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Jalore Encroachment Case News जालोर के ओडवाड़ा में अतिक्रमण हटाने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, पहुंचे मंत्री-विधायक

Jalore Encroachment Case News जालौर। राजस्थान के जालौर में चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में नया मोड़ आ गया है। अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई पर जोधपुर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की रोक के...
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Jalore Encroachment Case News जालौर राजस्थान के जालौर में चारागाह की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में नया मोड़ आ गया है। अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई पर जोधपुर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट की रोक के बाद जहां ओडवाड़ा के लोगों ने राहत की सांस ली है वहीं इस पूरे मामले पर सियासी पारा चढ़ गया है।

राज्य के तमाम दलों के नेताओं ने जालोर के ओडवाड़ा का रूख कर लिया है। इस मामले में कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं तो जालौर के कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत ने भी विरोध जताया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद वैभव गहलोत और भजन लाल शर्मा सरकार  के दो मंत्रियों और स्थानीय विधायक ने घटना स्थल का दौरा किया।  जानते हैं क्या है पूरा मामला

हाईकोर्ट के आदेश पर रोकी गई कार्रवाई

राजस्थान के जालौर जिले के ओडवाड़ा गांव में चारागाह की जमीन पर बने मकानों को तोड़ने के लिए जिला प्रशासन की टीम गुरुवार की सुबह लाव-लश्कर के साथ पहुंची तो उसे लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।आहोर उपखंड अधिकारी शंकरलाल मीणा ने बताया कि करीब 35 एकड़ जमीन में 138 पक्के निर्माण चिन्हित किए गए हैं जिन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू की गई है।

उधर, कार्रवाई शुरू होते ही  सैकड़ों लोग जिसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में थीं उन्होंने मकानों को तोड़ने का भारी विरोध शुरू कर दिया। आक्रोशित लोगों के उग्र विरोध के बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें कई लोगों को चोटें आई हैं।

वहीं, जिन लोगों ने जालोर के ओडवाड़ा गांव में घर मकान बना लिए हैं उनमें से 29 लोगों की  तरफ से हाईकोर्ट में प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ पहले से ही अर्जी डाली गई थी। स्थानीय लोगों की अर्जी पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर जोधपुर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद त्वरित एक्शन लिया गया और बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई।

याचिकाकर्ताओं की क्या है दलील

गौरतलब है कि जोधपुर उच्च न्यायालय के जस्टिस  विनीत माथुर की बेंच ने 29 लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया। याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम पालीवाल ने अदालत को बताया कि ''हमारे पास पट्टा है , सनद है और हम  पिछले 80 सालों से हम उन मकानों में रह रहे हैं।

इन मकानों में हमारे दादा- परदादा से लेकर हम लोग रहते आ रहे हैं। इतना ही नहीं इन मोहल्लों में राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार ने भी वेलफेयर डेवलपमेंट का ढेर सारा काम किया है। सरकार ने यहां बिजली पानी के कनेक्शन भी दिए हैं। ऐसे में एक व्यक्ति की याचिका पर हमें अतिक्रमणकारी नहीं माना जा सकता है। अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद त्वरित कार्रवाई की गई और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, जालौर के ओडवाड़ा गांव में दो भाइयों के बीच हुए विवाद के बाद एक पक्ष उच्च न्यायालय चला गया। इस झगड़े में  35 एकड़ जमीन को राजस्थान हाईकोर्ट ने चारागाह क्षेत्र मानते हुए यहां से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। पिछले दिनों  इनमें से 67 कच्चे मकानों को तोड़ा गया था।

हाईकोर्ट  के आदेश पर गुरूवार को जिला प्रशासन ने  268 मकानों और बाड़ों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी। पहले दिन सत्तर से अधिक मकानों की बाहरी दीवार तोड़ी गई।इस बीच बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया।

सचिन पायलट ने की कड़ी निंदा

जालौर जिले के ओडवाड़ा गांव में पुलिसिया कार्रवाई पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि "जालौर जिले के ओडवाड़ा गांव में घरों को तोड़ने के आदेश के विरुद्ध संघर्ष कर रहे लोगों के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किया गया, उसकी मैं घोर निंदा करता हूं।

