Jhunjhunu Kidney Case: किडनी निकालने में हो गया 'खेल', निकाल दी दाईं की जगह बाईं किडनी, अब बैठी जांच
Jhunjhunu Kidney Case: अभी जयपुर में ऑर्गन ट्रांसप्लांट कांड का मामला पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि झुंझुनूं में मरीज की किडनी निकाल लेने का एक और मामला सामने आ गया है। झुंझुनूं के धनखड़ अस्पताल में पथरी का ईलाज करवाने आई महिला ईद बानो की एक किडनी खराब बताकर डॉक्टरों ने उसकी दूसरी सही किडनी निकाल ली। महिला की ज्यादा तबीयत खराब होने के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
जानें क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार झुंझुनूं के नूआं गांव में रहने वाली ईद बानो को पथरी की शिकायत थी और पथरी के इलाज के लिए ही वह झुंझुनू जिला मुख्यालय पर छोटे से मकान में चल रहे धनखड़ अस्पताल आई थी। यहां पर डॉक्टर संजय धनखड़ द्वारा उनकी पथरी की जांच की गई। जांच में सामने आया कि पथरी के कारण बार-बार दर्द हो रहा है। इसलिए किडनी निकालनी पड़ेगी और किडनी नहीं निकाला गया तो दाई किडनी खराब हो जाएगी। इस पर परिवार वालो ने आपसी सहमति जताते हुए ऑपरेशन के लिए हां कर दी और 15 मई को उनका ऑपरेशन किया गया।
ऑपरेशन के दौरान डॉ. संजय धनखड़ ने दाईं की जगह बाई किडनी निकाल दी और मरीज को छुट्टी दे दी। घर आने के बाद 17 मई को फिर से ईद बानो की तबियत बिगड़ गई। इस पर परिवार वालों ने फिर से उन्हें डॉ. संजय धनखड़ को दिखाया। इस पर डॉ. संजय धनखड़ ने अपना पल्ला झाड़ते हुए जयपुर ले जाने की बात कहीं। इसके बाद 21 मई को ईद बानो को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों द्वारा जांच करने के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ कि डॉक्टरों ने बानो की संक्रमित दाई किडनी की जगह बाईं किडनी निकाल दी
मामला बढ़ता देख डॉक्टर ने इलाज का दिया ऑफर
पूरे मामले का खुलास होते ही पूरे चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया। खुलासे के बाद डॉक्टर संजय धनखड़ नूआं गांव पहुंचे और वहां पर मरीज के परिजनों को पैसे देने और बेहतर इलाज करवाने ऑफर दिया। लेकिन परिवार वालो ने इसके लिए मना कर दिया और डॉक्टर के खिलाफ जिला प्रशासन के मुख्यालय जाकर धरना प्रदर्शन किया।
इसके बाद कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने परिवार वालों से मिलकर पूरे मामले की जानकारी ली। कलेक्टर चिन्मयी गोपाल और एसपी राजर्षि राज वर्मा ने चिकित्सीय विभाग को मामले की जांच के निर्देश दिए। साथ ही सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने भी पांच चिकित्सकों की टीम बनाकर मामले के जांच के आदेश दे दिए हैं।
मामले के खिलाफ राज्य सरकार का सख्त एक्शन
जानकारी के अनुसार इस मामले पर राज्य सरकार ने सख्त एक्शन लेते हुए अस्पताल का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है और विभिन्न राजकीय स्वास्थ्य योजनाओं में अस्पताल का एम्पेनलमेंट निरस्त करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने बताया कि मामले की गंभीरता से लेते हुए अस्पताल के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की है।
अस्पताल का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। पूर्व सेवाकार अंशदायी स्वास्थ्य योजना, राजस्थान गवर्नमेंट स्वास्थ्य योजना व आयुष्मान आरोग्य योजना से अस्पताल का एम्पेनलमेंट निरस्त और अस्पताल को सीज करने की कार्रवाई भी जारी है। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइन के अनुसार पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए 5 सदस्यीय जांच दल गठित की गई है। जांच के बाद पुलिस अधीक्षक झुंझुनूं द्वारा एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टर पर 2016 से 2020 के दौरान भी लगे थे आरोप
बता दें कि डॉ. संजय धनखड़ के ईलाज में लापरवाही का यह पहला केस नहीं है। इससे पहले भी 2016 से लेकर 2020 के दौरान उन पर कई गंभीर आरोप लग चुके है। 2016 में राजकीय जिला बीडीके अस्पताल में सर्जन के पद पर कार्यरत के दौरान उन पर अंसारी कॉलोनी के बुजूर्ग की मौत का आरोप लगा था। उसके बाद उन्हें एपीओ और 2017 में सस्पैंड कर दिया गया था और साल 2020 में सुलताना की एक महिला की मौत का आरोप लगा था।