Jalor Monk News: भीषण गर्मी में तपती रेत पर यह संन्यासी 9 साल से कर रहे कठोर तप, पत्नी की मृत्यु के बाद दुनिया से हुआ मोहभंग
Jalor Monk News: जालोर। भारत आस्था और तप की भूमि रही है। यहां पर कई संतों, सन्यासियों का प्रभाव देखने को मिल जाएगा। ऐसे ही एक सन्यासी राजस्थान के जालोर के रानीवाड़ा (Raniwada) में देखने को मिले। यह साधु तेज धूप में रेत के अंदर साधना कर रहे हैं। साधक केवदाराम की साधना कई सालों से जारी है। लोग दूरदराज से उनकी तप-साधना देखने रतनपुर (Jalor Monk News) पहुंच रहे हैं। रतनपुर निवासी 65 साल के केवदाराम मेघवाल, बाबा रामदेवरा के अनन्य भक्त हैं।
केवदाराम (Kevdaram) कहते हैं कि 15 साल पहले उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। तभी से उनके अंदर संसार से विरक्ति का भाव जागने लगा। इसके बाद वे धीरे-धीरे भगवान की भक्ति में लीन हो गए और रोज माला जाप करने लगे। उनका एक बेटा और दो बेटी होने की वजह से उन पर सामाजिक जिम्मेदारी भी रही। तीनों संतानों की शादी (Jalor Monk News) के बाद उनकी भक्ति के साथ तप-साधना शुरू हुई। राजस्थान फर्स्ट की टीम ने रतनपुर पहुंचकर साधक के बारे में विस्तार से जाना।
पत्नी की मौत के बाद शुरू हुई साधना
साधक केवदाराम (Kevdaram) का आध्यात्मिक सफर उनकी पत्नी की मौत के बाद से शुरू हुआ। वे एक गृहस्थ हैं और उनके तीन बच्चे भी हैं। पत्नी के जाने के बाद बच्चों की पूरी जिम्मेदारी अब उन्हीं पर आ गई थी। उन्होंने सामाजिक जीवन को अच्छे से जीते हुए अपने तीनों बच्चों की शादी कर दी। अब वे जिम्मेदारियों से पूरी तरह से स्वतंत्र हो गए थे। इसके बाद उन्होंने साधना (Jalor Monk News) का मार्ग अपनाया। करीब 9 साल से गर्मी के तीन महिनों में बिना कपड़े पहने अपने ऊपर गरम रेती डालकर 2 घंटे तक प्रभु के नाम की माला फेरते हैं। उनकी भक्ति साधना लगातार जारी है।
जवाराम महाराज को मानते हैं अपना गुरू
केवदाराम अपना गुरू जवाराम महाराज को मानते हैं। जवाराम (Jalor Monk News) को अपना गुरू मानकर तप किया और माला करने लगे। केवदाराम बताते हैं कि वे अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते हैं। जीवन में काफी अभाव होने के बाद भी उसने हमेशा साथ दिया। वे बताते हैं कि मेहनत मजदूरी करके उन्होंने अपने बच्चों को पाला और बड़ा किया। जब राजस्थान की टीम उनसे मिलने मौके पर पहुंची तो देखा कि साधक केवदाराम का आधे से ज्यादा हिस्सा रेती में अटा हुआ था।
माला पर तेजी से अंगुलियां चल रहीं थीं। काफी तादात में श्रद्धालु भी दर्शन करने आए हुए थे। गर्मी का पारा 45 पार होने के बावजूद साधक केवदाराम (Kevdaram) पर कोई असर नहीं दिख रहा था। चेहरा पसीने से तरबतर था।
साधना करने में नहीं कोई परेशानी
काफी इंतजार करने के बाद साधक की साधना पूरी हुई और वे रेत से जब उठे तो उनके शरीर से पसीने की धार बह रही थी। पूछने पर बताया कि उनका शरीर छूने पर आपको ठंडा महसूस होगा। उन्होंने कहा कि तप की शक्ति से उनपर गर्मी और धूप का कोई असर नहीं पड़ता। उन्हें कोई बीमारी नहीं है। वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। (Jalor Monk News)
बेटे ने बताया साधक पिता की भक्ति के बारे में
साधक के बेटे महादेव मेघवाल ने बताया कि मां के जाने बाद उनके पिता ने भक्ति मार्ग (Jalor Monk News) अपनाया। पहले वे मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे। अब परिवार की जिम्मेदारी उन पर ही है। वे रानीवाड़ा में हीरा घिसाई कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उनके पिता हर साल नंगे पैर रामदेवरा दर्शन करने जाते हैं। कई बार तो रामदेवरा से द्वारका तक भी पैदल यात्रा कर लेते हैं।
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बेटे के मुताबिक, उनकी भक्ति पर जवाराम महाराज (Jalor Monk News) का पूरा प्रभाव देखा गया। उनके साथ डूंगरी के हंसाराम और उनके पुत्र भी इसी तरह की साधना में लगे हुए हैं। उनका तो यही कहना है कि ईश्वर एक है, चाहे आप बाबा रामदेवरा को पूजें या ब्रह्मा, विष्णु या महेश को। सब एक ही हैं। उनका कहना है कि जब तक शरीर में जान है, तब तक उनकी तपोसाधना यूं ही चलती रहेगी।
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