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18 लाख में श्मशान बेचने की साजिश... तहसीलदार और भू माफिया के बीच छिपा क्या बड़ा राज़? जानें क्या मामला है!"

Jhunjhunu News: "राजस्थान में भू माफियाओं के काले धंधे का खेल अब हद पार कर गया है! सरकार चाहे जितनी सख्ती से भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के दावे करें, लेकिन असलियत में सरकारी महकमा खुद इन माफियाओं के साथ...
06:58 PM Feb 12, 2025 IST | Rajesh Singhal

Jhunjhunu News: "राजस्थान में भू माफियाओं के काले धंधे का खेल अब हद पार कर गया है! सरकार चाहे जितनी सख्ती से भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के दावे करें, लेकिन असलियत में सरकारी महकमा खुद इन माफियाओं के साथ मिलकर जमीन के घिनौने खेल में शामिल है! ताजा मामला झुंझुनूं जिले का है, जहां भू माफिया और तहसीलदार की मिलीजुली साजिश ने (Jhunjhunu News)श्मशान भूमि को ही 18 लाख में बेच डाला! हद तो तब हो गई जब कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर एक शिवालय वाली भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई. अब जब ये घोटाला उजागर हुआ है, तो सवाल उठते हैं कि आखिरकार इतने बड़े खेल को कैसे अंजाम दिया गया और किसने दिया इन माफियाओं को सुरक्षा!"

तहसीलदार....भू माफिया का काला खेल!

राजस्थान में भू माफियाओं और सरकारी अधिकारियों के गठजोड़ का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस बार मामला झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ कस्बे का है, जहां भू माफिया और तहसीलदार ने मिलकर एक श्मशान भूमि को 18 लाख में बेच दिया। इस मामले का खुलासा होने के बाद हड़कंप मच गया है, और जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

"भूमि की बिक्री में हुआ नियमों का उल्लंघन"

बताया जा रहा है कि विक्रय पत्र पंजीकरण के दौरान विक्रेता से न तो आधार कार्ड लिया गया और न ही पैन कार्ड। विक्रेता की पहचान के लिए एक 28 साल पुराना मूल निवास प्रमाण पत्र लगाया गया, जो नियमों के खिलाफ था। सरकार ने 2021 में बेनामी संपत्तियों के बिक्री को रोकने के लिए फोटो आधारित पहचान पत्र की अनिवार्यता लागू की थी, लेकिन यहां 28 साल पुराना प्रमाण पत्र पेश किया गया।

"विक्रय पत्र में गड़बड़ी, नियमों का पालन नहीं"

गड़बड़ी का खुलासा होते ही यह भी सामने आया कि विक्रय पत्र में विक्रेता हनुमान सिंह की पहचान भी सही तरीके से नहीं की गई। विक्रेता की पहचान के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता थी, लेकिन इसके बजाय 28 साल पुराना मूल निवास प्रमाण पत्र लगा दिया गया। साथ ही, विक्रय पत्र में विक्रेता का पक्का पते का विवरण भी नहीं था, जो और भी सवाल उठाता है।

"बैंक के जरिए नकद लेन-देन पर सवाल"

रिवाज के अनुसार, दो लाख रुपये से अधिक की भूमि खरीद-फरोख्त बैंक के जरिए की जाती है, लेकिन इस मामले में 18 लाख रुपये का लेन-देन एकमुश्त नकद किया गया। इस प्रकार के लेन-देन पर सवाल उठ रहे हैं, और यह मामले को और गहरे संदिग्ध बनाता है।

"तहसीलदार का अतिरिक्त चार्ज...फर्जी सत्यापन"

यह चौंकाने वाला भी है कि विक्रय पत्र पंजीकरण के दिन, तहसीलदार को अतिरिक्त चार्ज दिया गया था। विक्रय पत्र को उनके समक्ष पेश कर पंजीकरण करवा लिया गया, और सत्यापन के लिए ओटीपी का इस्तेमाल किए बिना ही दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर कर दिए गए। इस तथ्य ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है।

"जांच शुरू...क्या सच्चाई सामने आएगी?"

मामला सामने आने के बाद नायब तहसीलदार रामस्वरूप बाकोलिया ने एफआईआर दर्ज करवाई है, और नवलगढ़ एसडीएम ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। इस दौरान पता चला कि यह भूमि वर्षों से खाली पड़ी थी, और इस पर श्मशान और शिवालय का निर्माण किया गया था। अब सवाल यह उठता है कि इस पूरी साजिश में कितने लोग शामिल थे और इस भूमि के असली मालिक के अधिकारों का उल्लंघन क्यों किया गया।

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