'अब सिर कटाने का नही सिर गिनाने का समय है...' भाटी ने अब कौनसी जंग छेड़ी जिससे आ गया रेगिस्तान में तूफान!
Ravindra Singh Bhati: राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाके जैसलमेर के बईया गांव में ओरण भूमि पर सोलर प्लांट लगाने पर ग्रामीणों के विरोध ने एक नए आंदोलन को जन्म दे दिया है. हाल में विरोध कर रहे ग्रामीणों को गिरफ्तार करने के बाद पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया और इसके बाद शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी की इसमें एंट्री होने के साथ ही यहां से ओरण और गोचर भूमि संरक्षण के लिए एक अभियान के आगाज का ऐलान किया गया. इसी कड़ी में भाटी अब शनिवार से जैसलमेर के बईया गांव में औरण संरक्षण के लिए एक बड़े आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं जहां से औरण की सुरक्षा के लिए वह हजारों ग्रामीणों के साथ संकल्प लेंगे.
जानकारी के मुताबिक ग्रामीण कई दिन से सोलर प्लांट लगाने वाली एक कंपनी के द्वारा ओरण भूमि पर पेड़ काटने का विरोध कर रहे थे और बीते बुधवार को जब पुलिस प्रशासन ने विरोध कर रहे ग्रामीणों को हिरासत में लिया तो मामला बिगड़ गया. बता दें कि जिला मुख्यालय से करीब 100 किमी दूर बईया गांव में बुधवार को एक निजी सोलर पावर कंपनी द्वारा अपने सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए काम शुरू किया गया था जहां सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने कम्पनी द्वारा काटे जा रहे पेड़ों की कटाई का विरोध करते हुए इस पावर प्रोजेक्ट के निर्माण का काम रुकवा दिया.
"यह लड़ाई गौमाता की है..."
भाटी ने ओरण-गोचर भूमि संरक्षण के आंदोलन की शुरूआत करने से पहले कहा कि यह लड़ाई मेरी, आपकी और उनकी नहीं है, यह लड़ाई उस गौमाता की है जिसने हमें इस रेगिस्तान में जिंदा रखा. भाटी ने कहा कि अगर ओरण नहीं बचेगा तो गौवंश नहीं बचेगा और गौवंश नहीं बचेगा तो बचेगा क्या…..? कहीं हम वो आखिरी पीढ़ी तो नहीं जो अपने पूर्वजों (पाबूजी, गोगाजी, मेहाजी, हड़बूजी, जांभोजी, रामदेवजी, तेजाजी, आलाजी, पनराजजी, इत्यादि असंख्य वीरो और वीरांगनाओं) द्वारा गौमाता के लिए किए गए संघर्ष और दिए गए बलिदान के स्वर्णिम इतिहास को शून्य कर देंगे.
इससे पहले ग्रामीणों के बीच विधायक भाटी ने कहा था कि हम चाहते हैं कि कंपनियां आए, इंडस्ट्रीज आए मगर इस इलाके का इस क्षेत्र का पूरा ख्याल रखना भी जरूरी है और सोलर और विंड के नाम पर जो ओरण-गोचर पर अतिक्रमण हो रहा है उसको किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.उन्होंने कहा कि इन सभी कंपनियों को प्रोपर प्लानिंग और मैनेजमेंट के साथ काम करना होगा.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि जैसलमेर जिले के झिनझिनयाली थाना इलाके के बईया गांव के पास एक निजी कंपनी ने अपना काम शुरू किया है हालांकि फिलहाल कंपनी द्वारा निजी खातेदारी की भूमि में काम शुरू किया है लेकिन ग्रामीणों का विरोध में कहना है कि इस भूमि के पास करीब 2500 हजार बीघा से भी जिस सरकारी भूमि के अलॉटमेंट के लिये आवेदन किया है वो एक माताजी के मंदिर की ओरण गोचर जमीन है जिसे फिलहाल ओरण का दर्जा नहीं मिला है. इस मामले में शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं और अब एक नए आंदोलन की शुरूआत करने का कहा है.
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