ये लोग अपना घर बचाने के लिए आवाज उठा रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं।" उन्होंने कहा कि "सरकार को इनके अधिकारों के लिये न्यायपालिका के माध्यम से तुरंत राहत प्रदान करने के लिये कार्यवाही करनी चाहिये थी। पुलिस एवं प्रशासन से आग्रह है कि इस मुद्दे को शांति एवं बातचीत द्वारा सुलझाया जाना चाहिए।"

सरकार का रवैया असंवेदनशील - वैभव गहलोत

उधर, ओडवाड़ा की घटना पर सियासत तेज हो गई है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे और जालौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत ओडवाड़ा गांव का निरीक्षण करने पहुंचे। गहलोत के साथ  पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई के साथ कई कांग्रेसी नेता भी मौजूद रहे। जालौर से कांग्रेस के उम्मीदवार वैभव गहलोत ने भी सरकार पर हमला बोला है।

उन्होंने कहा है कि " जालौर के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 440 घरों को तोड़ा जा रहा है जबकि ये परिवार वर्षों से यहां रहते आये हैं। सरकार इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दे रही है जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान प्रभावी पैरवी से इन घरों को बचाया गया था।"

वैभव गहलोत ने आगे कहा, "इस संबंध में मैंने जालौर कलेक्टर से भी बात कर निवेदन किया है कि संवेदनशीलता से विचार कर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ इन गरीब लोगों के पक्ष में अपील करें एवं उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक इस कार्रवाई को रोक कर आमजन को न्याय दिलाने में मदद करें। उन्होंने कहा कि '' आज ही मैंने इस मामले में ग्रामीणों की मदद करने के लिए कानूनी राय ली है।"

सरकार के दो मंत्रियों ने की पीड़ित परिवारों से बात

जोधपुर हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद से ओडवाड़ा गांव में शांति का माहौल है। हालांकि, लोग अब भी डरे हुए हैं।  उधर विपक्ष के भारी विरोध के बाद राज्य सरकार के दो मंत्रियों ने घटना स्थल का दौरा किया। भजनलाल शर्मा की सरकार के मंत्री ओटाराम देवासी और जोराराम कुमावत ने घटना स्थल पर पहुंच कर  कोर्ट से मिले आदेशों की जानकारी दी । दोनों मंत्रियों ने लोगों को आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ है।इस मौके पर स्थानीय विधायक छगनसिंह राजपुरोहित भी मौजूद थे।

जिला कलेक्टर ने क्या कहा?

गौरतलब है कि इस पूरे मामले पर जालौर जिला कलेक्टर पूजा पार्थ ने कहा है कि “ पूरे मामले को दिखवाया जा रहा है। जिला परिषद सीईओ को इस मामले में निर्देशित किया गया है।" उन्होंने कहा कि " हाईकोर्ट के नए आदेशों के बारे में अभी जानकारी मिली है, हमारी कोशिश रहेगी कि किसी को भी बेघर नहीं होने दिया जाएगा। चारागाह भूमि पर कैसे पट्टे और बिजली के कनेक्शन दिए गए। इसकी भी जांच होगी।‘’

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बल प्रयोग को बताया था गलत

गौरतलब है कि एक दिन पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर पोस्ट कर प्रशासन के बल प्रयोग को गलत ठहराया था। उन्होंने लिख था कि " आहोर, जालौर के ओडवाड़ा में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 400 से अधिक घरों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा बल प्रयोग करना उचित नहीं है।

यह गरीब परिवारों से जुड़ा मामला है। प्रशासन को इन परिवारों को उचित समय देना चाहिए था जिससे वो उसका कानूनी समाधान निकाल पाते।" उन्होंने लिखा कि " इस संबंध में मेरी जालौर कलेक्टर से भी बात हुई है। हम इन पीड़ित परिवारों की कानूनी सहायता कर इनको न्याय सुनिश्चित करवाएंगे।"

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