-2 में एक मटकी मिली, जो बड़ी ही चालाकी से छुपाई गई थी। "मटकी के ऊपर से सीमेंट लगाया गया था और अंदर दूसरी मटकी रखी गई थी। जब उसे खोला गया, तो उसमें एक कपड़े में लपेटा हुआ मोबाइल फोन मिला।" इसके अलावा सिम कार्ड और चार्जिंग केबल भी बरामद हुई। SP का कहना है कि यह एक संगठित अपराध की ओर इशारा करता है। सिर्फ कैदियों द्वारा इतनी सावधानी से इसे छुपाना मुश्किल है। इसके लिए किसी अंदरूनी व्यक्ति की भी मदद ली गई होगी।

'हमने नियमों का पालन किया'

इस पूरे विवाद पर जेल प्रशासन ने कहा कि उन्होंने सिर्फ जेल नियमों का पालन किया और किसी को जानबूझकर नहीं रोका।
"बाद में हमने मिलकर तलाशी अभियान चलाने के लिए कहा था, लेकिन पुलिस टीम खुद ही वापस लौट गई।"

जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत ने भी जेल प्रशासन का बचाव करते हुए कहा कि, "हमारे पास जेल में 135 CCTV कैमरे लगे हैं, जो हर कोने की निगरानी करते हैं। हमारी प्राथमिकता है कि जेल में कोई अवैध गतिविधि न हो। जब भी जांच होती है, हम पूरी तरह से सहयोग करते हैं।"

सवाल जो अब भी बाकी हैं!

जब सरकार का आदेश था, तो मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में भी जेल प्रशासन ने टीम को अंदर क्यों नहीं जाने दिया?

20 मिनट तक रोकने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या उस दौरान जेल के अंदर कुछ छुपाया गया?

अगर जेल प्रशासन निर्दोष है, तो रेड के दौरान छुपाई गई मटकी से मोबाइल फोन, सिम और केबल कैसे मिले?

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