Janmashtami 2024: जैसलमेर का वो कुआं, जिसको श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से खोदा था...अर्जुन की बुझाई थी प्यास
Janmashtami 2024: आज पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। जैसलमेर की धरा का भी नाता श्री कृष्ण से रहा है। मान्यता है कि श्री कृष्ण ने यहां सुदर्शन चक्र से कुआं खोदा था, जो आज भी मौजूद है। हालांकि, इसे अब बंद कर दिया गया है,लेकिन बताया जाता है कि आज भी इस कुएं में पानी है। विश्वविख्यात सोनार दुर्ग में लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर के पास स्थित जैसलू कुआं काफी प्राचीन है। इस कुएं ने 1965 तक जैसलमेर के लोगों की प्यास बुझाई है। मान्यता है कि जब अर्जुन को प्यास लगी तो कृष्ण ने त्रिकूट पहाड़ी पर सुदर्शन चक्र से यह कुआं खोदा था। यह कुआं पहाड़ी पर है, जो आज भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से खोदा था कुआं
इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा के अनुसार प्राचीन काल में मथुरा से द्वारिका जाने का रास्ता जैसलमेर से होकर निकलता था। एक बार श्रीकृष्ण व अर्जुन इसी रास्ते से द्वारिका जा रहे थे।जैसलमेर की इस त्रिकूट पहाड़ी पर कुछ देर विश्राम करने के लिए रुके। इस दौरान अर्जुन को प्यास लगी और आसपास कहीं पानी नहीं था। तब भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से यहां पर कुआं खोद दिया और अर्जुन की प्यास बुझाई।
महारावल जैसल ने सोनार दुर्ग की नींव रखी
उन्होंने बताया कि मेहता अजीत ने अपने भाटीनामे में लिखा कि एक शिलालेख पर यह भविष्यवाणी है कि 'जैसल नाम का जदुपति, यदुवंश में एक था। किणी काल के मध्य में, इण था रहसी आय। इसका तात्पर्य यह है कि जैसल नाम का राजा यहां आकर अपनी राजधानी बनाएगा और ऐसा ही हुआ। इस त्रिकूट गढ़ पर महारावल जैसल ने संवत 1212 में सोनार दुर्ग की नींव रखी और विशाल दुर्ग बनाया। उन्हें पहाड़ी पर पहले से ही स्थित कुआं मिल गया।
1965 तक यह कुआं चालू था
पानी की कीमत जैसलमेर के प्राचीन लोगों को सबसे अच्छे से पता है। यहां बारिश नहीं होती थी, ऐसे में हमेशा पानी का संकट रहता था। प्राचीन काल में दुर्गवासी जैसलू कुएं से और शहरवासी गड़ीसर सरोवर से अपनी प्यास बुझाते थे। इतिहासकारों के अनुसार 1965 तक यह कुआं चालू स्थिति में था। जैसलमेर में बारिश की कमी के चलते हमेशा पानी की कमी रहती थी। इस वजह से हर गांव व शहर में प्राचीन बेरियां और कुएं मौजूद हैं। इनकी बनावट ऐसी है कि ये सब तालाबों के आसपास बने हुए हैं।
5 हजार साल से भी अधिक पुरानी घटना
तालाब में आने वाला बारिश का पानी ही इन बेरियों व कुओं में पहुंच जाता था और यहां के लोग साल भर तक उस पानी का उपयोग करते थे। जैसलूं कुएं के बारे में विभिन्न तवारीखों व शिलालेखों में यही लिखा है कि श्रीकृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से इसे खोदा था। यह करीब 5 हजार साल से भी अधिक पुरानी घटना है। इसके बाद महारावल जैसल ने इस त्रिकूट पहाड़ी पर सोनार दुर्ग का भव्य निर्माण करवाया था।
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