पुलिस ट्रेनिंग में लापरवाही! ट्रेनी एसआई ने बताए गलत नंबर, लेटर में 13 गलतियां, क्या होगा कानून का भविष्य?
Jaipur News: राजस्थान पुलिस में भर्ती होकर वर्दी पहनने का सपना हर उम्मीदवार देखता है, लेकिन जब यह पद किसी पेपर लीक गैंग की मदद से हासिल किया जाए, तो पुलिस सेवा की साख पर सवाल उठना लाजमी है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां झुंझुनूं में जॉइनिंग करने पहुंची ट्रेनी (Jaipur News) एसआई मोनिका (25) को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने गिरफ्तार किया। मोनिका ने 15 लाख रुपये देकर पेपर खरीदा था और अब वह खुद कानून के शिकंजे में फंस गई है।
"मुझे 301 नंबर आए हैं"...लेकिन सच्चाई कुछ और थी
मोनिका ने राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) में ट्रेनिंग के दौरान एक वीडियो बनाया था, जिसमें वह कह रही थी कि उसे 301 नंबर मिले हैं। उसने यह भी कहा कि अब वह पूरी आत्मविश्वास से ट्रेनिंग कर रही है और यहां से दो स्टार लगाकर ही जाएगी। लेकिन जब इसकी जांच हुई, तो सच्चाई कुछ और निकली।
जांच में खुलासा हुआ कि मोनिका को असल में 354 नंबर मिले थे, यानी उसे यह तक नहीं पता था कि उसने कितने नंबरों से परीक्षा पास की थी! इतना ही नहीं, उसका मेरिट लिस्ट में 34वां स्थान था, लेकिन इंटरव्यू में वह सिर्फ 15 नंबर ही हासिल कर पाई थी।
अपना जिला भी नहीं लिख पाई सही...
ट्रेनिंग के दौरान जब मोनिका से अधिकारियों ने एक पत्र लिखने को कहा, तो उसमें 13 से ज्यादा गलतियां पाई गईं। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि वह अपने जिले ‘झुंझुनूं’ का सही नाम तक नहीं लिख पाई। इसके अलावा ‘निरीक्षक’, ‘संदिग्ध’, और ‘इसलिए’ जैसे आसान शब्दों की भी गलत वर्तनी लिखी गई।
कैसे हुआ इतना बड़ा फर्जीवाड़ा?
15 सितंबर 2021 को मोनिका ने अजमेर में एसआई भर्ती परीक्षा दी थी। पेपर लीक गैंग के सरगना पौरव कालेर ने ब्लूटूथ के जरिए मोनिका और उसकी साली को लिखित परीक्षा के दौरान दोनों पारियों के पेपर पढ़ाए थे। इस तरह मोनिका ने हिंदी में 200 में से 184 और सामान्य ज्ञान में 200 में से 161 नंबर प्राप्त किए।
हालांकि, जब ट्रेनिंग शुरू हुई तो अधिकारियों को उसकी क्षमताओं पर शक हुआ। उसकी हिंदी और सामान्य ज्ञान की पकड़ बहुत कमजोर थी, लेकिन परीक्षा पास कर लेने के कारण किसी ने ज्यादा सवाल नहीं उठाए।
गिरफ्तारी के डर से ट्रेनिंग से हुई फरार!
एसओजी ने जब पेपर लीक गैंग के सरगना पौरव कालेर को गिरफ्तार किया, तो मोनिका को अपनी करतूत उजागर होने का डर सताने लगा। वह एसओजी की हर गतिविधि पर नजर रखने लगी। जैसे ही उसे एहसास हुआ कि जांच टीम उसके करीब पहुंच रही है, वह राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) से गायब हो गई।
सीनियर अधिकारियों को उसने मेडिकल लीव की बात कहकर गुमराह किया, लेकिन असल में वह गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गई थी। उसे पता था कि अगर कालेर ने उसका नाम लिया, तो उसकी पोल खुल जाएगी और वह भी सलाखों के पीछे पहुंच जाएगी।
अब क्या होगा मोनिका का?
मोनिका को एसओजी ने गिरफ्तार कर लिया है और उसे अदालत में पेश किया जाएगा। यह मामला न केवल राजस्थान पुलिस की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे नकल माफिया पैसे लेकर नौकरियां बेच रहे हैं। अब यह देखना होगा कि इस मामले में और कौन-कौन बेनकाब होता है!
(झुंझुनूं से अरुण मूंड की रिपोर्ट)
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